भारत के इस गांव में 243 सालों से किसी ने नहीं किया धूम्रपान
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। धूम्रपान करना वैसे तो बहुत गलत बात है, लेकिन इस बात को लोग मानते कहां हैं। आजकल तो धूम्रपान को लोगों ने अपना शौक बना लिया है और उसी शौक के कारण फिर कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों से जूझते रहते हैं। लेकिन आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर लगभग पिछले 250 सालों से किसी ने भी धूम्रपान नहीं किया और न ही इस गांव में आपको बीड़ी-सिगरेट या हुक्का जैसी चीजें देखने को मिलेगी। यह गांव हरियाणा राज्य के कैथल में है, जिसका नाम 'मालखेड़ी' है।
243 सालों की परंपरा
इस गांव के सरपंच शमशेर सिंह, खजान सिंह और गुरूदेव सिंह ने बताया कि इस गांव को 1772 में सरदार जीवन सिंह ने बसाया था और उस वक्त ये फैसला लिया गया था कि इस गांव का कोई भी व्यक्ति हुक्का या बीड़ी नहीं पीएगा। तभी से ये परंपरा इस गांव में चलती आ रही है। पूर्व सरपंच दर्शन सिंह ने बताया कि मालखेड़ी में जीवन सिंह की 11वीं पीढ़ी चल रही है और किसी ने भी इस परंपरा को नहीं तोड़ा। उन्होंने बताया कि पहले तो इस गांव में बाहर से आए मेहमानों के लिए हुक्का भी रखा था, लेकिन अब उसे भी बंद कर दिया गया है। इस गांव में जाटों के अलावा दूसरी जातियों के लोग भी रहते हैं।
जीवन सिंह के लड़कों ने बसाया गांव
पूर्व सरपंच जनरेल सिंह का कहना है कि 1755 में कैथल में दो भाईयों का राज था, उनकी सेना के जनरल जीवन सिंह थे। उनके जनरल रहते इस रियासत का काफी विस्तार हुआ। इसके साथ ही पटियाला के महाराजा ने भी इन्हें 4500 बीघे की जमीन इनाम में दे दी। जिसपर मालखेड़ी गांव को बसाया गया। जीवन सिंह के बाद उनके दो लड़के फतेह सिंह अलबेल सिंह ने इस गांव को बसाया। आज इस गांव की आबादी करीब 1800 है। उन्होंने बताया कि इस गांव में मालसर तीर्थ होने की वजह से इस गांव का नाम मालखेड़ी पड़ा। धूम्रपान नहीं होने से इस गांव में कैंसर, दमा या खांसी का कोई भी मरीज भी नहीं है।
Created On :   13 July 2017 1:04 PM IST