शरीफ राजकीय संस्थानों में फूट डालने की कोशिश कर रहे : इमरान

Sharif trying to break into state institutions: Imran
शरीफ राजकीय संस्थानों में फूट डालने की कोशिश कर रहे : इमरान
शरीफ राजकीय संस्थानों में फूट डालने की कोशिश कर रहे : इमरान
हाईलाइट
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इस्लामाबाद, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के नाम से 11 विपक्षी राजनीतिक दलों के सरकार-विरोधी गठबंधन द्वारा अभियान शुरू किए जाने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के एजेंडे के खिलाफ सख्त रवैया अपना लिया है। उन्होंने कहा, पूर्व प्रधानमंत्री सेना, न्यायपालिका और सरकार में फूट डालना चाहते हैं।

पीडीएम की गुजरांवाला में शुक्रवार को आयोजित पहली रैली के मद्देनजर आक्रामक प्रतिक्रिया देते हुए खान ने पूर्व प्रधानमंत्री पर वित्तीय भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही से बचने के प्रयास में दुश्मन के एजेंडे पर चलने का आरोप लगाया।

साफ तौर पर गुस्से में नजर आए खान ने शरीफ को गीदड़ की उपाधि देते हुए उनका मजाक उड़ाया और कहा कि वह अपना दुम दबाकर लंदन भाग गए।

खान ने शरीफ के राजनीतिक करियर के बारे में बोलते हुए कहा, यह वही आदमी है जो पहली बार जनरल (सेवानिवृत्त) गुलाम जिलानी के आशीर्वाद से मंत्री बना था, यह वही आदमी है जो जनरल जियाउल हक के जूते पॉलिश करके मुख्यमंत्री (पंजाब) बना था, यह वही शख्स है जिसे आईएसपी प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) (असद) दुर्रानी से मेहरान बैंक के जरिए करोड़ों रुपये प्राप्त हुए थे, ताकि पीपीपी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए दक्षिणपंथी दलों के गठबंधन को एकजुट किया जा सके।

उन्होंने आगे कहा, जनरल दुर्रानी ने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में यह स्वीकार किया, लेकिन विडंबना यह है कि हमारी अदालतों ने हमेशा उन्हें भागने में मदद की है। ये वो शख्स है जिसने आसिफ अली जरदारी को दो बार जेल में डाला। यह जरदारी ही थे, जिन्होंने जनरल कमर जावेद बाजवा के खिलाफ हुदैबिया पेपर मिल्स केस चलाया था।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य स्थापना के खिलाफ शरीफ की यह टिप्पणी और कुछ नहीं, बल्कि राजकीय संस्थानों के बीच फूट डालने और देश में अस्थिरता फैलाने के लिए दुश्मनी का एक एजेंडा है।

उन्होंने कहा, सरकार में दरार पैदा करने की कोशिश करके शरीफ एक खतरनाक खेल खेल रहा है, सेना और न्यायपालिका पर शरीफ का बार-बार हमला भारतीय कथनों को प्रमाणित करने के लिए है, इसी वजह से उन्हें भारतीय मीडिया में बड़े पैमाने पर कवरेज मिल रहा है।

खान ने कहा, भारतीय मीडिया लोकतंत्र की वकालत करने के लिए शरीफ की तारीफ कर रहे हैं। क्या वे नहीं जानते कि यह नवाज शरीफ हैं, जिनका पालन-पोषण सैन्य तानाशाह जनरल जियाउल हक ने किया था। क्या ये वही नवाज शरीफ नहीं है, जिन्होंने न्यायपालिका पर हमला किया था और इसे खरीदने की कोशिश की थी। वह न्यायपालिका के साथ तभी तक है, जब तक यह उनके पक्ष में है। जब न्यायपालिका हुदैबिया पेपर मिल्स मामले को बंद करती है, तो वह इसकी प्रशंसा करता है, लेकिन पनामा पेपर्स मामले में दोषी पाए जाने पर रोना रोता है। क्या जनरल बाजवा ने पनामा पेपर्स लीक किया?

उन्होंने गुजरांवाला रैली को सर्कस घोषित किया।

उन्होंने कहा, जब आप चोरों का पीछा करते हैं, तो वे एकजुट हो जाते हैं। कल रात वे सभी एक साथ थे।

गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे शरीफ को पिछले साल लंबी बीमारी का इलाज कराने के लिए लंदन जाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने वापस आकर सात साल की जेल की सजा पूरी करने की गारंटी दी थी।

शरीफ और उनकी पीएमएल-एन पार्टी ने हालांकि दावा किया है कि उन पर लगे सभी आरोप राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित हैं।

एमएनएस/एसजीके

Created On :   19 Oct 2020 9:21 AM GMT

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