रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन से जारी संघर्ष के बीच यूरोप की टॉप इकॉनमी में रूस सबसे आगे, कई देशों को दी मात

यूक्रेन से जारी संघर्ष के बीच यूरोप की टॉप इकॉनमी में रूस सबसे आगे, कई देशों को दी मात
  • पिछले 2 साल से जारी है यूक्रेन और रूस की जंग
  • रूस बना यूरोप की टॉप लीडिंग इकॉनमी
  • युद्ध में रूस को रोकने कई देशों ने लगाया था बैन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जनवरी में अपने देश को यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताया था। हालांकि, रूसी राष्ट्रपति ने ऐसे ही इसकी घोषणा नहीं की थी। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की संस्था आईएमएफ की ओर से जी-7 देशों में शामिल रूस की अर्थव्यवस्था को लेकर सराहना की है। गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन जी-7 में दुनिया के ताकतवर देश शामिल हैं। पुतिन ने दृंढ़ता के साथ दावा करते हुए कहा कि जीडीपी के लिहाज से रूस ने दुनिया के पांच सबसे शक्तिशाली देशों में अपनी जगह बना ली है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर यूक्रेन से जारी संघर्ष और संकटों के बीच रूस की इकनॉमी पर असर कैसे नहीं पड़ा?

रूस पर कई देशों ने लगाया बैन

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को 22 फरवरी के दिन पूरे दाल साल हो जांएगे। ऐसे में कई छोटे-बड़े देशों ने युद्ध में रूस पर लगाम कसने के लिए उस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाना शुरु हो गए। जिसके चलते दो सालों के अंदर ही रूस पर 10 हजार से अधिक बैन लगाए गए थे। रूस को लेकर जहां दुनिया के कई देशों ने उसकी प्रॉपर्टी जब्त कर ली थी। तो वहीं, अन्य देशों ने रूस से तेल और हथियारों के व्यापार पर कुछ समय के लिए पाबंदी लगा दी थी। इतना ही नहीं, ज्यादातर देशों ने साथ आगे आकर रूस के राष्ट्रपति समेत किसी भी नेताओं को न आने का निर्णय किया। यह एक तरह से डिप्लोमेटिक बैन था, जिसमें राजनीतिक रिश्तों पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

दुनिया में युद्ध से भी ज्यादा कोई प्रभावशाली चीज है, तो वह इंटरनेशल बैन होती है। इसके तहत जिस भी देश पर पाबंदियां लग जाती हैं। जिसके चलते वह थोड़े समय में हार मान लेते हैं। इसे ऐसे समझा सकता है, जब कभी भी कोई व्यक्ति किसी के साथ कोई गलत चीज घटित होती है। तब समाज में उस व्यक्ति के परिवार का खाना पीना रूकवा दिया जाता है। कई देश इस तरीके का उपयोग करते आ रहे हैं।

रूस पर लगाए गए कई बैन

बैन के दृष्टिकोण से रूस पर अमेरिका के अलावा कई देशों ने ट्रेड एम्बार्गो लागू किया हुआ है। इसे सबसे असरदार तरीका माना जाता रहा है। जिस देश पर यह बैन लगता है उसके साथ किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं किया जाता है।

जानिए क्या है एसेट फ्रीजिंग

रूस के खिलाफ दुनिया भर के कई देशों की ओर से लगाए जा रहे बैन में से एक एसेट फ्रीजिंग का नाम भी शामिल है। इस बैन के अंतर्गत यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने फाइनेंशियल सिस्टम से रूसी बैंकों को निरस्त कर दिया है। इसके बाद वहां पर रूसी बैंक किसी भी प्रकार के मॉनिटरी ट्रांजेक्शन नहीं कर सकते हैं। इस दौरान यूके में रहने वाले रूसी लोगों बैंक से ज्यादा पैसे नहीं निकाल पाते हैं। ऐसे में लोगों का सरकार पर दबाव बना रहे हैं।

