इस कारण रिलेशनशिप में कमिटमेंट करने से बचती हैं लड़कियां
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आजकल देखने में आ रहा है कि लड़के-लड़कियां एक दूसरे के साथ रिलेशनशिप में तो पड़ जाते हैं, लेकिन उसे निभाने के लिए जब कमिटमेंट करने की बात आती है तो दोनों में से कोई एक अपनी बात से पलट जाता है। अगर आपको लगता है कि सिर्फ़ पुरुष ही कमिट्मेंट करने से डरते हैं तो आप गलत हैं, क्योंकि आजकल महिलाएं भी ऐसा करती नजर आ रही हैं। रिलेशनशिप को लेकर जब वे सीरियस नहीं होती है तो कमिटमेंट करने से बचती हैं।
देखा जाता है कि कुछ युवतियां पारिवारिक और सामाजिक नियमों का पालन करती हैं। वे एक स्थाई जीवनशैली चाहती हैं। ऐसी युवतियां अगर प्रेम में पड़ती भी हैं तो वे सबसे पहले इस चीज को प्राथमिकता देती है कि कहीं उनकी फैमिली तो उनसे छूट नहीं रही या फिर उनके प्रेमी का करियर स्थायी है या नहीं। अगर इनमें से कोई भी चीज मैच नहीं खाती है तो युवतियां अपने किए हुए कमिटमेंट से पलट जाती हैं।
कई बार यह भी देखा गया है कि कुछ लड़कियां अपनी किसी सहेली की शादी का बैड एक्सपीरियंस या फिर उसकी शादी में फैमिली का न शामिल होना देखकर घबरा जाती है और उन्हें लगने लगता है कि कहीं मैंने भी अगर लव मैरिज का कदम उठाया तो मेरी भी फैमिली न छूट जाए। इसलिए कुछ महीनों या सालों के रिलेशनशिप को दरकिनार करने हुए युवतियां ऐसे किसी युवक से शादी करना पसंद करती हैं जिसे उनकी फैमिली ने चुना हो। ऐसे में वह यह भूल जाती है कि उनके इस तरह पलट जाने पर किसी की मानसिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
महिलाओं में अपने कमिटमेंट से पीछे हट जाने पर कई बार रिसर्च की गई है। काउंसलिंग के जरिए मनोचिकित्सकों ने बताया कि जो महिलाएं स्वतंत्र और आत्मनिर्भर हैं, वह अपने आदर्शों से किसी भी प्रकार का सौदा नहीं करना चाहती हैं, इसलिए कई बार कमिटमेंट से पलट जाती है। कुछ लड़कियों को रिलेशनशिप में रहने के दौरान ही समझ में आ जाता है कि वह स्वतंत्र रूप से उस व्यक्ति के साथ नहीं रह पाएंगी, इस परिस्थिति में वे बदल जाती हैं।
कमिट्मेंट फोबिया ही एकमात्र कारण नहीं है, जिसकी वजह से अधिकतर महिलाएं अकेले जीवन जीना पसंद करती है। बल्कि कुछ युवतियों का ऐसा नेचर स्वाभाविक पाया गया है। जो अपने रहन-सहन में किसी तरह का बदलाव पसंद नहीं करती हैं। इसलिए देखने में आ रहा है कि शादी से दूर भागने वाली महिलाओं की संख्या में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।
बता दें कि एक मशहूर किताब "किस ऐंड रन" की लेखिका एलिना फ़रमैन, जो ख़ुद भी कमिट्मेंट फ़ोबिक थीं, उन्होंने अपनी किताब के माध्यम से महिलाओं के कमिट्मेंट फोबिक बिहैवियर से परिचित करवाने का प्रयास किया है। यह किताब कमिट्मेंट फोबिया के डर से बाहर निकलने में सहायता करती है।
1. लड़कियां अपने करियर को शादी से ज्यादा जरूरी मानने लगी हैं, जिस कारण वह जल्दी कमिटमेंट करने से बचती है।
2-शादी के बाद की ढेरों जिम्मेदारियों से कुछ लड़कियां बचती है। इसलिए जल्दी शादी और कमिटमेंट में पड़ने से बचती हैं।
3-आजकल लड़कियां शादी करने से ज्यादा अपनी पहचान बनाना जरूरी समझती हैं। इस कारण जब कमिटमेंट की बात आती है तो वह पलट जाती है।
Created On :   17 Nov 2017 2:32 PM IST