ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर ना दिखाएं शर्म, मां और बच्चे दोनो को होते हैं कई फायदे
डिजिटल डेस्क । पिछले दिनों ब्रेस्ट फीडिंग कराते एक फोटो को लेकर मलयाली मॉडल,कवि, लेखक और एयर होस्टेस गीलु जोसफ को काफी ट्रोल किया गया था। दरअसल मलयाली मैग्जीन के कवर पर छपी फोटो में गीलु बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करा रही हैं। मैग्जीन के मार्केट में आते ही बवाल मच गया। किसी ने इसे गलत बतया तो किसी सराहना की। वहीं गीलु ने इसे एक प्राकृतिक कदम बताया और कहा कि इसमें "शर्म की कोई बात नहीं है।" ये तो सभी जानते है कि बच्चे के लिए मां का दूध कितना जरूरी है, फिर भी भारतीय समाज में इसे घृणा की नजरों से देखा जाता है। इसे लेकर जब भी कोई महिला आगे आती है हमेशा ही इस पर समाज दो भागों में बंटा नजर आता है।
स्तनपान या ब्रेस्ट फीडिंग नवजात के आहार का सबसे महत्वूपर्ण हिस्सा रहा है। स्तनपान से ना केवल बच्चे को बल्कि मां को भी कई तरह के फायदे होते हैं। ब्रेस्ट फीडिंग केवल बच्चे के आहार के लिए जरूरी नहीं है। इससे नवजात को शुरुआती 6 महीनों तक सारे जरूरी पोषक तत्व तो मिलते ही हैं साथ ही इससे बच्चे को बीमारियों से लड़ने में भी मदद मिलती है। इसी वजह से "अमेरिकन एकैडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स" का परामर्श है कि बच्चे को 6 महीनों तक कम से कम मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए। कई स्टडीज से ये बात भी सामने आई है कि ब्रेस्ट फीडिंग से बच्चे के अलावा मां की सेहत को भी कई फायदे पहुंचते हैं। आइए जाानते है ब्रेस्ट फीडिंग के फायदों के बारे में...
बच्चे को कई तरह की बीमारियों से बचाता है
इस संबंध में हुई कई स्टडीज से यह बात साबित हो चुकी है कि स्टोमक वायरस, श्वसन संबंधी समस्याएं, कई तरह के संक्रमण उन बच्चों को कम होते हैं जिन्हें स्तनपान कराया जाता है। बच्चे को 6 महीनों तक ठीक तरह से ब्रेस्ट फीडिंग कराने पर बाद के सालों में बच्चों को कई बीमारियों से सुरक्षा प्राप्त हो जाती है। जैसे- टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल की उच्च मात्रा, आंत संबंधी बीमारियां होने का खतरा घट जाता है।
एलर्जी से बच्चों को सुरक्षा कवच
जिन बच्चों को गाय या सोया दूध पिलाया जाता है, उन्हें ब्रेस्ट फीड कराए गए बच्चों की तुलना में एलर्जी होने की संभावना ज्यादा रहती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने वाले फैक्टर जैसे सीक्रेटरी IgA बच्चे की आंत को सुरक्षा कवच प्रदान करते हैं जो एलर्जी होने से रोकता है। जब ये सुरक्षा नहीं मिलती है तो आंत की दीवार लीक हो सकती है।
बच्चों की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है
कई रिसर्च से पता चला है कि ब्रेस्ट फीडिंग और बच्चे की बौद्धिक क्षमता का गहरा नाता है। 17,000 नवजातों पर एक सर्वे कराया गया था जिसमें जन्म से लेकर 6.5 साल की उम्र तक उन पर अध्ययन किया गया। इस स्टडी में पाया गया कि ब्रेस्ट फीडिंग बच्चे के बौद्धिक विकास पर गहरा असर डालती है। स्तनपान कराने से बच्चे की सूझबूझ का स्तर बढ़ता है। एक्सपर्ट के मुताबिक, मां और बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होने से जहां ब्रेन पावर बढ़ती है वहीं मां के दूध में मौजूद फैटी एसिड भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बच्चे को मोटापे से बचाता है
स्तनपान से बच्चे को मोटापे का खतरा कम हो जाता है। 17 स्टडीज के विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि बच्चे को स्तनपान कराने से युवावस्था में मोटापे का रिस्क कम हो जाता है। ये भी निष्कर्ष निकाला गया कि जिन बच्चों को लंबे समय तक मां का दूध पिलाया गया, उनके मोटापे से ग्रस्त होने की संभावना उतनी ही कम थी।
नवजात की अचानक मृत्यु का खतरा कम होता है
2009 में प्रकाशित एक जर्मन स्टडी के मुताबिक, स्तनपान कराने से सडेन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम (SIDS) का रिस्क कम हो जाता है। रिसर्चरों के मुताबिक, 1 महीने तक लगातार बच्चे को मां का दूध पिलाने से SIDS का खतरा आधा हो जाता है।
मां का तनाव घटाता है
कई स्टडीज में यह बात भी साबित हो चुकी है कि जिन मांओं ने बहुत जल्दी अपने बच्चों को स्तनपान कराना बंद कर दिया, उन्हें डिप्रेशन होने का खतरा ज्यादा था। कई महिलाओं ने ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान तनाव घटने की बात स्वीकार की। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग से ऑक्सीटोसिन हार्मोन निकलता है जो रिलैक्स होने और तनाव घटाने के लिए जाना जाता है।
कई तरह के कैंसर होने का खतरा कम होता है
ऐसी कई स्टडीज हुई हैं जो बताती हैं कि जितना लंबे समय तक महिलाएं स्तनपान कराती हैं, उतना ज्यादा वे ब्रेस्ट और ओवरियन कैंसर से सुरक्षा प्राप्त करती हैं।
Created On :   17 April 2018 10:23 AM IST