कथक की क्वीन सितारा देवी को गूगल ने डूडल बनाकर दी जन्मदिन की बधाई

today Google is making a doodle for honor Kathak Queen sitara Devi
कथक की क्वीन सितारा देवी को गूगल ने डूडल बनाकर दी जन्मदिन की बधाई
कथक की क्वीन सितारा देवी को गूगल ने डूडल बनाकर दी जन्मदिन की बधाई

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गूगल ने देश की कथक क्वीन सितारा देवी को उनके 97वें जन्मदिवस के मौके पर "डूडल" के जरिए सम्मान दिया है। यह केवल सितारा देवी का ही सम्मान नहीं है बल्कि भारत की कला और संस्कृति का भी सम्मान है। कथक क्वीन के रूप में मशहूर सितारा देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं है। जिस सफलता के शिखर को उन्होंने हासिल किया था, वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया। काशी के कबीरचौरा की गलियों में पली ‘धन्नो’ मुंबई की फिल्मी दुनिया में ‘सितारा’ बनकर छा गईं थीं। धनतेरस के दिन पैदा होने की वजह से माता-पिता ने उनका नाम धनलक्ष्मी रखा और प्यार से उन्हें धन्नो कहते थे, लेकिन मुंबई आने के बाद उन्हें लोग सितारा देवी के नाम से जानने लगे। कथक में उनका कोई हाथ ना पकड़ पाया था और ना पाएगा। उन्होंने बनारस घराने से कथक की महारत हासिल की थी।

रवींद्रनाथ टैगोर ने दिया था "कथक क्वीन" का खिताब

आज भी जब कथक की बात होती है तो कथक नृत्यांगना के रूप में विख्यात सितारा देवी का चेहरा और नृत्य आंखों के सामने आ जाता है। यह बात बहुत कम ही लोगों को मालूम होगी कि सिर्फ 16 साल की उम्र में उनका नृत्य देख गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें "कथक क्वीन" के खिताब से नवाजा था। आज भी लोग इसी खिताब से उनका परिचय कराते हैं।

सितारा देवी को कला और नृत्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने लिए देश के सबसे बड़े पुरस्कार "पद्मश्री" (1970) और "कालिदास सम्मान" (1994) से सम्मानित किया गया है। 1935 में फिल्म ‘वसंत सेना’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाली इस नृत्यांगना ने दर्जन भर से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय से सिने दर्शकों के बीच लोकप्रियता अर्जित की। सितारा देवी की कथक में इतनी निपुणता थी कि बॉलीवुड ने भी उनके सामने सिर झुका लिया था। बॉलीवुड की फेमस एक्टर्स जैसे रेखा, मधुबाला, माला सिन्‍हा और काजोल को सितारा देवी ने कथक भी सिखाया था।

बता दें कि उन्होंने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान लगातार 11:30 घंटे तक डांस करने का रिकॉर्ड भी बनाया था। सितारा देवी का जन्म 8 नंवबर 1920 में कोलकाता में हुआ था। जन्‍म के कुछ दिनों बाद उनके माता-पिता ने उन्‍हें नौकरानी को दे दिया था, क्‍योंकि उनका मुंह थोड़ा टेढ़ा था। इसके बाद नौकरानी ने सितारा देवी की खूब सेवा करके उनका मुंह ठीक कर वापस उनके माता-पिता को लौटा दिया। 5 साल की उम्र में वह बनारस के कबीरचौरा आ गई थीं।  
 

Created On :   8 Nov 2017 12:03 PM IST

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