कांटैक्ट ट्रेसिंग की बेहतर रणनीति ने रोकी यूपी में कोरोना की रफ्तार
- कांटैक्ट ट्रेसिंग की बेहतर रणनीति ने रोकी यूपी में कोरोना की रफ्तार
लखनऊ, 17 नवंबर (आईएएनएस)। कोरोना संक्रमण से बचाव में उत्तर प्रदेश सरकार की रणनीति को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने सराहनीय बताया है। डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना पीड़ित मरीजों के सम्पर्क में आए 93 प्रतिशत लोगों की कांटैक्ट ट्रेसिंग कर कोरोना की रफ्तार पर लगाम कसी है। कोविड-19 बचाव के लिए यूपी सरकार ने जो कांटैक्ट ट्रेसिंग की रणनीति अपनाई है, वह दूसरे प्रदेशों के लिए नजीर बन सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए शुरूआत से ही ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में कोरोना के 47,4054 सक्रिय केस हैं। देश की जनसंख्या के हिसाब से सबसे बडा प्रदेश होने के बावजूद कोविड-19 संक्रमण को रोकने के लिए यूपी सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह दूसरी सरकारों के लिए अनुकरणीय है।
यूपी सरकार ने डब्लूएचओ के साथ मिल कर कोविड-19 संक्रमण रोकने के लिए बड़े स्तर पर कांटैक्ट ट्रेसिंग की प्रक्रिया को शुरू किया। यूपी सरकार के राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी परियोजना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए यूपी के 75 जिलों में 800 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती की, जिन्होंने 1 से 14 अगस्त के बीच 58 हजार लोगों की जांच की।
उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य निगरानी अधिकारी डॉ. विकासेंदु अग्रवाल बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में 70,000 से अधिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता फ्रंट लाइन पर काम कर रहे हैं जो कोविड-19 बीमारी से ग्रस्त अत्यंत गंभीर मरीजों तक पहुंच रहे हैं। कोविड संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कांटैक्ट ट्रेसिंग कर रहे हैं। इसी वजह से संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है। डब्लूएचओ की मेडिकल अधिकारियों ने यूपी सरकार की ओर से की जा रही कांटेक्ट ट्रेसिंग की निगरानी की थी। इसके बाद डब्लूएचओ ने सरकार के प्रयासों की सराहना की।
राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य निगरानी परियोजना ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से तैयार की गई 800 चिकित्सा अधिकारियों की प्रशिक्षित टीम ने कांटैक्ट ट्रेसिंग, टेलीफोनिक साक्षात्कार, सर्वे और कोरोना संक्रमित मरीज के परिवार की जांच कराने के साथ उनसे लगातार संपर्क बनाए रखा। कोरोना संक्रमण के विश्लेषण के लिए राज्य कार्यालय में दैनिक डेटा एकत्र किया गया। सरकार के साथ संक्रमण की रफ्तार को लेकर नियमित समीक्षा की गई और डेटा को साझा किया गया।
डब्लूएचओ के फील्ड मानिटर अजय श्रीवास्तव बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के खौफ की वजह से लोग जानकारी छुपा रहे थे। ऐसे में चिकित्सा अधिकारियों की टीम ने लोगों को जागरूक किया। बीमारी की गंभीरता के बारे में बताया। डब्लूएचओ के क्षेत्रीय टीम लीडर डॉ. मधुप बाजपेई बताते हैं कि 1 लाख 63 हजार 536 कोविड-19 संक्रामित मरीज के कांटैक्ट में आने वाले 93 प्रतिशत लोगों की जांच की गई। हालांकि इसमें से संक्रमित मरीज के कांटैक्ट में आने वाले 7 प्रतिशत लोग की कांटेक्ट ट्रेसिंग की जांच नहीं हो पाई थी। वहीं, 17 जिले ऐसे थे जहां उच्च जोखिम वाले 10 प्रतिशत लोगों को संपर्क परीक्षण नहीं हो पाया था। जहां बाद में कांटैक्ट ट्रेसिंग व जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया गया। सरकार ने हाई-केस लोड वाले जिलों में निगरानी गतिविधियों को मजबूत करने के लिए और टीमों को तैनात किया। बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के संपर्क ट्रेसिंग की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण साबित हुई। डब्लूएचओ के कंट्री रिप्रजेंटेटिव टू इंडिया डॉ. रोडेरिको टूरीन कहते हैं कि यूपी सरकार ने संक्रमण को रोकने के लिए कांटैक्ट ट्रेसिंग की जो प्रक्रिया अपनाई है, वह भारत के दूसरे राज्यों के लिए अनुकरणीय है।
एसकेपी
Created On :   17 Nov 2020 10:31 AM GMT