उल्लंघन होता है तो कर्फ्यू और लॉकडाउन अपनी शुचिता खो देते हैं : पायलट
अर्चना शर्मा
जयपुर, 7 मई (आईएएनएस)। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को राज्य में पार्टी कार्यकतार्ओं को एकजुट करते हुए कोविड-19 संकट से निपटने के लिए काफी प्रयारस करते हुए देखा गया है।
पायलट ने ऐसी परियोजनाओं का नेतृत्व किया है, जो राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर रहे हैं। वह अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र टोंक में अधिकारियों और धार्मिक नेताओं के साथ बैठक करके लोगों को कोविड-19 के बारे में जागरूक भी कर रहे हैं। उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा श्रमिकों को सामाजिक दूरी अपनाने को लेकर सुझाव देते भी देखा गया है।
आईएएनएस ने पायलट से राज्य में अर्थव्यवस्था से लेकर कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की बढ़ती संख्या और अन्य कई विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की है। पेश है बातचीत के कुछ प्रमुख अंश:
प्रश्न: आपने मनरेगा संबंधी नौकरी के आंकड़ों में कई गुना वृद्धि करके ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का रास्ता दिखाया है, जो कि 60,000 से 11 लाख तक बढ़ा है। कोरोना संकट के बीच राजस्थान में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अन्य विचार क्या हो सकते हैं?
उत्तर: जैसा कि हम कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इससे होने वाले नुकसान को कम करने में लगे हैं, हमें एक साथ अर्थव्यवस्था को फिर से खड़े करने की कोशिश करनी होगी। केवल लोगों के हाथों में अधिक पैसा डालने से हम अपनी खपत आधारित अर्थव्यवस्था पर काबू पा सकते हैं। आज राजस्थान में मनरेगा के माध्यम से रोजगार पाने वालों की संख्या 17 लाख है।
अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को और बढ़ावा देने के लिए हमें सामाजिक दूरी आदि की सभी सावधानियों को बरतते हुए कृषि संबंधी सभी गतिविधियों को खोलना चाहिए। इसके अलावा हमें ग्रामीण क्षेत्रों में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) और सहकारी समितियों को आसान वित्त पोषण प्रदान करना चाहिए। खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित उद्योगों को हर संभव मदद मिलनी चाहिए।
प्रश्न: कृपया पीछे की कहानी साझा करें जो इस तरह की मजबूत पहल को लागू करने के लिए एक प्रेरणा बनी है? आप ग्रामीणों को सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) आदि के बारे में सुझाव दे रहे हैं, क्या वे इस तरह के प्रयासों पर अमल कर रहे हैं, वहां पर क्या हालात है?
उत्तर: जब देश बंद पड़े उद्योगों के साथ बंद है और लोग बंद होकर रह गए हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आजीविका प्रदान करने के लिए मनरेगा के तहत काम करने के अलावा कोई और बेहतर तरीका नहीं है। लोगों को उनका घर बनाने जैसे व्यक्तिगत कामों को करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। मनरेगा के तहत अपनी खुद की जमीन को तैयार करना एक आदर्श तरीका है, जो लोगों को मदद करेगा। मैं विभाग के कर्मचारियों व अधिकारियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए मौके पर गया और यह भी देखा कि क्या सामाजिक दूरी और स्वच्छता की उचित सावधानियां बरती जा रही हैं या नहीं।
प्रश्न: क्या राज्य सरकार कोविड-19 संकट से निपटने के लिए पीसीसी के साथ समन्वय के साथ काम कर रही है? क्या राज्य में मौजूदा संकट से निपटने के लिए आपसी विचार-विमर्श और बैठकें आयोजित की जा रही हैं?
उत्तर: इन चुनौतीपूर्ण समय में हर कोई कोरोना संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। इस चुनौती से लड़ने के लिए सरकार, पार्टी, गैर-सरकारी संगठन से लेकर प्रत्येक व्यक्ति योगदान दे रहा है। पीसीसी अध्यक्ष के रूप में मैंने राशन पैकेट, चिकित्सा उपकरण, मास्क, हैंड सैनिटाइटर आदि प्रदान करने के लिए समन्वय स्थापित करने को प्रत्येक जिला मुख्यालय पर एक नियंत्रण कक्ष का गठन किया है, ताकि कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति बिना मदद के न रहे।
प्रश्न: वर्तमान समय और कोविड-19 संकट के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए आपका क्या विचार है?
उत्तर: हमें अपने सिस्टम में तरलता (लिक्विडिटी) जोड़ने की आवश्यकता है। अधिक धन को अर्थव्यवस्था में डाला जाना चाहिए। कोरोना संकट के बाद से अमेरिका ने 2 खरब अमरीकी डालर दिए हैं।
प्रश्न: हाल ही में राज्य में प्रवासन संकट के सुचारू समाधान के लिए एक समिति बनाई गई थी। क्या आपको लगता है कि संकट को ठीक से संभाला नहीं जा सका?
उत्तर: जब लॉकडाउन की घोषणा की गई तो मुझे लगता है कि लाखों प्रवासियों को प्रबंधित करने के तरीके पर पर्याप्त विचार नहीं किया गया। हमारे बीच सबसे गरीब और सबसे बेसहारा लोगों को खुद के भरोसे ही छोड़ दिया गया। वे नौकरियों से बाहर हो गए, उनके पास पैसे नहीं रहे और वे यात्रा करने में भी असमर्थ रहे। सरकार की स्पष्ट नीति होनी चाहिए थी।
सरकार के पास उन सभी लोगों की पहचान, जांच और परिवहन की स्पष्ट नीति होनी चाहिए, जो अपने घरों में वापस जाना चाहते हैं।
जब सरकार ऐसा करने में विफल रही और फिर ट्रेनों में यात्रा करने वालों के लिए रेल किराया वसूलना शुरू किया, तो सोनिया गांधी ने प्रवासी कामगारों की सहायता के लिए भुगतान करने की पेशकश करके सही काम किया। हमने सभी प्रवासी मजदूरों की पहचान करने और उन्हें उनके घरों में वापस लाने में मदद करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक विशेष समिति बनाई है। हम इस काम के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग कर रहे हैं।
प्रश्न: जब 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी बंद किया गया तो राजस्थान सात जिलों में 32 कोरोना पॉजिटिव मामले थे और फिलहाल 30 जिलों में कुल 3,240 मामले हो चुके हैं। क्या आपको लगता है कि राज्य में लॉकडाउन को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है?
उत्तर: हमने राजस्थान में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए सभी संभव उपाय करने का प्रयास किया है। हालांकि यह सच है कि जयपुर और जोधपुर में पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ी है। हमारे पास देश में सबसे अधिक ठीक होने की दर भी है।
प्रश्न: लॉकडाउन के सख्त कार्यान्वयन के लिए क्या रास्ता होना चाहिए। क्या आप किसी नई रणनीति पर काम कर रहे हैं? कृपया इसे साझा करें।
उत्तर: रेड जोन को पूरी तरह से अलग-थलग रहने की जरूरत है। अगर कोई भी उल्लंघन होता है तो कर्फ्यू और लॉकडाउन अपनी शुचिता खो देते हैं। हमें उल्लंघन के लिए शून्य सहिष्णुता की आवश्यकता है। इन क्षेत्रों में सभी आवश्यक सेवाएं दरवाजे पर उपलब्ध कराई जानी चाहिए और लोगों के एकत्रित होने की अनुमति कतई नहीं दी जानी चाहिए।
Created On :   7 May 2020 10:00 PM IST