दुनिया में हर दूसरा बच्चा इन पांच तरह के रोगों से है पीड़ित, जानिए कैसे करें इससे बचाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में 5.74 से 8.82 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इसके अलावा हार्ट डिजीज, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आदि तकलीफें भी बच्चों को अपना शिकार बना रही हैं। बच्चों की सेहत को लेकर माता-पिता अक्सर चिंतित रहते हैं। उनकी यह चिंता बच्चे के जन्म के साथ ही शुरू हो जाती है, लेकिन सच तो यह है कि बच्चे की सेहत का ख्याल तभी से रखना चाहिए जब उसका जन्म भी ना हुआ हो यानी जब वह अपनी मां के गर्भ में हो। वर्ल्ड हेल्थ डे यानी विश्व स्वास्थ्य दिवस को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको बताएंगे कि भारत में इस समाया बच्चों को सबसे अधिक किन बीमारियों से जूझना पड़ रहा है और इसके बचाव के लिए पेरेंट्स क्या करें।
एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी रिपोर्ट के अनुसार भारत में 5.74 से 8.82 फीसदी स्कूली बच्चे मोटापे का शिकार हैं। ठीक से पका हुआ नहीं और बाहर का जंक फूड दोनों खाने से बच्चों में मोटापे जैसी समस्या बढ़ रही है। इसके अलावा हार्ट डिजीज, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, आदि तकलीफें जो कभी बड़ों को ही होती थीं, उन्होंने भी बच्चों का अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन खराबी लाइफस्टाइल के चलते 5 ऐसी बीमारियां सामने आई हैं जिसका शिकार देश में हर दूसरा बच्चा हो रहा है।
मोटापा
शारीरिक वजन का अधिक बढ़ जाना ओबेसिटी यानी मोटापे की समस्या का जन्म देता है। बच्चों में यह समस्या उनकी हाइट और उम्र, इन दो पैमानों को ध्यान में रखते हुए तय की जाती है। ओबेसिटी के कारण ही बच्चों में हार्ट डिजीज, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
अस्थमा
केवल जन्म के बाद ही नहीं, बच्चे के जन्म से पहले ही यदि गर्भ में उसकी देखभाल ठीक से ना की गई हो तो ऐसा बच्चा अस्थमा का शिकार जल्दी हो जाता है। भारत में अस्थमा से ग्रसित बच्चों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती चली जा रही है जिसमें प्रदूशान तो सबसे बड़ा कारण है ही। लेकिन साथ ही प्रेगनेंसी के दौरान ठीक देखभाल ना होना और गर्भवती मां का लाइफस्टाइल सही ना होना, दोनों ही कारण मुख्य हैं।
एलर्जी
विभिन्न प्रकार की स्किन प्रॉब्लम और स्किन एलर्जी आजकल बच्चों को जन्म के साथ ही होने लगती है। इसमें एक्जिमा और हीव्स मुख्य दो ऐसी बीमारियां हैं जो समय के साथ बढ़ रही हैं। बच्चों को खाद्य पदार्थों से, धुल-मिट्टी से, जानवरों (पालतू भी) से और दवाइयां आदि चीजों से एलर्जी हो जाती है। अगर समय से इसके पहचान ना हो और इलाज ना किया जाए तो यह एलर्जी उनकी बॉडी में बैठ जाती है और उम्र भर परेशान करती है।
अनीमिया
खून की कमी बच्चों में तब से हो सकती हैं जब से वे पैदा भी नहीं हुए थे। प्रेग्नेंसी के दौरान यदि बच्चे तक खून का प्रवाह सही से ना पहुंचे तो वे अनीमिया का शिकार हो सकते हैं। लेकिन इसके अलावा बच्चों में खून की कमी होने का दूसरा सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल। पौष्टिक भोजन ना लेना, आउटडोर खेलों से दूरी (क्योंकि आजकल बच्चे घर के अन्दर ही गैजेट्स से खेलते हैं, जिसकी वजह से बॉडी मूवमेंट नहीं हो पाता है) और भरपूर नींद ना लेना। आजकल बच्चे देर रात तक गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं।
मानसिक दबाव
स्ट्रेस यानी तनाव के चलते आजकल बच्चों में मानसिक दबाव बनने लगता है। यह तनाव कई कारणों से आता है: पढ़ाई का प्रेशर, शारीरिक कमजोरी, कोई गंभीर बीमारी आदि। इस तनाव के कारण बच्चों का मानसिक और शारीरिक दोनों के विकास में खलल पड़ता है।
Created On :   7 April 2018 12:06 PM IST