कोरोना रोकथाम की प्रयोगशाला बना छत्तीसगढ़

Chhattisgarh becomes corona prevention laboratory
कोरोना रोकथाम की प्रयोगशाला बना छत्तीसगढ़
कोरोना रोकथाम की प्रयोगशाला बना छत्तीसगढ़

रायपुर, 7 अप्रैल (आईएएनएस)। दुनिया और देश में कोरोनावायरस की महामारी मुसीबत बनी हुई है। हर तरफ मरीजों की संख्या बढ़ रही है, तो साथ ही मौत का आंकड़ा भी। मगर छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य बनकर उभरा है, जो इस रोग की रोकथाम की प्रयोगशाला बन रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां मरीजों का आंकड़ा बढ़ा नहीं है, बल्कि जो मरीज पाए गए है उनमें से अधिकांश स्वस्थ हो चुके हैं।
कोरोनावायरस की महामारी को लेकर देश के हालातों पर नजर डालें, तो एक बात साफ हो जाती है कि हर रोज हर तरफ से मरीजों की संख्या और मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं । अब तो देश में मरीजों की संख्या चार हजार को पार कर चुकी है़,वहीं छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां अब तक कोरोना के 10 मरीज पाए गए थे, इनमें से नौ स्वास्थ्य हुए, तो कई अपने घरों को लौट गए हैं । अब तक किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है।

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बताया है कि राज्य के लिए राहत भरी बात यह है कि कोरोना से संक्रमित पाए गए 10 मरीजों में से नौ मरीज इलाज के बाद पूर्णत: स्वस्थ हो चुके हैं। राज्य में अब कोरोना के एक मात्र शेष रहे संक्रमित मरीज का एम्स रायपुर में इलाज चल रहा है। इस मरीज के स्थिति में सुधार है।

मुख्यमंत्री बघेल ने चिकित्सकों के प्रति आभार जताते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य पूरे आत्मबल के साथ लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए कोरोना के खिलाफ लड़ रहा है। चिकित्सक पूरी निष्ठा से मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं। इसलिए कोरोना हारेगा, हम जीतेंगे।

छत्तीसगढ़ ने आखिर कोरोना को नियंत्रित करने में यह सफलता कैसे पाई, इसके पीछे जागरूकता की कहानी है और सरकार के समय पर लिए गए फैसले का उदाहरण पेश कर रही है । यहां 18 मार्च को विदेश से आई एक छात्रा में कोरोना वायरस पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई, उसके बाद सरकार ने सख्त रवैया अपनाया और 21 मार्च से राज्य में लॉकडाउन कर दिया।

राज्य में सरकार ने फरवरी से ही जागरुकता अभियान शुरू कर दिया था और उसके बाद 13 मार्च को ही आंगनवाड़ी, स्कूल, कॉलेज, मंत्रालय को बंद कर दिया था। इसके अलावा सीमावर्ती सात राज्यों की सीमाओं को सील कर दिया गया।

मुख्यमंत्री बघेल बताते हैं कि राज्य सरकार ने जहां लॉकडाउन किया था उसके साथ ही गांव तक राशन पहुंचाने के इंतजाम भी कर दिए गए थे, जिसके चलते वहां दो माह का राशन पहुचाया गया। लोगों को राशन का इंतजाम हुआ तो उन्हें इस मामले में पूरी तरह निश्चिंत कर दिया गया। यहां के जनसामान्य ने भी इसमें सहयोग की भूमिका निभाई।

राज्य में लॉक डाउन के दौरान दूध, सब्जी आदि की आपूर्ति निर्बाध गति से जारी रहे इसकी कार्य योजना बनाई गई। आंगनबाड़ी से महिलाओं और बच्चों को कच्चा राशन उपलब्ध कराया गया। वहीं कर्मचारियों के वेतन में किसी तरह की कटौती नहीं की गई।

22 मार्च को देश में जनता कर्फ्यू लागू हुआ था और 25 मार्च से लॉकडाउन का ऐलान किया गया था मगर छत्तीसगढ़ पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुका था। वहीं दूसरी ओर उसने विदेश से आए हुए लोगों की जानकारी जुटाना शुरू की और उन्हें क्वारेंटीन व आइसोलेट करना शुरू कर दिया। राज्य में 39 हजार से ज्यादा लोगों को क्वारेंटीन किया गया। इसके अलावा विदेश से लौटे लोगों के कोरोनावायरस टेस्ट की भी प्रक्रिया शुरू की और उन लोगों को खोजा गया जो यह बताने तैयार नहीं थे कि उन्होंने विदेश की यात्राएं कब की है ।

इसके अलावा सीमावर्ती राज्यों से छत्तीसगढ़ लौटने वाले श्रमिकों को राज्य की सीमा पर सुविधाजनक स्थान जैसे स्कूल, आश्रम, हॉस्टल आदि स्थानों में भोजन, ठहरने और स्वास्थ्य जांच की संपूर्ण व्यवस्था की गई। कलेक्टरों ने राहत शिविरों के लिए खास इंतजाम किए। इसके अतिरिक्त दूसरे राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों के लिए वहीं पर आवश्यक व्यवस्था और उनके खातों में नगद की व्यवस्था की गई। इसके साथ ही बंद पड़े कारखानों में मजदूरों के लिए कारखाना मालिकों के माध्यम से श्रमिकों के लिए भोजन व रहने की व्यवस्था करने को कहा गया।

राज्य के जानकारों का मानना है कि राज्य सरकार ने कोरोना की स्थिति की भयावहता को पहले ही जान लिया था और उसी के चलते एहतियाती कदम उठाए, साथ ही जो भी बीमार सामने आए उन्हें एम्स रायपुर लाया गया, जहां स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर तरीके से मिली और लोगों के स्वस्थ्य होने का सिलसिला तेजी से बढ़ा। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ देश के अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गया है।

Created On :   7 April 2020 2:00 PM IST

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