पाकिस्तान में 2015 के मुकाबले 2021 में 42 प्रतिशत बढ़ी हिंसा

Violence in Pakistan increased by 42 percent in 2021 compared to 2015
पाकिस्तान में 2015 के मुकाबले 2021 में 42 प्रतिशत बढ़ी हिंसा
सुरक्षा रिपोर्ट 2021 पाकिस्तान में 2015 के मुकाबले 2021 में 42 प्रतिशत बढ़ी हिंसा
हाईलाइट
  • बलूचिस्तान में मौतों में हुई 80 प्रतिशत की वृद्धि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वर्ष 2015 के बाद से लगातार गिरावट के बाद, 2021 में पाकिस्तान में हिंसा में 42 प्रतिशत की खतरनाक वृद्धि हुई है। सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज की वार्षिक सुरक्षा रिपोर्ट 2021 में यह दावा किया गया है। इस्लामाबाद थिंक टैंक ने कहा कि पाकिस्तान में हिंसा से संबंधित हताहतों की संख्या में 2015 के बाद से स्थिर दर के साथ ही गिरावट आई थी, जो एक साल पहले कुछ हद तक कम हुई थी, लेकिन 2021 में फिर से नाटकीय रूप से तेज हो गई है।

पाकिस्तान में 2021 में हिंसा से संबंधित 853 मौतें (पिछले साल 600 से अधिक) और 1,690 घायल होने के मामले देखे गए हैं, जिसमें लगभग 42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह ऐसे मामले हैं, जो कि सीधे हिंसा से संबंधित घटनाओं से जुड़े हुए हैं। हिंसा से संबंधित सभी मौतों का लगभग 75 प्रतिशत दो प्रांतों  केपी (एफएटीए सहित) और बलूचिस्तान से दर्ज की गई है। देश में हिंसा से होने वाली कुल मौतों में से, पंजाब प्रांत में 8 प्रतिशत का योगदान है, इसके बाद सिंध का स्थान है।

पिछले साल की मौतों की तुलना में आईसीटी और जीबी को छोड़कर सभी क्षेत्रों में हिंसा में तेजी से वृद्धि हुई है, बलूचिस्तान में हिंसा से संबंधित मौतों में शुद्ध रूप से 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी अनुपात में इस साल सुरक्षा अभियान और आतंकी हमले दोनों बढ़े हैं। इस वर्ष के दौरान कुल 146 सुरक्षा अभियान चलाए गए, जिसमें 298 अपराधी मारे गए। इसमें पिछले वर्ष के आंकड़ों के मुकाबले 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई है। इसके विपरीत पिछले साल के 260 हमलों की तुलना में 403 आतंकवादी हमले हुए। पिछले साल दो आत्मघाती हमलों की तुलना में इस साल (2021) चार आत्मघाती हमले हुए। इन हमलों में इस साल जहां 20 लोग मारे गए, वहीं पिछले साल 10 लोग मारे गए थे। थिंक टैंक ने कहा कि इस साल (2021) पाकिस्तान के सुरक्षाकर्मियों की मौत में 41 प्रतिशत से अधिक की खतरनाक वृद्धि देखी गई है।

पिछले साल सुरक्षाकर्मियों की मौत में 18 फीसदी की गिरावट आई थी। वहीं दूसरी ओर कानून का उल्लंघन करने वालों (आतंकवादियों, विद्रोहियों और अपराधियों सहित) को भी मृत्यु दर में 26.5 प्रतिशत की वृद्धि का सामना करना पड़ा, जबकि हिंसा के पीड़ितों की सबसे बड़ी संख्या नागरिकों की रही। कुल मिलाकर, नागरिक और सुरक्षा कर्मियों के जीवन का संयुक्त नुकसान कुल मृत्यु का 74 प्रतिशत रहा, जबकि अपराधियों, हिंसा के मुख्य अपराधियों को कुल मौतों का एक चौथाई हिस्सा भुगतना पड़ा था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगान में तालिबान की सफलता ने देश के भीतर और बाहर से सक्रिय पाकिस्तानी आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाया है।

अफगान आतंकवादियों और यहां तक कि अफगान तालिबान के एक सदस्य के पाकिस्तान में हिंसा में शामिल होने की सूचना मिली है, जिसमें 15 लोग मारे गए थे। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के विरोध प्रदर्शनों के कारण हुई भीड़ की हिंसा में 13 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1,056 लोग घायल हो गए, जिनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी थे। टीएलपी के विरोध से प्रेरित होकर कुछ किशोरों ने भी कानून अपने हाथ में लिया और धर्म के नाम पर हिंसक हमले किए। पेशावर के बाजीदखेल इलाके में एक किशोर ने एक अहमदी होम्योपैथिक डॉक्टर की हत्या कर दी और दो अन्य ने लय्याह में लब्बैक या रसूल अल्लाह के नारे लगाते हुए एक अहमदी हेड मास्टर को घायल कर दिया।

 

(आईएएनएस)

Created On :   4 Jan 2022 6:00 PM GMT

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