अपने अनुभव फिल्मों के माध्यम से उजागर करता रहूंगा : नागराज मंजुले
डिजिटल डेस्क, नागपुर। फिल्मों के माध्यम से विविध सामाजिक विषयों को छूते निर्माता निर्देशक नागराज मंजुले अपने कैरियर को लेकर विशेष तौर से सचेत हैं। वे कहते हैं- फिल्मों में कैसे आया पता नहीं। यह भी पता नहीं कि भविष्य में क्या करना है, लेकिन यह अवश्य जानता हूं कि क्या नहीं करना है। फिल्मों के चयन में भी अपनी सोच काे पहली प्राथमिकता देता हूं। मराठी हिट फिल्म ‘सैराट’ के निर्देशन के बाद चर्चा में आए मंजुले फिल्म निर्माण व अभिनय के ऑफर के विषय पर यह भी कहते हैं कि वे अपनी सोच के अनुरूप ही काम करना पसंद करते हैं। समाज में जो देखा व अनुभव किया उसे फिल्मों के माध्यम से उजागर करते रहेंगे। दैनिक भास्कर के संपादकीय सहयाेगियों से चर्चा में श्री मंजुले ने विविध विषयों पर अपना मत साझा किया।
अनुभव फिल्मों में दिखता है
श्री मंजुले के अनुसार उन्होंने सामाजिक भेदभाव के जीवन को जीया है। कभी पानी के लिए कतार में भी खड़े नहीं रहने देने की व्यवस्था को सहा है। लिहाजा समाज का प्रत्यक्ष लिया गया अनुभव उनकी फिल्मों में साफ दिखता है। सामाजिक अनुभव ही उनकी फिल्मों का सामाजिक विषय बन जाता है। वे कहते हैं, चर्चा में आने के बाद उनकी स्वयं के प्रति जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। जो भी अच्छा लगता है या दिखता है उसका अनुकरण करता हूं। पिताजी व संत तुकाराम के बाद समाज के हर उस व्यक्ति को अपना आदर्श मानते हैं, जिनका व्यक्तित्व कुछ सीख देता है।
मीडिया ने बढ़ाया मामला
मी-टू कैंपेन मामले पर दो टूक लहजे में कहते हैं, वह तो मीडिया का बढ़ाया हुआ विषय था। अमिताभ बच्चन अभिनित फिल्म निर्माण के मामले को सुखद अवसर मानते हुए कहते हैं कि अमिताभ के व्यक्तित्व व अभिनय से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। ‘सैराट’ फिल्म के हिंदी वर्जन ‘धड़क’ के हिट नहीं हो पाने के विषय पर मंजुले गंभीर मुद्रा में कहते हैं-स्वयं की बात, स्वयं ही बेहतर तरीके से रखी जा सकती है। एक कान से दूसरे कान तक पहुंचते-पहुंचते बातों का भाव बिगड़ जाता है। बात का अभिप्राय तक बदल जाता है। ‘धड़क’ को लेकर भी शायद वही स्थिति रही।
राजनीति से परहेज
व्यावसायिक फिल्मों से जुड़े एक प्रश्न पर उन्होंने साफ कहा कि ऑफर के बाद भी शिवाजी महाराज पर फिल्म करने की उनकी तैयारी नहीं है। राजनीति से उन्हें परहेज है। कभी राजनीति में नहीं आएंगे। शहरी नक्सलवाद के मामले पर उनका कहना है कि कई बार गेहूं के साथ घुन पिसने की भी स्थिति बन जाती है। बड़ी सोच के साथ बड़े कार्य किए जाने चाहिए। मंजुले के साथ निर्देशक सुधाकर रेड्डी यंककुट्टी, अभिनेत्री तक्षशीला वागधरे, जी बिजनेस हेड मंगेश कुलकर्णी उपस्थित थे।
Created On :   13 Nov 2018 1:18 PM IST