दिव्यांगों को सेनेटाइज करेगा आईआईटी-कानपुर का हर्बल टनल
कानपुर, 27 अप्रैल (आईएएनएस)। कोरोना को मात देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआइटी)-कानपुर और भारतीय कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एलिम्को) ने मिलकर हर्बल सेनेटाइजिंग टनल बनाया है। यह टनल दिव्यांगों को उनके व्हीलचेयर के साथ सेनेटाइज करने में मददगार होगा।
अभी तक देशभर में कई तरह के टनल का प्रयोग किया जा रहा है, लेकिन इस टनल में हर्बल चीजों का प्रयोग किया गया है। इसकी लागत भी 50 हजार से एक लाख के बीच है। हर्बल औषधि का उपयोग करने के चलते इसको बनाने में पतंजलि के विशेषज्ञों की भी राय ली गई है।
हर्बल टनल को आईआईटी के टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो़ अविनाश अग्रवाल और एलिम्को के जीएम मार्केटिंग कर्नल पी.के. दुबे के निर्देशन में तैयार किया गया है।
आईआईटी के प्रो़ अविनाश अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया, अभी बजार में बहुत सारे टनल तैयार किए जा रहे हैं। उनकी विश्वसनीयनता पर सवाल उठ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने एक उच्चस्तरीय टनल डिजाइन किया है। इसमें स्प्रे के अलावा अन्य तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, ताकि जीवाणु नष्ट हो जाएंगे।
उन्होंने बताया कि इसमें आयोनाइज्ड स्प्रे, गर्म हवा, यूवी रेडियशन थेरेपी भी दे रहे हैं। जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा। उस दौरान बस, रेलवे स्टेशन, मॉल समेत भीड़-भाड़ इलाके में जाने वाले लोगों के कपड़ों और हाथ-पैरों में अगर संक्रमण हो जाए, तो यह उसे नष्ट करने में सहायक होगा। मगर, किसी के शरीर में अगर वह प्रवेश कर जाए तो यह उसे नष्ट नहीं कर पाएगा।
उन्होंने कहा, इसमें हम विशेषज्ञों के बताए हुए केमिकल स्प्रे का उपयोग करेंगे। इसके अलावा एलम्किो इसमें हर्बल का उपयोग कर रहा है। अभी इसका प्रोटोटाइप बनाया गया है। इसका पूरा सिस्टम आईआईटी ने डिजाइन किया है।
एलम्किो के जीएम मार्केटिंग कर्नल पीके दुबे ने बताया कि इसमें दो प्रकार के डिसइन्फेटेंट स्प्रे लगा है। एक केमिकल और दूसरा हर्बल सेनेटाइजिंग सिस्टम लगा है। हर्बल स्प्रे में पतंजलि ब्रांड के विशेषज्ञों की राय के अनुसार तैयार किया गया है। इसमें नीम की पत्ती का रस, फिटकरी, कपूर आदि के मिश्रण का उपयोग करके बना गया है। यह पूरी तरह से पारदर्शी है। इसमें सेंसर और हरी लाल रंग की लाइटें भी लगाई गई हैं।
उन्होंने बताया कि इस टनल में अतरिक्त सुरक्षा कवच बनाया गया है, जिसमें प्रवेश कर दिव्यांग अपनी व्हील चेयर के साथ आराम से सेनेटाइज हो जाएगा। इसे बनाने में करीब 50 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च आएगा। इसे सारे मानकों का ध्यान रखकर तैयार किया जा रहा है। टनल के अंदर से गुजरते ही इसमें लगे सेंसर सक्रिय हो जाएंगे और व्यक्ति सेनेटाइज हो जाएगा। हालांकि संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग की जितनी भी गाइडलाइन हैं, उनका पालन करना ही होगा।
इस टनल को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अन्य जांच एजेंसियों से प्रमाणित कराया जाएगा। फिलहाल दो प्रोटोटाइप बनाए गए हैं।
Created On :   27 April 2020 2:30 PM IST