BDay Spl: एक ऐसा गीतकार जिसके गीतों ने भर दी नस-नस में देशभक्ति

know the unknown life facts of Kavi Pradeep on his 103 birthday
BDay Spl: एक ऐसा गीतकार जिसके गीतों ने भर दी नस-नस में देशभक्ति
BDay Spl: एक ऐसा गीतकार जिसके गीतों ने भर दी नस-नस में देशभक्ति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आज देश के एक ऐसे कवि की जयंती है जिसकी रचनाओं पर बने गीतों ने बच्चों से लेकर बूढ़े तक को इंस्पायर किया। भारत के मशहूर कवि और गीतकार कवि प्रदीप का आज 103वां जन्मदिन है। कवि प्रदीप का जन्म आज ही के दिन साल 1915 को मध्यप्रदेश के एक शहर उज्जैन में बदनगर में हुआ था। कवि प्रदीप का मूल नाम "रामचंद्र नारायणजी द्विवेदी" था। कवि प्रदीप ने अपनी पहचान 1940 में रिलीज हुई फिल्म बंधन से बनाई। उन्हें बचपन से ही हिंदी कविता लिखने में रूचि थी। कवि प्रदीप के कुछ गीत बच्चों में आज भी फेमस हैं। 

71 फिल्मों के लिए लिखे 1700 गीत 

कवि प्रदीप ने 1943 की स्वर्ण जयंती हिट फिल्म "किस्मत" लिखे थे। "दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है" ने उन्हें देशभक्ति गीत के रचनाकारों में अमर कर दिया। इस गीत के अर्थ से गुस्साई तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने उनकी गिरफ्तारी के आदेश भी जारी कर दिए  थे। जिससे बचने के लिए कवि प्रदीप को अंडरग्राउंड भी होना पड़ा। यह गीत इस कदर लोकप्रिय हुआ कि सिनेमा हॉल में दर्शकों की ओर से इसे बार-बार सुनने की ख्वाहिश होने लगी और फिल्म की समाप्ति पर दर्शको की मांग पर इस गीत को सिनेमा हॉल मे दुबारा सुनाया जाने लगा। इसके साथ ही फिल्म "किस्मत" ने बॉक्स आफिस के सारे रिकार्ड तोड़ दिये और इस फिल्म ने कोलकाता के एक सिनेमा हॉल मे लगातार लगभग चार वर्ष तक चलने का रिकार्ड बनाया। 1998 में उन्हें "दादा साहब फालके" पुरस्कार से सम्मानित किया गया। करीब पांच दशकों में कवि प्रदीप ने 71 फिल्मों के लिए 1700 गीत लिखे।

देशभक्ति के गीतों ने बनाया फेमस

उनके देशभक्ति गीतों में, फिल्म बंधन (1940) में "चल चल रे नौजवान", फिल्म जागृति (1954) में "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं", "दे दी हमें आजादी बिना खडग ढाल" और फिल्म जय संतोषी मां (1975) में "यहां वहां जहां तहां मत पूछो कहां-कहां" है। इस गीत को उन्होंने फिल्म के लिए स्वयं गाया भी था। देशभक्ति गीत "ऐ मेरे वतन के लोगों" की रचना भी कवि प्रदीप ने ही की थी। साल 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए उन्होंने ये गीत लिखा था, जिसे उस जमाने की मशहूर गायिका लता मंगेशकर ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में 26 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में ये गीत गाया था। वर्ष 1962 मे जब भारत और चीन का युद्व अपने चरम पर था तब कवि प्रदीप "परम वीर मेजर शैतान सिंह की बहादुरी और बलिदान से काफी प्रभावित हुए और देश के वीरों को श्रद्धाजंलि देने के लिए उन्होंने ऐ मेरे वतन के लोगों गीत की रचना की। वर्ष 1954 में प्रदर्शित फिल्म "नास्तिक" में उनके रचित गीत "देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान" समाज में बढ़ रही कुरीतियों के उपर उनका सीधा प्रहार था। 

60 के दशक में खो दी थी लोकप्रियता

60 का दशक आते-आते पाश्चात्य गीतों की वजह से कवि प्रदीप की ओर से निर्देशकों ने अपना मुख मोड़ लिया था, लेकिन वर्ष 1958 मे प्रदर्शित फिल्म "तलाक"और वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म "पैगाम" में उनके रचित गीत .."इंसान का इंसान से हो भाईचारा" की कामयाबी के बाद प्रदीप एक बार फिर से अपनी खोयी हुई लोकप्रियता पा ली। वर्ष 1975 मे प्रदर्शित फिल्म "जय संतोषी मां" में उनके रचित गीत ने एक बार फिर से प्रदीप शोहरत की बुंलदियों पर बैठा दिया। उनका "जय संतोषी मां" का गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि इस गाने से कई रिकॉड तोड़ दिए। 

इस अवार्ड से सम्मानित हुए कवि प्रदीप

कवि प्रदीप को इसके वर्ष 1961 मे संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड, इम्पा अवार्ड, महान कलाकार अवार्ड, राजीव गांधी अवार्ड, सुरभसगार अवार्ड, संत ज्ञानेश्वर अवार्ड और नेश्नल इंट्रीगेशन अवार्ड 1993 से भी प्रदीप सम्मानित किया गया। अपने गीतों के जरिए देशवासियों के दिल में राज करने वाले प्रदीप 11 दिसम्बर 1998 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।

Created On :   6 Feb 2018 2:46 PM IST

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