मोदी ने चीन में दिया नया सुरक्षा मंत्र, बोले- SCO सदस्यों को देंगे पूरा सहयोग
- नए मूल्य के रुप में उभरे सुरक्षा और संपर्क
- दिया जाना चाहिए जोर
- शांति के लिए गनी की पहल को सराहा
- बोले किया जाना चाहिए सम्मानित
- हमेशा से ही पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों का हिमायती रहा भारत
डिजिटल डेस्क, चिंगदाओ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने एससीओ सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत हमेशा से ही पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंधों का हिमायती रहा है। मोदी ने कहा कि सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्रीय मंच से सबसे ज्यादा जोर सुरक्षा और पारस्परिक सहयोग पर दिया जाना चाहिए।
We have again reached a stage where physical and digital connectivity is changing the definition of geography. Therefore, connectivity with our neighbourhood in the #SCO region is our priority: PM Narendra Modi pic.twitter.com/hSRarpKWBE
— ANI (@ANI) June 10, 2018
सुरक्षा के लिए दिया नया मंत्र
इसके लिए पीएम मोदी ने एक नया मंत्र दिया। इसे उन्होंने SECURE नाम दिया। नरेंद्र मोदी ने कहा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 6 कदम उठाने जरूरी हैं। अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद से पीड़ित अफगानिस्तान का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा राष्ट्रपित गनी ने शांति स्थापित करने के लिए जो कदम उठाए हैं। उनको सम्मान मिलना चाहिए। पीएम मोदी ने शनिवार को दो दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचने के बाद सम्मेलन से इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की थी। जिसमें उन्होंने जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय हितों पर विस्तार से चर्चा की।
Only 6% of foreign tourists in India are from SCO countries, this can easily be doubled. Increasing awareness of our shared cultures can help boost this number.We will organize a SCO food festival and a Buddhist festival in India: PM Modi at #SCOSummit in China"s #Qingdao pic.twitter.com/0D2P8PXcJX
— ANI (@ANI) June 10, 2018
कनेक्टिविटी सबसे अहम
नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज हम उस स्थिति में जा पहुंचे हैं, जहां भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी ने भौगोलिक बिलगाव को नए सिरे से परिभाषित करने का दबाव बनाया है। इस लिए हमारा जोर SCO देशों के साथ बेहतर कनेक्टिविटी पर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेहतर संपर्क नहीं होने का ही नतीजा है कि SCO देशों के केवल छह फीसदी पर्यटक ही भारत आते हैं। बहुत थोडे़ प्रयास करने से यह संख्या आसानी से दूनी की जा सकती है। हम अगर अपनी साझा संस्कृति पर जोर दें तो पर्यटकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि हम जल्दी ही भारत में SCO food festival और a Buddhist festival in India का आयोजन करने वाले हैं।
भारत पिछले साल बना SCO का पूर्ण सदस्य
उल्लेखनीय है, भारत पिछले साल ही पाकिस्तान के साथ, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का पूर्ण सदस्य बना है। SCO के पूर्ण सदस्यों में भारत, चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। अफगानिस्तान, मंगोलिया, इरान और बेलारूस पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) हैं।
SCO दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन
उल्लेखनीय है कि SCO में चीन, रूस के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है। भारत का कद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। SCO को इस समय दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन माना जाता है। निश्चित ही SCO से जुड़ने से भारत को फ़ायदा होगा। भारतीय हितों की जो चुनौतियां हैं, चाहे वे आतंकवाद से जुड़ी हों, ऊर्जा आपूर्ति की हों या फिर प्रवासियों का मुद्दा। भारत और SCO दोनों के लिए अहम हैं। पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते कई बार चीन की यात्रा पर गए थे। शंघाई सहयोग संगठन में भारत पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हो रहा है।बीते डेढ़ महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह दूसरी चीन यात्रा है। इससे पहले वह राष्ट्रपति जिनपिंग से अनौपचारिक मुलाक़ात के लिए वुहान पहुंचे थे।
चीन के नए चेहरे के रूप में सामने आया ईरान
मंच पर कई बड़ी कूटिनीतिक बिसातें भी बिछाई जा रही हैं। तीन दिन बाद सिंगापुर में डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन की मुलाक़ात होने वाली है। इस मुलाक़ात को लेकर चीन में चिंता है। चीन को लग रहा है कि कहीं किम और ट्रंप की दोस्ती कुछ ज़्यादा ही गहरी न हो जाए और उत्तर कोरिया में चीन की भूमिका कम हो जाए। ऐसे में अमरीका पर दबाव बनाने का ईरान भी एक मोहरा है। ईरान के राष्ट्रपति के चीन पहुंचने से दो दिन पहले ही चीन ने एक बयान जारी कर कह दिया था कि ईरान के परमाणु समझौते को लेकर अमरीका के क़दम के बाद चीन ईरान का समर्थन करेगा। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी का एससीओ में पहुंचना बहुत महत्व रखता है।
SCO की कूटनीतिक खेमेबंदियां महत्वपूर्ण
चीन के न्यौते के स्वीकार कर रूहानी का चीन पहुंचना एक बड़ा संकेत है। ईरान रूस, चीन और कुछ हद तक भारत के साथ हाथ मिलाकर अमरीका को जबाव देना चाहता है और चीन भी लगभग इसी मौके की ताक में है। अमरीका पर दबाव डालने के बहुत अच्छा तरीका यह भी था कि रूस को शामिल कर लिया जाए। चीन ने यह कर भी दिया है। परमाणु समझौते को लेकर ईरान और अमरीका के बीच जारी तनाव में चीन ने ईरान को समर्थन कर दिया है। ऐसे में एससीओ सम्मेलन के दौरान बनने वाली ये कूटनीतिक खेमेबंदियां, अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं।
Created On :   10 Jun 2018 5:58 AM GMT