गाजा बॉर्डर पर प्रदर्शन : इजरायली फायरिंग में 16 फिलिस्तीनियों की मौत, 1400 घायल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गाजा-इजरायल बॉर्डर पर फिलिस्तीनी नागरिकों के प्रदर्शन में इजरायली सेना ने फायरिंग कर दी। इस फायरिंग में कम से कम 16 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई, जबकि 1400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। बताया जा रहा है कि ये फायरिंग उस वक्त हुई, जब फिलिस्तीनियों की तरफ से गाजा-इजरायल बॉर्डर पर "ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न" किया जा रहा था। इस मामले पर इजरायल का कहना है कि उसने चरमपंथी संगठन "हमास" को निशाना बनाया है। वहीं फिलिस्तीनी राष्ट्रपति ने मारे गए लोगों के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि यूएन सिक्योरिटी काउंसिल ने इस पूरे मामले के बाद इजरायल को संयम बरतने को कहा है।
बॉर्डर पर क्या-क्या हुआ?
- इजरायली सेना के ट्वीटर अकाउंट से बताया गया था कि गाजा-इजरायल बॉर्डर के पास 5 जगहों पर 1700 से ज्यादा फिलिस्तीनी पहुंचे हुए थे। इसके बाद आसपास के इलाकों में क्लोज्ड मिलिट्री जोन लागू कर दिया गया।
- ज्यादातर प्रदर्शनकारी अपने-अपने कैंप्स में ही रूके हुए थे, लेकिन कुछ लोग इजरायली सेना के बार-बार मना करने के बाद भी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने बॉर्डर पर पेट्रोल बम फेंके और पत्थरबाजी की।
- इसके बाद इजरायली सेना ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग की। येरूशलम पोस्ट के मुताबिक, जो भी लोग बॉर्डर पर मारे गए हैं, वो सभी बॉर्डर को पार करने की कोशिश कर रहे थे। इजरायल ने कहा कि उन्होंने सिर्फ चरमपंथी संगठन हमास को ही टारगेट किया।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलिस्तीनियों की भीड़ को रोकने के लिए इजरायल ने टैंक और स्नाइपर्स का भी इस्तेमाल किया। बताया जा रहा है कि इजरायली सेना ने फिलिस्तीनियों पर आंसू गैस चलाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया।
The Hamas terror organization endangers the lives of Gaza civilians and uses them for the purpose of terror. Hamas is responsible for the violent riots and all aggression from the Gaza Strip
— IDF (@IDFSpokesperson) March 30, 2018
इजरायल का क्या है कहना?
इस पूरे मामले के बाद इजरायल ने सुरक्षा का हवाला देते हुए कहा कि उनकी सेना गाजा बॉर्डर पर नो-गो जोन की देखरेख करती है। इजरायल की तरफ से कहा गया है कि "हमें पहले से ही "लैंड-डे" के दिन हजारों फिलिस्तीनियों के जुटने की आशंका थी, लिहाजा बॉर्डर पर सेना की तैनाती बढ़ा दी गई थी। ताकि फिलिस्तीनियों को बॉर्डर पार करने से रोका जा सके।" इजरायल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि "हो सकता है कि इजरायल से टकराव बढ़ाने के लिए ये सब जानबूझकर किया गया हो। इस तरह के प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से हमास और फिलिस्तीनी नागरिक ही जिम्मेदार हैं।"
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क्यों हो रहा था ये प्रदर्शन?
फिलिस्तीनी नागरिक 30 मार्च को "लैंड डे" के तौर पर मनाते हैं और इस दिन से 6 हफ्ते के लिए "ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न" शुरू करते हैं। ये प्रदर्शन 15 मई तक चलने वाला है। दरअसल, 1976 में इसी दिन जमीन पर कब्जे को लेकर प्रदर्शन कर रहे 6 फिलिस्तीनी नागरिकों को इजरायली सैनिकों ने मार दिया था। उन्हीं की याद में इस दिन को मनाया जाता है। इस दिन को फिलिस्तीनी नकबा (कयामत का दिन) कहते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1948 में इसी दिन इजरायल का गठन हुआ था और हजारों फिलिस्तीनियों को अपना घर छोड़कर जाना पड़ा था। 6 हफ्तों तक चलने वाले इस मार्च के जरिए फिलिस्तीनी वापस जाने की मांग करते हैं।
Created On :   31 March 2018 6:03 AM GMT