हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के पेपर में क्या है सबूत

What is the evidence in Harvard Medical School paper
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के पेपर में क्या है सबूत
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के पेपर में क्या है सबूत

बीजिंग, 12 जून (आईएएनएस)। विश्व प्रसिद्ध हार्वर्ड मेडिकल स्कूल ने हाल में कोरोना वायरस से जुड़ा एक पेपर जारी किया। इसमें चीन के वुहान शहर के कुछ अस्पतालों में पाकिर्ंग स्थल के सैटेलाइट चित्र और चीन के सर्च इंजन पाईतू में कीवर्ड की खोज की संख्या को लेकर यह निष्कर्ष निकाला गया है कि कोरोना वायरस पिछले साल की शरद ऋतु में वुहान में फैलने लगा। हम एक साथ देखते हैं इस पेपर में क्या सबूत पेश किए गए।

पहला है, पाकिर्ंग स्थलों के सैटेलाइट चित्र। पेपर में सिर्फ वुहान के थ्येनयो अस्पताल का चित्र दिखाया गया, लेकिन अमेरिकन ब्रॉडकास्टिंग कंपनी ने अन्य 5 अस्पतालों के सैटेलाइट चित्र भी जारी किए। चित्रों में कारों को लाल बिंदु के रूप में चिह्न्ति किया गया। पेपर के अनुसार वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2019 के अक्टूबर में उक्त अस्पतालों के पाकिर्ंग स्थलों में कारों की संख्या बढ़ी।

ध्यान से देखा जाए, तो पता चलेगा कि साल 2018 और 2019 के चित्रों को थोड़े अलग कोण से खींचा गया है। भवनों पर सूरज की रोशनी से डाली छाया में भी बड़ा अंतर है। इसका मतलब है कि साल 2018 के चित्र सीधे खड़े से नहीं खींचे गए, इसलिए पाकिर्ंग स्थल भवन से ढका हुआ है और कारों की गिनती सही नहीं हो सकती।

आप अस्पताल गए थे, तो आपको मालूम होगा कि अस्पताल में अलग अलग समय में लोगों की संख्या भी भिन्न भिन्न है। चीन की बात करें, तो आम तौर पर सुबह अस्पताल में भीड़ ज्यादा होती है, जबकि दोपहर को थोड़ी कम। इसका मतलब है कि अस्पताल के पाकिर्ंग स्थल में सुबह ज्यादा कारें खड़ी होती हैं।

हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2018 दोपहर बाद खींचे गए फोटो की वर्ष 2019 की सुबह खींचे गए फोटो की तुलना की, फिर पूर्व कल्पित निष्कर्ष निकाला, क्या यह वैज्ञानिक तरीका है? इसके अतिरिक्त, हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने एक तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि जो लोग अस्पताल जाते हैं, सब उपचार नहीं कराते हैं। जो लोग उपचार कराने के लिए अस्पताल जाते हैं, सब को बुखार नहीं आता है। जिन लोगों को बुखार आया, सब कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हो सकते।

ध्यान देने की बाता है कि हूपेई महिला और बाल अस्पताल जो पेपर में चर्चित है, वो महिलाओं व बच्चों का इलाज करने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल करने वाला अस्पताल है। इसमें श्वसन चिकित्सा विभाग नहीं होता। अगर लोग बुखार और खांसी से पीड़ित होते, तो उपचार कराने के लिए वहां नहीं जाते। इसलिए इस अस्पताल में कारों की संख्या में कमी या बढ़ोतरी का महामारी से कोई संबंध नहीं होता।

अब हम सर्च इंजन में कीवर्ड की बात करते हैं। हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने चीनी सर्च इंजन पाईतू पर अप्रैल 2017 से मई 2020 तक सबसे लोकप्रिय कीवर्ड का विश्लेषण किया। उनका निष्कर्ष है कि वर्ष 2019 की शरद ऋतु में खांसी और दस्त की खोज करने वाले वुहान वासियों की संख्या में इजाफा हुआ। लेकिन पेपर में जो चित्र दिखाया गया, इसके आंकड़े मई 2018 से मई 2020 तक के हैं, न कि अप्रैल 2017 से मई 2020 तक।

चीनी सर्च इंजन पाईतू ने शीघ्र ही इसका खंडन किया। पाईतू का कहना है कि हार्वर्ड का अध्ययन अस्वाभाविक है। वास्तव में वुहान में कीवर्ड खांसी की खोज की संख्या हर साल के फ्लू सीजन से बिलकुल मेल खाता है, जबकि कीवर्ड दस्त की खोज की संख्या में पहले से ज्यादा फर्क नहीं है। पाईतू के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2019 में दस्त की खोज की संख्या थोड़ा कमी हुई।

हालांकि इस पेपर की समीक्षा नहीं हुई, लेकिन विभिन्न जगतों का ध्यान आकर्षित हुआ। कुछ मीडिया ने बिना सोचे इसकी रिपोटिर्ंग की। इस पर डब्ल्यूएचओ के आपात परियोजना के जिम्मेदार व्यक्ति माइकल रयान ने कहा कि भू-स्थानिक जानकारी जलवायु परिवर्तन, लोगों के स्थानांतरण और पर्यावरण प्रदूषण का पीछे करने के लिए उपयोगी है, लेकिन केवल अस्पताल के पास पाकिर्ंग गाड़ियों की संख्या के अनुसार कोरोना वायरस संबंधी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। यह पेपर तर्कसंगत नहीं है।

( साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग )

-- आईएएनएस

Created On :   13 Jun 2020 12:30 AM IST

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