रूसी बिजनेसमैन पर भी लगाया बैन

कई देशों में रूस पर लगे बैन की वजह से वहां के बिजनेसमैन का व्यापार भी प्रभावित हो रहा है। कहा जाता है कि यह सभी वह प्रमुख लोग है जिनकी सहारे रूस की इकॉनमी तेजी से विकसित हो रही है। साथ ही, यह उद्योगपति रूसी राष्ट्रपति पुतिन के करीबी भी माने जाते हैं। माना जा रहा कि पुतिन इन्हीं के प्रेशर में आकर सेना को पीछे हटने के आदेश दिए हैं। हालांकि, इन पाबंदियों के बावजूद स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी हुई है।

रूस की अच्छी अर्थव्यवस्था की वजह

दुनिया के कई देशों से आयात रुकने के बाद भी रूस की अर्थव्यवस्था में लाभ हो रहा है। दरअसल, रूस से बाहर के देशों में जाने वाले फूड प्रोडक्ट्स अब घरेलू काम के उपयोग में लिए जा रहे हैं। ऐसे में युद्ध के चलते देश में पहले से ही चीजों का दाम बढ़ा हुआ है। इस लिहाज से रूस की जीडीपी तेजी से बढ़ रही है।

वहीं, रूस की अच्छी जीडीपी रेट का एक कारण यह भी है कि वहां से कई बड़े ब्रांड्स जाना नहीं चाहते हैं। न्यूयॉर्क टाइम की खबर के मुताबिक, रूसी नागरिक काफी पैसे खर्च कर रहे हैं। इस वजह से वहां की कई सारी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां फायदे में हैं। रूस में लोगों की पर्चेसिंग पावर काफी बढ़िया है ।

रूस में सस्ते रेट पर खरीदी जा रही कंपनियों

देश छोड़ने वाली कंपनियों को पुतिन और रूसी लोगों ने काफी कम रेट पर खरीद लिया। स्टारबक्स का नाम बदलकर स्टार्स कॉफी हो गया है। क्रिस्पी क्रीम कंपनी को क्रंची ड्रीम कर दिया गया है। इसके अलावा रूस की सरकार की ओर से प्राइवेट फर्म्स को काफी सस्ते भाव में खरीदा जा चुका है।

मीडिया रिपोर्टस् के मुताबिक, रूस से जो भी कंपनियां वहां से जा रही थी। उनके सामने सरकार ने एक शर्त भी रखी थी। जिसमें उन कंपनियों का नुकसान हो जाता और रूस का खजाना और भर जाता है। ऐसे में रूस का यह प्लान युद्ध और बैन के प्रभावों से बचने के लिए बनाया था। जो उसके लाए आपदा में अवसर जैसी स्थिति के रूप में साबित हुआ।

इन देशों की सहायता से रूस को मिल रहा कच्चा तेल

गौरतलब है कि रूस को प्रोडक्ट्स के उत्पादन के लिए कच्चे तेल की आवश्यकता होती है। कई देशों से रूस तक निर्यात के रास्ते बंद हो गए हैं । इसके बाद राष्ट्रपति पुतिन ने इस समस्या का हल भी ढूंढ निकाला है। दरअसल, पिछले दो सालों में यूरोप से आर्मेनिया, सर्बिया और कजाकिस्तान समेत कई देशों ने सबसे अधिक रॉ मटेरियल आयात करवाए हैं। हालांकि, यह ऐसा पहली बार था, जब यूरोप से आने वाली चीजें इन देशों के रास्ते से होते हुए सीधे रूस में आती थी। जानकारी के मतुाबिक, रूस से इन सभी देशों के काफी अच्छे संबंध है। इससे पहले ये सारे देश सोवियत संघ का हिस्सा भी रह चुके हैं। ऐसे में रूस को कूटनीतिक फायदा मिलता रहता है।

Created On :   8 Feb 2024 11:47 PM IST

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