आर्टिफीशियल स्ट्रेटनिंग बालों को करती है डैमेज, जानें इसके साइड इफेक्ट्स
डिजिटल डेस्क। आज कल लड़कियां अलग-अलग लुक के लिए बालों के साथ काफी एक्सपेरिमेंट करती हैं। कर्लिंग, स्ट्रेनिंग, कलरिंग और भी ना जाने क्या-क्या चीजें ट्राई करती हैं।अगर आपके बाल भी नैचरली स्ट्रेट नहीं हैं और स्ट्रेट बाल वालों को देखकर आपका भी मन करता है बालों को सीधा करवाने का और दोस्तों की बातें मानकर आप भी हेयर स्ट्रेटनिंग करवाने की सोच रही हैं तो रुक जाइए। घर पर ही हेयर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल कर बालों को स्ट्रेट करना हो या फिर सलून जाकर केमिकल ट्रीटमेंट के जरिए बालों को सीधा करवाना- ये दोनों ही तरीके आपके बालों को डैमेज कर देते हैं क्योंकि हेयर स्ट्रेटनिंग के कई साइड इफेक्ट्स हैं।
- हेयर स्ट्रेटनर यूज करने से पहले बालों में हीट प्रोटेक्टेंट जरूर लगाएं। इससे आपके बाल डैमेज होने से बच जाएंगे।
- बालों को हर दिन स्ट्रेट करने की बजाए हीट टूल का इस्तेमाल सिर्फ सप्ताह में 2 बार करें। इससे ज्यादा स्ट्रेटनर का इस्तेमाल बालों को डैमेज कर सकता है।
- गीले बालों में स्ट्रेटनर का इस्तेमाल बिलकुल न करें और स्ट्रेटनर यूज करते वक्त टेंपरेचर को लो या मीडियम सेटिंग पर रखें।
स्ट्रेटनिंग का एक और बहुत बड़ा साइड इफेक्ट यह है कि बाल जब रूखे हो जाते हैं तो बालों की नैचरल चमक खत्म हो जाती है और बाल अनहेल्दी दिखने लगते हैं। इसकी बहुत बड़ी वजह यही है कि स्ट्रेटनिंग से हुए डैमेज की वजह से स्कैल्प में मौजूद नैचरल ऑइल खत्म हो जाता है और बिना मॉइश्चर के बाल रूखे और नीरस दिखने लगते हैं।
जरुरत से ज्यादा केमिकल और स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल करने की वजह से न सिर्फ आपके बाल बल्कि स्किन पर भी इसका असर पड़ता है। जब स्ट्रेटनिंग की वजह से बड़ी संख्या में हेयर फॉलिकल यानी कूप को नुकसान पहुंचता है तो बालों में इतना नैचरल ऑइल नहीं बचता कि स्कैल्प को मॉइश्चराइज रखा जा सके। नतीजतन स्कैल्प ड्राई हो जाता है और उसमें खुजली होने लगती है। साथ ही उसमें परत भी जम सकती है जिससे डैंड्रफ होने का खतरा रहता है।
जब स्ट्रेटनिंग की वजह से बाल ड्राई और अनमैनेजेबल हो जाते हैं तो जाहिर सी बात है उनके टूटने और झड़ने का सिलसिला भी शुरू हो जाता है। केमिकल ट्रीटमेंट के साथ ही हीट टूल यानी घर में इस्तेमाल होने वाले स्ट्रेटनर दोनों ही तरीकों पर यह लागू होता है। बालों को आर्टिफिशल तरीकों से स्ट्रेट करने की वजह से बालों की लट कमजोर हो जाती है और आसानी से टूटने लगती है। साथ ही बाल टूटने की वजह से बालों में स्प्लिट एंड्स की समस्या भी बढ़ जाती है।
स्ट्रेटनिंग से न सिर्फ आपके बाल ड्राई और रूखे हो जाते हैं बल्कि फ्रिजी भी हो जाते हैं यानी बेतरतीब ढंग से उलझ जाते हैं और ऐसा लगता है कि आपके बाल आउट ऑफ कंट्रोल हो गए हैं। बार-बार कंघी करने के बाद भी बाल खड़े-खड़े से लगते हैं और इन्हें स्टाइल करना मुश्किल हो जाता है। स्ट्रेटनिंग का यह सबसे बड़ा नुकसान है क्योंकि इस तरह के बाल स्ट्रेट या घुंघराले बाल दोनों में से किसी कैटिगरी में नहीं आते और देखने में बहुत ज्यादा खराब लगते हैं।
इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके बाल किस टाइप के हैं, हेयर स्ट्रेटनिंग का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट है बालों का ड्राई होना। फिर चाहे केमिकल ट्रीटमेंट करवाएं या फिर हेयर स्टाइलिंग के तौर पर स्ट्रेटनर का इस्तेमाल करें... इन दोनों ही तरीकों से बालों का नैचरल ऑइल खत्म होने लगता है और बाल बहुत ज्यादा ड्राई यानी रूखे होने लगते हैं। साथ ही बालों का लचीलापन भी कम होने लगता है जिससे बाल नाजुक और खुरदरे हो जाते हैं।
Created On :   22 Sept 2018 11:49 AM IST