बांग्लादेश की झुग्गी बस्तियों में कोरोना संक्रमण की दर मात्र 6 फीसदी

Rate of corona infection in slums of Bangladesh is only 6 percent
बांग्लादेश की झुग्गी बस्तियों में कोरोना संक्रमण की दर मात्र 6 फीसदी
बांग्लादेश की झुग्गी बस्तियों में कोरोना संक्रमण की दर मात्र 6 फीसदी

ढाका, 22 अगस्त (आईएएनएस)। बांग्लादेश में झोपड़पट्टियों (मलिन बस्ती) में रहने वाले लोगों में कोरोनावायरस संक्रमण की दर केवल छह प्रतिशत पाई गई है।

इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी डिजीज कंट्रोल एंड रिसर्च एंड इंटरनेशनल सेंटर फॉर डायरियाल डिजीज रिसर्च में पाया गया कि मलिन बस्तियों में संक्रमण की दर अपेक्षाकृत कम है, क्योंकि अधिकांश निवासी जो परिधान श्रमिक (गारमेंट वर्कर) हैं, वह नियमित रूप से बीमारी की निगरानी कर रहे हैं और संक्रमण को लेकर काफी सचेत हैं।

जब मार्च में पहली बार देश में महामारी ने दस्तक दी तो सबसे बड़ा खतरा ढाका में लाखों रेडीमेड गारमेंट (आरएमजी) श्रमिकों और झुग्गियों में रहने वालों को लेकर था।

अकेले ढाका की कोरेल बस्ती (स्लम) में लगभग 3.5 लाख लोग रहते हैं और यहां सैकड़ों लोगों के लिए केवल दो शौचालय हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञ और शोधकर्ता लेलिन चौधरी ने शनिवार को आईएएनएस को बताया, उनमें से कोई भी (झुग्गी में रहने वाले) मास्क नहीं पहनते हैं। लेकिन वे कम प्रभावित हुए हैं। इसीलिए ढाका में कोविड-19 को अमीर लोगों की बीमारी का नाम दिया गया है।

उन्होंने कहा, जो लोग शर्ट और जूते नहीं पहनते हैं और धूप में अधिक समय बिताते हैं, वे प्रकृति के करीब हैं और उच्च प्रतिरक्षा (इम्युनिटी) रखते हैं। जो लोग वातानुकूलित कमरों में रहते हैं और धूप में नहीं रहते तथा अधिक संरक्षित खाद्य पदार्थ खाते हैं, उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।

आईईडीसीआर के सलाहकार मुश्ताक हुसैन ने कहा, जो लोग रोजाना कमाकर खाते हैं और आरएमजी क्षेत्र के श्रमिक बड़े पैमाने पर कोविड-19 से प्रभावित नहीं हुए हैं। यह अभी तक मालिकों व परिधान क्षेत्र प्रशासन द्वारा उठाए गए प्रभावी रोकथाम उपायों के कारण संभव हुआ है।

गाजीपुर के सिविल सर्जन एम. डी. खैरुज्जमान ने आईएएनएस को बताया, हम झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों और आरएमजी श्रमिकों के बारे में बहुत चिंतित थे। इसके आधार पर, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए कि कारखाने थोड़े समय के भीतर स्वच्छता मानदंडों के अनुपालन में चलें।

उन्होंने कहा, अधिकांश आरएमजी कारखानों ने उचित स्वच्छता मानदंडों का पालन किया है। यही कारण है कि इस क्षेत्र में श्रमिकों के बीच संक्रमण को थोड़े समय में नियंत्रण में लाया गया है। यदि ऐसा नहीं किया गया होता, तो शायद सभी की आशंकाएं सच हो जातीं।

आईईडीसीआर की नवनियुक्त निदेशक, प्रोफेसर तहमीना शिरीन ने कहा, आंकड़ों से, हम कह सकते हैं कि परिधान श्रमिकों और झुग्गी निवासियों के बीच संक्रमण दर अपेक्षाकृत कम है।

विशेषज्ञों का कहना है कि दक्षिण एशियाई पृष्ठभूमि के लोगों में गोरे लोगों की तुलना में एंटी-बॉडी की प्रतिशतता अधिक होती है।

एकेके/एसजीके

Created On :   22 Aug 2020 5:00 PM IST

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