अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए चीन का नया प्लान तैयार

China will purchase Crude oil in yuan currency against dollar
अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए चीन का नया प्लान तैयार
अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने के लिए चीन का नया प्लान तैयार

डिजिटल डेस्क, वाशिंगटन। चीन ने अब इंटरनेशनल मार्केट में अमेरिकी डॉलर पर वॉर करने का मन बना लिया है। पावरफुल करेंसी अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने और अपनी करेंसी यूआन को मजबूती देने के लिए चीन एक नया कदम उठाने जा रहा है। चीन अब से इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल को डॉलर में ना खरीदकर अपने देश की करेंसी युआन में खरीदने का मन बनाया है। चीन के इस कदम से इंटरनेशनल मार्केट में डॉलर की डिमांड काफी कम होने की आशंका जताई जा रही है।

 

क्रूड ऑयल खरीदने के लिए चीन आने वाले समय में रूस समेत कई क्रूड एक्सपोर्ट देशों के साथ करार कर सकता है। ऐसा करते हुए चीन अपने दबदबे को और बढ़ाकर दुनिया की बड़ी पावर बनना चाहता है और अमेरिकी डॉलर की जगह अपनी करेंसी युआन को स्‍‍‍‍‍थापित करने की तैयारी कर रहा है। आपको बता दें कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड ऑयल इंपोर्टर है। 2017 के पहले 9 महीने में चीन का कुल क्रूड इंपोर्ट 12.2 फीसदी बढ़कर 85 लाख बैरल प्रति दिन हो गया है।

 

ट्रंप ने जिनपिंग को दी बधाई

इन सबसे हटकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शी जिनपिंग को दूसरी बार चीन का राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का प्रमुख चुने जाने पर बधाई दी हैं। ट्रंप ने शी से फोन पर बात करते हुए बधाई दी है, साथ ही सोशल मीडिया पर भी ट्वीट करते हुए लिखा, ‘चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से उन्हें उनकी असाधारण सफलता पर बधाई देने के लिए बात की। उत्तर कोरिया और व्यापार जैसे दो बेहद महत्वपूर्ण विषयों पर भी उनसे बात की।’

 

चीन-रूस के बीच करार

एक रिपोर्ट की मानें तो चीन और रूस के बीच करार इस साल के अंत तक हो सकता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि चीन बड़ी मात्रा में क्रूड ऑयल इंपोर्ट करता है और अपनी जरूरत का 80 फीसदी विदेशी बाजार से खरीदता है। चीन बड़ी करेंसी क्रूड ऑयल पर खर्च करता है। ऐसे में यह करार चीन के लिए सस्ता क्रूड उपलब्ध कराएगा। साथ ही, डॉलर पर से उसकी निर्भरता कम हो जाएगी। आगे चलकर चीन जल्द ही अन्य तमाम चीजों के लिए भी युआन में भुगतान का करार कर सकता है।

 

डॉलर को दबाना आसान नहीं है

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि डॉलर को हटाकर युआन को लाना चीन के लिए उतना आसान भी नहीं है, क्योंकि चीन की करेंसी ग्लोबली ट्रेड नहीं होती है। युआन का दाम रोजाना सरकार फिक्स करती है, इसीलिए दुनियाभर के देश इसे अपनाएं, ऐसा करना आसान नहीं होगा। दूसरा कारण यह भी है कि चीन के पास कुल 1,14,650 करोड़ डॉलर (करीब 74.52 लाख करोड़ रुपए) के अमेरिकी बॉन्ड्स है। अगर चीन चाहता है वैसा ही होता है, तो डॉलर के रेट कम होंगे। इससे चीन को भी बहुत बड़ा नुकसान होगा। इसलिए चीन का युआन को आगे बढ़ाना मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही होगा।

Created On :   26 Oct 2017 12:43 PM GMT

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