जलेबी से समोसे तक कुछ भी नहीं है भारतीय, जानें कहां से आया समोसा  

जलेबी से समोसे तक कुछ भी नहीं है भारतीय, जानें कहां से आया समोसा  

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। भारतीय खाने के दीवाने होते हैं। तेज मसालेदार और लज्जत से भरा भोजन देखते ही भारतीयों के मुंह में पानी आ जाता है। यहां लोगों की सुबह चाय-समोसे से शुरू होती है और दोपहर दाल चावल से महकती है। शाम जलेबी और गुलाब जामुन से मीठी होती है और रात राजमा राइस के जायके के साथ खत्म होती है। आमतौर पर ये सारे पकवान भारतीय माने जाते हैं लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि खाने पीने की जिन चीजों से हमारा इतना लगाव है, वो असल में भारतीय नहीं हैं। भारत कई संस्कृतियों वाला देश हैं और इनमें से कई तो एशिया के दूर दराज के हिस्से से यहां पहुंची थी। हमारे खाने पर भी इनका असर देखने को मिलता है। चलिए आज आपको हम ऐसे ही कुछ पकवानों के बारे में बताते हैं जो तबियत से तो हिंदुस्तानी हो चुके हैं लेकिन असलियत में हैं नहीं।

 

 

राजमा

राजमा और चावल के लिए दीवानगी सिर्फ उत्तर भारत में ही नहीं है बल्कि देश के कई हिस्सों में इसे चाव से खाया जाता है। राजमा का स्वाद ही कुछ ऐसा है कि ये सभी को भाता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि राजमा भारतीय नहीं है। इसे सबसे पहले मेक्सिको में उगाया गया और बाद में इसे पुर्तगालियों द्वारा यूरोप ले जाया गया। फिर भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट से ये भारत पहुंचा, लेकिन इस बात में कोई शक नहीं है कि राजमा की जो डिश आज हम खाते हैं उसे पंजाबियो ने ही ऐसा रंग और स्वाद दिया है।

 

 

दाल-चावल 

आमतौर पर ये माना जाता है कि चावल भारत में प्राचीनकाल से खाया जा रहा है, लेकिन इस पर सभी एकमत नहीं है। कई विद्वानों के अनुसार चावल चीन से यहां पहुंचा। वैसे ही चावल को दाल के साथ मिक्स कर खाने का चलन भी यहां नेपाल से आया है। आज देश के सारे राज्यों में दाल और चावल को शौक से खाया जाता है और स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें अचार भी डाला जाता है।

 

 

समोसा

आज दुनिया भर में भारतीय समोसे की एक खास पहचान बन चुकी है। भारत में नाश्ते के लिए या स्नैक्स के तौर पर समोसे का खूब सेवन किया जाता है। असल में समोसा भी भारतीय नहीं है। भारत में पहली बार दसवीं शताब्दी में अरबों के द्वारा इसे लाया गया था। अरब में समोसे को साम्बुसक कहते हैं जिसमें मांस भरा हुआ होता है, लेकिन भारत में आते ही इसमें बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिला। भारतीयों ने मांस की जगह इसमें मसालेदार आलू भरकर इसे और लजीज बना दिया।

 

 

गुलाब जामुन 

गुलाब जामुन को देखते ही हमारे मुंह में पानी आ जाता है। ये भारत की पसंदीदा मिठाईयों में से एक है। गुलाब जामुन को मुस्लिम सुल्तानों और बादशाहों के द्वारा ईरान से भारत लाया गया था। मूल पर्शियन डिश का नाम "लुकमत-अल कादि" था और बाद में इसका नाम, गुलाब रखा गया। असल में इसका नाम दो फारसी शब्द गुल (फूल) और अब (पानी) से बना है।

 

 

जलेबी

जलेबी पहली बार मिडिल ईस्ट में बनाई गई थी। वहां इसे अभी भी "जुलबीआ" के नाम से जाना जाता है। जलेबी के शौकीन सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि उत्तर और पूर्वी अफ्रीकी देशों में भी पाए जाते हैं।  

Created On :   3 April 2018 1:16 PM IST

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