Movie Review: महिलाओं के लिए असल जिंदगी का सुपरहीरो है Padman
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अक्षय कुमार की आर बाल्कि निर्देशित अरुणाचलम मुरुगनांथम की बायोपिक फिल्म पैडमैन रिलीज हो गई है। इस फिल्म में अक्षय कुमार के साथ राधिका आप्टे, सोनम कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं। सैनिटरी नैपकिन और महिलाओं के पीरियड्स जैसे मुद्दे पर बनी इस सामाजिक फिल्म की लंबे समय से चर्चा हो रही है। आइए फिल्म समीक्षा के जरिए जानने की कोशिश करते हैं कि अक्षय और ट्विंकल खन्ना की सोच कहां तक दर्शकों के थिएटरों में खींचने में सफल हो पाई है।
फिल्म का नाम: पैडमैन
डायरेक्टर: आर बाल्की
स्टार कास्ट: अक्षय कुमार, राधिका आप्टे, सोनम कपूर
अवधि: 2 घंटा 19 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3.5 स्टार
शैली: बायोग्राफी, कॉमेडी, ड्रामा
कहानी
इस फिल्म की कहानी तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम से प्रेरित है। फिल्म में अरुणाचलम मुरुगनांथम के उस संघर्ष को पर्दे पर दिखाया गया है जिसने औरतों की जिंदगी बदल दी। अरुणाचलम मुरुगनांथम पहले ऐसे शख्स हैं, जिन्होंने महिलाओं की इस तकलीफ को समझा और कम कीमत पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध करवाए। मुरुगनांथम कोयंबटूर के एक सोशल एंटरप्रेन्योर हैं। हालांकि फिल्म को मध्यप्रदेश के प्लॉट में दिखाया गया है। कहानी मध्य प्रदेश के महेश्वर पर बेस्ड है जहां का रहने वाला लक्ष्मीकांत चौहान (अक्षय कुमार) सबकी सहायता करने के लिए जाना जाता है, लेकिन लोग उसके प्रयोग करने की वजह से हमेशा पागल कह कर बुलाते हैं। वह रियल लाइफ हीरो अरुणाचलम मुरुगनांथम से होती है, जो दिखने में साधारण से हैं, कोई सुपरहीरो वाला शूट नहीं पहनते हैं, फिर भी वह महिलाओं के लिए किसी सुपरहीरो से कम नहीं है। लक्ष्मीकांत की शादी गायत्री (राधिका आप्टे) से होती है, लेकिन शादी के बाद लक्ष्मीकांत को महिलाओं की माहवारी का पता चलता है। इस दौरान होने वाली तकलीफ से महिलाएं कैसे गुजरती हैं इसी बात से परेशान होकर लक्ष्मीकांत अपनी बहन, पत्नी और मां के लिए पेड बनाने की कोशिश करता है, लेकिन वह कई बार इस प्रयास में असफल रहता है। घरवालों के साथ ही पूरा गांव भी उसे गलत और गन्दा समझता है। कई बार तो नौबत यहां तक होती है कि लोग उसे उसकी हरकतों की वजह से पीटते भी हैं। लक्ष्मीकांत की पत्नी गायत्री भी उसे छोड़ के चली जाती है, फिर अपने जज्बे को पूरा करने के लिए लक्ष्मीकांत गांव से शहर जाता है जहां उसकी मुलाकात परी (सोनम कपूर) से होती है। परी लक्ष्मीकांत को अपना सपना पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। इसके बाद लक्ष्मीकांत पैड बनाने की कंपनी खोल लेता है और पूरे गांव के साथ ही विदेश में भी मिसाल बन जाता है।
पटकथा और निर्देशन
फिल्म की कहानी जबरदस्त मैसेज देती है, पटकथा में कहीं आपको ऐसा नहीं लगेगा कि फिल्म में कुछ बोरिंग है। फिल्म एंटरटेन करने के साथ साथ एक सशक्त मैसेज दे रही है। फिल्म के संवाद भी अच्छे लिखे गए हैं। निर्देशन की बात करें तो आर बाल्कि का कोई तोड़ नहीं है। जिस तरह से एक आम आदमी की जिंदगी को पर्दे पर उतारा गया है, वह काबिले तारीफ है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी भी कमाल की है।
अभिनय और संगीत
फिल्म में अरुणाचलम मुरुगनाथम के किरदार को अक्षय कुमार ने बेहतरीन तरीके से अदा किया है। अक्षय ने इस फिल्म में सर्वश्रेष्ठ अभिनय किया है। वहीं राधिका आप्टे हमेशा की तरह अपने किरदार में जंची हैं, उनका गांव वाला लुक कहानी को बिल्कुल शूट कर रहा है। सोनम कपूर ने भी ठीक अभिनय किया है। सोनम कपूर की एंट्री फिल्म में काफी देर से होती है, लेकिन वो अपनी मौजूदगी काफी खूबसूरती से दर्ज कराती हैं। फिल्म का संगीत अच्छा है। अमित त्रिवेदी के संगीत ने भी फिल्म को मजबूती दी है।
वैसे तो इस फिल्म को देखना हर युवती को देखना चाहिए , इसके साथ ही पुरुषों को भी इस फिल्म को देखने जरूर जाना चाहिए क्योंकि इस फिल्म में दिखाए गए टॉपिक से पुरिषों को भी सीख लेने की जरूर है। इसके अलावा अगर आप अक्षय कुमार के फैन हैं तो यह फिल्म जरूर देखें।
Created On :   9 Feb 2018 12:28 PM IST