झारखंड : डीडीसी ने तैयार किया को-बोट, कोरोना मरीजों को देगा दवा, पानी
चाईबासा, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। कोरोना अस्पतालों में अब मरीजों को भोजन, पानी और दवा के लिए स्वाथ्यकर्मियों को नहीं जाना होगा, बल्कि इनके पास को-बोट खुद पहुंचकर इन्हें इनके जरूरी सामानों की आपूर्ति कर देगा। की-बोट रिमोट से संचालित रोबोटिक उपकरण है, जिस पर 30 किलोग्राम वजन रखा जा सकेगा।
नवाचारों के लिए चर्चित पश्चिमी सिंहभूम के उप विकास आयुक्त (डीडीसी) आदित्य रंजन ने कोविड 19 से लड़ाई में अपना महत्वपूर्ण योगदान देते हुए देश का पहला रोबोटिक्स उपकरण को-बोट को तैयार किया है। इसके अलावे उन्होंने हाईटेक आइसोलेशन बेड भी तैयार किया है। हाईटेक इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड अपने आप में एक कमरे के समान है, जिससे किसी चिकित्साकर्मी को मरीज से और मरीजों को एक दूसरे से संक्रमण नहीं होगा।
डीडीसी ने इन दोनों नवाचारों की तैयारी अपने आवास के गैराज में तैयार किया है, जिसमें उन्होंने कई इंजीनियरों की भी मदद ली थी।
डीडीसी आदित्य रंजन ने आईएएनएस को बताया, को-बोट रिमोट से संचालित रोबोटिक उपकरण है जिसे बिना किसी मानवीय प्रयास के मरीज तक पहुंचाया जा सकता है। बिना मानवीय हस्तक्षेप के को-बोट मरीजों को आवश्यकता के सामान पहुंचा सकेगा।
उन्होंने बताया कि को-बोट देश में अपनी तरह का प्रथम नवाचारी प्रयोग है जो कि चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों के स्वास्थ्य हित और कोरोना संक्रमण से बचाव को देखते हुए अत्यंत उपयोगी उपकरण है।
पश्चिम सिंहभूम के उपायुक्त अरवा राजकमल ने डीडीसी की उपस्थिति में मंगलवार को को-बोट और आइसोलेशन बेड का लोकार्पण किया। उन्होंने बताया कि फिलहाल 50 ऐसे बेड जिले के दो अस्पतालों में लगाए गए हैं।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आदित्य रंजन ने आईएएनएस से कहा, कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए बनाए गए हाईटेक आइसोलेशन बेड अथवा आई-बेड अपने-आप में पूरी तरह से ढके हुए हैं, जिससे कि एक मरीज से दूसरे मरीज तक और मरीज से चिकित्सा कर्मियों तक संक्रमण को रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि आई बेड का कांसेप्ट यह है कि प्रत्येक बेड में मरीज का दूसरे से संपर्क पूरी तरह से विच्छेदित होगा। पीड़ित व्यक्ति को आई-बेड में ही रखा जाएगा, जिससे कि संक्रमण के फैलने का खतरा न्यूनतम किया जा सके।
उन्होंने कहा फिलहाल, सदर अस्पताल और रेलवे अस्पताल, चक्रधरपुर में इसकी शुरुआत की गई है। रंजन कहते हैं, रोबोटिक्स उपकरण को-बोट रिमोट कंट्रोल से संचालित है। पूरी तरह से स्वचालित कोबोट से भोजन, दवाई, पानी इत्यादि पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। इसकी कैरींग कैपेसिटी 30 किलोग्राम और रेंज 200 फीट की है।
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि चिकित्साकर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए यह अत्यंत लाभकारी साबित होगा। को-बोट वाईफाई कैमरा से युक्त है और इसमें इंस्ट्रक्शन देने के लिए स्पीकर भी लगाया गया है। यह पूरी तरह से वाटरप्रूफ है जिससे कि मरीजों के पास आपूर्ति करने के बाद इसे पूरी तरह से सेनिटाइज भी किया जा सके।
आदित्य रंजन ने बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। बोकारो में जन्मे और एक सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने वाले रंजन कहते हैं कि विदेशों के अस्पतालों के कई वीडियो देखकर ऐसा कुछ करने का आईडिया मन में आया।
डीडीसी ने इससे पहले कोरोना वायरस सैंपल कलेक्शन सेंटर और फेस शील्ड भी बना चुके हैं, जिसका लाभ स्वास्थकर्मियों को मिल रहा है।
Created On :   15 April 2020 3:00 PM IST