अफगानिस्तान से वापस लौटे कश्मीरी आतंकी समूहों ने सलाम तालिबान गाकर मनाया जश्न
- अफगानिस्तान से वापस लौटे कश्मीरी आतंकी समूहों ने सलाम तालिबान गाकर मनाया जश्न
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तालिबान के साथ महीनों की लड़ाई के बाद, पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईम) के आतंकवादियों ने घर वापस जाना शुरू कर दिया है। आतंकवादियों के कुछ जत्थे पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में अपने प्रशिक्षण शिविरों में पहुंचने लगे हैं।
वीडियो क्लिप की एक सीरीज में इन आतंकवादियों को विजय रैलियां निकालते हुए देखा जा सकता है। सड़क प्रदर्शनों के अलावा, नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास अब्बासपुर, हजीरा और सेंसा जैसे विभिन्न स्थानों पर जश्न के तौर पर आसमान में चलाई जाने वाली गोलियां आम बात हो रही है और इस जश्न को लगातार मनाया जा रहा है।
इन आतंकियों को आईएसआई और पाकिस्तानी सेना के निर्देश पर तालिबान के साथ लड़ने के लिए भेजा गया था। चूंकि यह मिशन पूरा होने समय है, इसलिए ये आतंकवादी कश्मीर पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करके घर वापस आ रहे हैं।
बड़ी संख्या में आतंकवादी पाकिस्तान के पंजाब से हैं, जिन्हें सेना ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा तालिबान के रैंकों को मजबूत करने के लिए चलाए जा रहे शिविरों में थोड़े समय के प्रशिक्षण के बाद भेजा था। कंधार, हेलमंद और अफगानिस्तान के अन्य स्थानों में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी इकाइयों के टैग वाले इन समूहों को पाकिस्तानी सेना और तालिबान के साथ मिलकर लड़ते देखा गया है। संघर्ष के दौरान कई आतंकवादी मारे भी गए और पाकिस्तान ने मारे गए आतंकवादियों के शवों को उनके मूल स्थानों पर पहुंचाने की व्यवस्था की थी।
पिछले हफ्ते, जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक और मुख्य परिचालन अधिकारी मौलाना मसूद अजहर के छोटे भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ अजहर ने कंधार में तालिबान के शीर्ष नेतृत्व मुल्ला बरादर और मुल्ला याकूब से मुलाकात की थी। याकूब तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा है। वह समूह की सैन्य शाखा का नेतृत्व कर रहा है। खुफिया रिपोटरें के अनुसार, तालिबान की हार के बाद पाकिस्तान में रहने के दौरान, याकूब को पीओके में जैश-ए-मोहम्मद के सैन्य शिविरों में प्रशिक्षित किया गया था। जेईएम सुप्रीमो मसूद अजहर उसके पिता मुल्ला उमर का करीबी दोस्त था। 16 अगस्त को मंजिल की तरफ शीर्षक से अपने लेखन में, जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक ने अफगानिस्तान में मुजाहिदीन की सफलता के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया था।
विभिन्न खुफिया एजेंसियों के एक अनुमान के मुताबिक, अफगानिस्तान में 1,500 से 2000 लश्कर और 2000 से 2,500 जैश-ए-मोहम्मद कैडर भी हैं, जो ज्यादातर पूर्वी और दक्षिणी प्रांतों में हैं। लगभग 250 पाकिस्तानी सेना भी युद्ध के मैदान में मौजूद थी।
15 अगस्त को काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद, वह कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान थे, जो तालिबान को गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए बधाई देने वाले राष्ट्र के पहले प्रमुख थे। पूर्व-आईएसआई प्रमुख असद दुर्रानी भी तालिबान के लिए आईएसआई के समर्थन के बारे में खुले तौर पर डींग मारते दिखाई दिए और इसके लिए वह चाहते हैं कि उन्हें बधाई दी जानी चाहिए।
पूर्व आईएसआई प्रमुख ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा, हमने अमेरिका से पैसे और हथियार लिए लेकिन तालिबान पर कभी कार्रवाई नहीं की, इसलिए उन्होंने अमेरिकियों को अफगानिस्तान से बाहर निकाल फेंका।
पिछले कुछ दिनों में सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें सामने आई हैं जिनमें आईएसआई प्रमुख फैज हमीद और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह मोहम्मद कुरैशी मुल्ला बरादर और अन्य तालिबान नेताओं के साथ नमाज अदा करते नजर आए।
सूत्रों के मुताबिक, ये तस्वीरें कंधार में मुल्ला बरादार के काबुल पहुंचने के बाद ली गई थीं। पाकिस्तानी सूत्रों का कहना है कि आईएसआई प्रमुख के साथ विदेश मंत्री कुरैशी ने तालिबान नेतृत्व को बधाई देने के लिए गुप्त यात्रा की थी। तालिबान की जीत के बाद सैन्य प्रतिष्ठान और इमरान खान की सरकार समेत कई पाकिस्तानी उत्साहित हैं। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में लाल मस्जिद से जुड़े जामिया हफ्सा में एक महिला मदरसे सहित मदरसों की छत पर तालिबान के झंडे फहराए गए हैं, जहां छात्राओं ने सलाम तालिबान गाने के साथ अफगानिस्तान पर आतंकी समूह तालिबान की जीत का जश्न मनाया।
(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)
आईएएनएस
Created On :   24 Aug 2021 10:00 PM IST