बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में फिर से आईसीयू बेड की कमी

Lack of ICU beds in Delhi again amid rising corona cases
बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में फिर से आईसीयू बेड की कमी
बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में फिर से आईसीयू बेड की कमी
हाईलाइट
  • बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में फिर से आईसीयू बेड की कमी

नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना मामलों के फिर से बढ़ने के बीच आईसीयू बेड की कमी बढ़ सकती है। जैसा कि अनलॉक 4 पहले से ही चल रहा है, लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर निकल रहे हैं और कई लोग मास्क लगाने और सामाजिक दूरी के अनुपालन नियमों की अनदेखी कर रहे हैं।

वेंटिलेटर वार्ड की सुविधा के साथ आईसीयू वाले कई निजी अस्पतालों के पास पहले से ही बेड की समस्या है। 93 कोविड-19 अस्पतालों में वेंटिलेटर सुविधा के साथ जहां आईसीयू बेड उपलब्ध है, दिल्ली सरकार के कोरोना ऐप पर इनमें से 23 बुधवार सुबह तक पूरी तरह से भरे थे।

इन अस्पतालों में वेंटिलेटर के साथ आईसीयू बेड फिलहाल उपलब्ध नहीं है। ऐसे अस्पतालों में मैक्स, फोर्टिस, इंद्रप्रस्थ अपोलो और आकाश हेल्थकेयर जैसे बड़े निजी और कॉर्पोरेट नाम शामिल हैं।

केंद्र द्वारा संचालित राम मनोहर लोहिया और म्यूनिसिपैलिटी के स्वामित्व वाले हिंदू राव अस्पताल, 93 में से वे 74 अस्पताल हैं, जहां वेंटिलेटर सुविधा के साथ पांच से कम आईसीयू बेड हैं।

डॉक्टरों ने कहा कि दिल्ली में कोरोना मामलों में फिर से वृद्धि के बाद वे पिछले 15-20 दिनों से यह सब देख रहे हैं। ओखला के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट (पल्मोनॉलजी) अवि कुमार ने कहा, हम अगस्त के मध्य से इस परिदृश्य का सामना कर रहे हैं।

इसके बावजूद, इन अस्पतालों में अधिकांश मरीज दूसरे राज्यों के शहरों से आए हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार, दिल्ली में 60-70 फीसदी बेड पर विभिन्न शहरों के मरीजों का इलाज चल रहा है। इसके अलावा, रोगियों को ठीक होने में अधिक समय लग रहा है।

अवि कुमार ने कहा, लोग दिल्ली के अस्पतालों में इलाज के लिए लखनऊ और वाराणसी जैसे शहरों से आ रहे हैं। उन्हें ठीक होने में कम से कम दो सप्ताह से अधिक का समय लग रहा है। हालांकि, कई रोगियों में अतिरिक्त लक्षण विकसित होने के कारण वे कोविड ट्रॉमा के बाद दो सप्ताह और लेते हैं।

द्वारका स्थित आकाश हेल्थकेयर सुपर स्पेशिएलिटी के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट अक्षय बुधराजा ने कहा कि रोगियों के एक विशेष समूह को ठीक होने में अधिक समय लग रहा है। इन रोगियों में गंभीर रूप से मधुमेह से पीड़ित भी शामिल हैं।

बुधराजा ने यह भी कहा कि उनके अस्पताल में कोरोना के 30 प्रतिशत मरीज गंभीर रूप से बीमार हैं और आने वाले दिनों में उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा जा सकता है। तो हम हाल फिलहाल खाली बेड नहीं देखेंगे।

स्थिति आगे और ज्यादा चिंताजनक हो सकती है। राष्ट्रीय राजधानी में कोविड -19 का दैनिक मामला, जो कुछ समय के लिए 1,000 से कम था, अब पिछले सात दिनों में 1,700 से अधिक आना शुरू हो गया है। दो बार, कोरोना मामले 2,000 का आंकड़ा भी पार कर चुके हैं।

वीएवी-एसकेपी

Created On :   2 Sep 2020 11:31 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story