हौसले के दम पर यश ने जीती कोरोना के खिताफ जंग

Yash won the title of Corona on the strength of courage
हौसले के दम पर यश ने जीती कोरोना के खिताफ जंग
हौसले के दम पर यश ने जीती कोरोना के खिताफ जंग

लखनऊ, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। कोरोना वायरस ने दुनिया में कोहराम मचा रखा है। इससे बचने के लिए लोग घरों मे कैद हैं। बीमारी का कोई इलाज न होने से लोग घबरा रहे हैं। मगर हौसला और संयम से कोविड 19 को हराया जा सकता है।

हिम्मत और हौसले के शस्त्र से कोरोना की जंग जीत कर लौटे यश ठाकुर ने आईएएनएस से विशेष बातचीत की है।

गोमती नगर के रहने वाले यश ठाकुर लंदन में बीबीए की पढ़ाई कर रहे हैं। वह 17 मार्च को लखनऊ लौटे। उन्होंने बताया कि मुझे रास्ते में कुछ हल्का बुखार का अहसास हुआ। घर पहुंचते ही जुकाम और गले में खराश हो गयी थी। उन्हें इस बीमारी के लक्षणों के बारे में पहले ही पता था इसलिए घर पहुंचते ही उन्होंने अपने परिजनों को सर्तक करके मास्क पहन कर एक कमरे में क्वारंटाइन कर लिया। इसके बाद 18 मार्च को जांच के लिए केजीएमयू पहुंचा। यहां डाक्टरों से जांच के दौरान पता चला कि मैं कोरोना पॉजिटिव हूं। ऐसे में घबरा गया। लेकिन डॉक्टरों ने मुझे हिम्मत दी। मेरा हौसला बढ़ाया। चिकित्सकों ने कहा कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं। यह ठीक हो सकता है, पर यह समय ज्यादा लेता है। फिर मुझे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया जहां पर दवा और खानपान में सतर्कता के चलते मैंने कोरोना से जंग जीत ली।

उन्होंने बताया कि लंदन से भारत आने के एक दिन पहले मैंने वहां खरीददारी करने गया था। वहां पर भीड़-भाड़ होंने के कारण मैं इसकी चपेट में आ गया था। हालांकि मेरे जानने वालों में यह किसी को नहीं था। पता नहीं इसकी चपेट में मैं कैसे आ गया।

ठाकुर ने बताया कि जिस वार्ड में भर्ती था। वह कमरा बिल्कुल पूरी तरह से सील था। खिड़की न होंने के कारण वहां प्राकृतिक हवा भी नहीं मिलती थी। न कोई अन्य साधन थे। संक्रमण के कारण बाहर भी नहीं निकल सकते थे। ऐसे में अपने अंदर की मजबूती बहुत जरूरी होती है। इस दौरान कई बार नकारात्मक विचार भी आते हैं। इन सब के बीच धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। इलाज के दौरान जो दवाएं मिली थी। कभी-कभी वह शरीर के अनुकूल नहीं होती है इसके कारण उल्टी, चक्कर और पेट दर्द हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे फायदा देने लगती है। लेकिन सबका तोड़ सिर्फ हिम्मत और हौसला ही है। इस दौरान पौष्टिक आहार भी बहुत जरूरी है। जो वायरस से लड़ता है। हां इस दौरान चिकित्सकों ने बहुत मदद की है। उन लोगों ने मुझे और मेरे पूरे परिवार को उम्मींद बंधा रखी थी। वह हमारे लिए 24 घण्टे उपलब्ध रहते थे। इस दौरान मैं अपने परिवार के किसी भी सदस्य से नहीं मिला हूं।

यश ने बताया कि इस संक्रमण को हल्के में लेने की जरूरत नहीं है। इसके लक्षणों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। अगर यह लक्षण हमें पता हैं तो हमारी जान के साथ ही परिवार की जान भी बच जाएगी।

ठाकुर ने बताया कि 21 दिन में मोबाइल ही हमारा साथी रहा है। इस दौरान ऑनलाइन मूवी और घर वालों से बातचीत होती रहती थी। वह लोग मेरा हौसला बढ़ाते रहते थे। 22 वे दिन में जब मैंने ताजी हवा ली है तो मुझे एक नया अहसास मिला है। उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक चीजों का प्रसार हो। एक बात न्यूज में भी मरने वाले बाद में दिखे ठीक होंने वाले पहले दिखें तो ज्यादा बेहतर होगा। इससे मरीजों में आशा बढ़ेगी।

यश के मुताबिक इंग्लैण्ड में कोरोना आने के बाद भी बहुत चीजों में छूट थी, जिस कारण वहां संक्रमण बढ़ता गया। भारत इस वायरस से लड़ने के प्रति काफी गंभीर दिखा। इसी कारण यहां लॉकडाउन जैसे प्रक्रिया अपनायी गयी है। इससे ही यह नियंत्रित होगा। इसमें सबसे ज्याद जरूरी है अपने का संयमित रखना और चिकित्सकों और गाइडलाइन के अनुसार चलना पड़ेगा। दवा का समय से सेवन करना भी अनिवार्य होता है।इसी का नतीजा है जो मैं कोरोना को मात देकर लौटा हूं।

यश ने बताया कि अभी वह होम क्वारंटाइन का पालन कर रहे हैं। इस दौरान वह परिजनों तक से नहीं मिल रहे हैं।

Created On :   11 April 2020 12:00 PM IST

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