कुमारजीव ने चीन में बौद्ध धर्म की दार्शनिक प्रणालियों प्रसार किया : तेजस्वी सूर्या
बीजिंग, 18 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के युवा सांसद युवा सांसद तेजस्वी सूर्या ने चाइना रेडियो इंटरनेशनल (सीआरआई) को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कहा कि कुमारजीव भारतीय बौद्ध भिक्षु व विद्वान थे जो चौथी से पांचवीं सदी के दौरान बौद्ध धर्म को भारत से चीन लेकर आए और चीनी समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उन्होंने संस्कृत सहित कई भाषाओं के बौद्ध धर्मग्रंथों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। कुमारजीव ऐसे विद्वान हैं जिन्होंने अपने बेहतरीन गुणों और बौद्ध धर्म की गूढ़ दार्शनिक प्रणालियों का प्रचार-प्रसार किया।
सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा, भारत में चीन के बारे में सिर्फ एकआयामी समझ है और बहुत-सी पूर्वधारणाएं भी हैं। लेकिन मुझे पिछले 6 दिनों में यह एहसास हुआ है कि हमारे (भारत और चीन) बीच बहुत सारी सांस्कृतिक व सभ्यता समानताएं हैं। हमारा जो साझा सांस्कृतिक इतिहास है, वो दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध के लिए बहुत बड़ा आधार हो सकता है।
हाल ही में, भारतीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के अध्यक्ष तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता तरुण विजय और बंगलुरू दक्षिण से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने सछ्वान विश्वविद्यालय के सहयोग से चीन में महान बौद्ध भिक्षु कुमारजीव के पदचिन्हों को पुनर्जीवित करने के लिए 11,050 किलोमीटर लंबी कुमारजीव सूत्र यात्रा की।
यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं ने कुमारजीव से जुड़े चीन के महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया, जिसमें तुनह्वांग में कुमारजीव मंदिर, कान्सू में वुवेई और शीआन में साओथांग मंदिर शामिल हैं।
पूर्व सांसद तरुण विजय और दक्षिण बेंगलुरु से मौजूदा सांसद तेजस्वी सूर्या की कुमारजीव सूत्र यात्रा का समापन 17 नवंबर (रविवार) को चीन स्थित भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी के साथ हुआ। संगोष्ठी का विषय था कुमारजीव और भारत व चीन की मित्रता में उनका योगदान। संगोष्ठी में पूर्व सांसद तरुण विजय, सछ्वान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर यान शिचिंग, भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या, और शोधकर्ता केइ वेइचुन ने कुमारजीव के बारे में अपने-अपने विचार रखे।
संगोष्ठी के दौरान तरुण विजय ने चीन में बुद्ध के करुणा और भाईचारे के संदेश को फैलाने में कुमारजीव के योगदान के बारे में बात की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और चीन दोनों देशों के बीच विद्वतापूर्ण बातचीत की प्राचीन जड़ें मौजूद हैं। इस संदर्भ में उन्होंने भारत के एक अन्य प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षु बोधिधर्मा का भी उल्लेख किया, जिन्होंने छठी शताब्दी में तमिलनाडु से चीन की यात्रा की थी।
भारत की पाठ्य पुस्तकों में शुअनजांग और फाशियन जैसे चीनी यात्रियों के बारे में पढ़ाया जाता है, जबकि कुमारजीव, जिनका चीनी समाज और संस्कृति पर सबसे बड़ा प्रभाव रहा है, को शायद ही भारत में याद किया जाता है। इस पर तेजस्वी सूर्या ने भारत की शिक्षा प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा, यह हमारा दुर्भाग्य है कि भारत की पाठ्य पुस्तकों में कुमारजीव के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। उन्होंने आशा जताफ कि आने वाले समय में भारत में छात्रों को कुमारजीव और उनके योगदान के बारे में पढ़ाया जाएगा।
भारतीय राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत सांसद तेजस्वी सूर्या ने सीआरआई के साथ खास इंटरव्यू में यह भी कहा कि वह स्वदेश लौटकर भारत के विदेश मंत्री और देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे और कुमारजीव के योगदानों का प्रचार-प्रसार करने का प्रस्ताव रखेंगे। साथ में यह भी कहा कि वह भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक संबंधों को प्रगाढ़ करने वाले सभी विद्वानों व लोगों को सम्मानित किये जाने के प्रावधान की बात भी रखेंगे।
(साभार-चाइना रेडियो इंटरनेशनल, पेइचिंग)
Created On :   18 Nov 2019 10:00 PM IST