इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखने को असंवैधानिक बताया
इस्लामाबाद, 6 अप्रैल (आईएएनएस)। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने जेलों में भीड़भाड़ को असंवैधानिक करार देते हुए फैसला सुनाया कि एक कैदी, सरकार और जेल अधिकारियों पर जेल में कैद के दौरान हुए अमानवीय व्यवहार के लिए मुकदमा कर सकता है।
डॉन न्यूज की सोमवार की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने रविवार को संघीय सरकार और इस्लामाबाद के कमिश्नर को जेल मैनुअल प्रावधानों के पालन करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और संधियों में कैदियों के कल्याण से संबंधित निर्देशों का पालन करने के लिए निर्देश जारी किए।
आईएचसी के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनल्लाह द्वारा लिखित 38-पृष्ठ के फैसले में कैदियों को रखे जाने की खतरनाक स्थिति, आपराधिक न्याय प्रणाली में खामियां और कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार के बारे में बताया गया।
अदालत ने कहा, असहनीय और चौंकाने वाले अमानवीय और अपमानजनक तरीके को कार्यवाही में उजागर किया गया है।
डॉन न्यूज रिपोर्ट के अनुसार, सेंट्रल जेल रावलपिंडी के कैदियों द्वारा दायर याचिकाओं पर यह आदेश जारी किया गया।
कैदियों ने दावा किया कि वे अदालतों का उपयोग नहीं कर सकते हैं और जेल अधिकारियों द्वारा उनकी दुर्दशा की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करने के प्रयास में दंडित किए जाने की आशंका है।
देश की जेलों में अभी 73,721 कैदी हैं जबकि पाकिस्तान की सभी जेलों की अधिकृत क्षमता 55,634 कैदियों की है।
देश भर के 73,721 कैदियों में से 60 प्रतिशत से अधिक को किसी भी अदालत ने दोषी नहीं ठहराया है।
बड़ी संख्या में कैदी एचआईवी, क्षय रोग, हेपेटाइटिस और मानसिक रोगों जैसी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।
Created On :   6 April 2020 3:30 PM IST