दुनिया से एटमी हथियारों के खात्मे का पहला कदम उठा सकता है UN

United Nations set to adopt treaty outlawing nuclear weapons
दुनिया से एटमी हथियारों के खात्मे का पहला कदम उठा सकता है UN
दुनिया से एटमी हथियारों के खात्मे का पहला कदम उठा सकता है UN

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस एवं अन्य परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों के विरोध के बावजूद UN आज परमाणु हथियारों को प्रतिबंधित करने से संबद्ध एक वैश्विक संधि को स्वीकार करने वाला है।

संधि के समर्थक इसे ऐतिहासिक उपलब्धि बता रहे हैं, लेकिन परमाणु हथियारों से लैस देशों ने इस प्रतिबंध को यथार्थ से परे बताते हुए इसे खारिज कर दिया है। उनकी दलील है कि 15,000 परमाणु हथियारों के वैश्विक जखीरे को कम करने पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। ऑस्ट्रिया, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड के नेतृत्व में 141 देशों ने संधि को लेकर तीन सप्ताह चली चर्चा में हिस्सा लिया। यह संधि परमाणु हथियारों के विकास, उनके भंडारण या इनके इस्तेमाल की धमकी पर सम्पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।

भारत ने नहीं लिया हिस्सा

बहरहाल, इसके पैरोकारों को उम्मीद है कि यह परमाणु सम्पन्न देशों को निशस्त्रीकरण के लिये और अधिक गंभीरता से दबाव डालने में इजाफा करेगा। इसे स्वीकार किए जाने की पूर्व संध्या पर कोस्टारिका की राजदूत एवं संधि को लेकर UN सम्मेलन की अध्यक्ष एलेन व्हाइट गोमेज ने कहा, यह ऐतिहासिक पल होगा। एलेन ने इसे मानवता के लिये जवाबदेही बताते हुए कहा, वि इस कानूनी मानदंड के लिये 70 वर्ष से इंतजार कर रहा है। परमाणु हथियार सम्पन्न नौ राष्ट्रों - अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, भारत, पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और इस्राइल में से किसी देश ने इन चर्चा में हिस्सा नहीं लिया। यहां तक कि वर्ष 1945 में परमाणु हमलों का दंश झेल चुके जापान ने भी इन चर्चा का बहिष्कार किया और अधिकतर नाटो देशों ने भी ऐसा ही किया।

बचाव का बहाना 

परमाणु सम्पन्न देशों की दलील है कि उनके ये हथियार परमाणु हमले के खिलाफ बचाव के लिये हैं और वे परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को बनाये रखने के लिये प्रतिबद्ध हैं। दशकों पुरानी एनपीटी में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने पर जोर दिया गया है, साथ ही अपने परमाणु जखीरे में कमी लाने का दायित्व भी इन परमाणु सम्पन्न देशों पर है। संधि को अंगीकृत किये जाने के बाद 20 सितंबर तक हस्ताक्षर प्रक्रिय होगी और 50 देशों की पुष्टि के बाद यह प्रभाव में आ जायेगा। UN महासभा में दिसंबर में हुए मतदान के दौरान 113 देशों ने इस नयी संधि पर वार्ता शुरू करने के पक्ष में मतदान किया था, जबकि 35 देशों ने इसका विरोध किया था और 13 ने खुद को इससे अलग रखा था।

Created On :   7 July 2017 6:50 AM GMT

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