जिसकी धुनों ने जमाने को दीवाना बनाया, खामोश हो गया वो कलाकार
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। आपने सुभाष घई की फिल्म ‘कर्ज’ में गिटार की वो धुन तो सुनी ही होगी जिसने लगभग पूरी पीढ़ी को दीवाना बना दिया था। फिल्म ‘आशिकी’ के गाने ‘सांसों की जरूरत है जैसे’ की वो मशहूर गिटार टयून तो अब भी आपके दिल में मोहब्बत के तार झनझना देती होगी। वहीं शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ में ‘जादू तेरी नजर’ में बजता गिटार अपनी झंकार से अब तक न जाने कितनों को मदहोश कर चुका है।
इन सभी गानों में गिटार बजाने वाले गोरख शर्मा अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 27 जनवरी को मुंबई में आखिरी सांस ली। बॉलीवुड की मशहूर संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ कई यादगार गानों का हिस्सा बनने वाले गोरख शर्मा प्यारेलाल के भाई थे।
28 दिसंबर 1946 में जन्में गोरख शर्मा बॉलीवुड के पहले बेस गिटारिस्ट थे। 1960 से 2002 के बीच उन्होंने लगभग 500 फिल्मों में 1000 से भी ज्यादा गीतों में स्ट्रिंग म्यूजिक दिया। उनके पिता पंडित रामप्रसाद शर्मा एक जाने-माने संगीतकार थे और उन्हीं के सान्निध्य में गोरख शर्मा ने संगीत सीखा। उन्होंने मैन्डोलिन, मन्डोला, रुबाब जैसे इंन्स्ट्रूमेंट्स में पकड़ बनाई और साथ ही साथ कई तरह के गिटार बजाना सीखा। जैसे- एकॉस्टिक, जैज़, ट्वेल्व स्ट्रिंग और इलेक्ट्रिक गिटार।
गोरख शर्मा ने अपने करियर की शुरुआत मैन्डोलिन बजाने से की थी। ये वो दौर था जब अंग्रेजी गानों में गिटार का चलन रफ्तार पकड़ रहा था। गोरख शर्मा भी गिटार के जादू से नहीं बच सकें और उन्होंने एनिबल केस्ट्रो के पास जाकर इसे सीखा। उनकी मैन्डोलिन और गिटार दोनों पर ही काफी अच्छी पकड़ थी और इसी वजह से इंडस्ट्री ने उन्हें हाथों हाथ लिया।
अपने शुरुआती दिनों में गोरख शर्मा एक म्यूजिकल ग्रुप ‘बाल सुरीली कला केंद्र’ के साथ कई शहरों में परफॉर्म करते थे। उन्होंने पुणे, सोलापुर और कोल्हापुर में इस ग्रुप के साथ शोज किए। इस ग्रुप में गोरख शर्मा के साथ मीणा मंगेशकर, उषा मंगेशकर, हृदयनाथ मंगेशकर, लक्ष्मीकान्त कुदालकर और उनके बड़े भाई प्यारेलाल शर्मा भी जुड़े हुए थे।
गोरख शर्मा को बहुत कम उम्र में ही मैन्डोलिन बजाने का मौका दिया संगीतकार रवि ने। उन्होंने गोरख शर्मा से गुरु दत्त की फिल्म ‘चौदहवी का चाँद’ में मैन्डोलिन बजवाया। इस गाने को मिली अपार सफलता के बाद गोरख शर्मा का करियर चल पड़ा और आगे जाकर उन्होंने शंकर-जयकिशन और कल्याणजी-आनंदजी के साथ खूब काम किया। इसके अलावा वो लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ कई फिल्मों में बतौर असिस्टेंट म्यूजिक डायरेक्टर भी जुड़े।
गोरख शर्मा बतौर म्यूजिशियन लगातार सफलता पाते गए और वो ‘सिने म्यूजिक एसोसिएशन’ के मेम्बर भी बन गए। उस जमाने में म्यूजिशियन को ग्रेड के आधार पर सैलरी दी जाती थी। पंडित शिवकुमार शर्मा और पंडित हरिप्रसाद चैरसिया के साथ गोरख शर्मा भी इसी ग्रेड में शामिल रहे।
गोरख शर्मा आज भले ही अपने चाहने वालों को अलविदा कह चुके हैं लेकिन उनकी धुनें हमेशा हिंदी फिल्म संगीत के प्रशंसकों के जेहन में ताजा रहेंगी।
Created On :   27 Jan 2018 1:29 PM IST