लीबिया में सशस्त्र संघर्ष के 1 साल बाद भी युद्धविराम के संकेत नहीं
त्रिपोली, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। राजधानी त्रिपोली पर नियंत्रण के लिए खलीफा हफ्तार की अगुवाई वाली लिबयन नेशनल आर्मी और संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार के बीच सशस्त्र संघर्ष शुरू होने के एक साल बाद भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा संघर्ष विराम के लिए आह्वान के बावजूद लीबिया में लड़ाई जारी है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, 4 अप्रैल, 2019 को हफ्तार की सेना ने शहर पर कब्जा करने और संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार को गिराने के लिएत्रिपोली और उसके आसपास एक सैन्य अभियान शुरू किया था।
शनिवार को, लीबिया के सैन्य विश्लेषक और सेवानिवृत्त आर्मी जनरल अहमद अल-हसनवी ने इस बात से इनकार किया कि लीबियन नेशनल आर्मी का सैन्य अभियान विफल हो गया हैऔर कहा कि इसने हजारों आतंकवादियों को मारा है और उनकी लड़ने की क्षमताओं को कमजोर किया है।
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार ने अपनी सेनाओं पर हमला होने के बाद तुर्की से सैन्य सहायता मांगा और महसूस किया कि त्रिपोली का पतन करीब है।
उन्होंने कहा, तुर्की के हस्तक्षेप के बाद से, जमीनी स्तर पर चीजें बहुत बदल गई हैं।
अल-हसनवी ने कहा कि जनवरी में आर्मी ने अंतर्राष्ट्रीय दबाव के बाद त्रिपोली में संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार को अपनी पकड़ बनाए रखने की अनुमति देने के लिए सहमति व्यक्त की थी।
संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार और तुर्की ने 27 नवंबर, 2019 को सैन्य सहयोग पर दो समझौते किए।
इस सौदे में से एक समुद्री समझौता था जिसने एक ओर तुर्की और दूसरी ओर मिस्र, ग्रीस और साइप्रस के बीच भूमध्यागर क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस खोज को लेकर विवाद पैदा कर दिया था।
मानवीय मामलों के लीबिया विशेषज्ञ मुख्तार त्रबेल्सी ने कहा कि त्रिपोली के युद्ध ने लीबिया को अंधेरे चरण में ला दिया है।
त्रबेल्सी ने सिन्हुआ को बताया, त्रिपोली में आर्मी के कार्रवाई के परिणामस्वरूप एक साल में 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 10,000 घायल हो गए और 150,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।
उन्होंने कहा कि इन खतरनाक संख्याओं के बावजूद, दोनों पक्षों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए बातचीत और स्वीकृति होने की कोई संभावना नहीं है।
विशेषज्ञ ने कहा कि अगर युद्ध कुछ और महीनों तक जारी रहा, तो राजधानी से पांच लाख लोग अपने घरों से पलायन कर जाएंगे, जिससे लीबिया में मानवीय तबाही मचने का खतरा है।
2011 में दिवंगत नेता मुअम्मर गद्दाफी के शासन के पतन के बाद से लीबिया हिंसा और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है।
Created On :   6 April 2020 11:04 AM IST