जानिए प्रेग्नेंसी से जुड़ी कुछ खास बातें, जिनकी महिला को जरूरी तौर होना चाहिए जानकारी
डिजिटल डेस्क । कई बार महिलाओं को सुरक्षित संबंध बनाने के बाद भी प्रेग्नेंसी का डर सताता रहता है। कई बार तो वो डर की वजह से प्रेग्नेंसी टेस्ट भी नहीं करती हैं। दरअसल हर स्त्री सही वक्त पर ही प्रेग्नेंट होना चाहती है। जब वो मेंटली इसके लिए प्रिपेयर ना हो तो वो कतई नहीं चाहेगी कि वो मां बने। आमतैर में प्रेग्नेंसी कंसीव हुई या नहीं इसका पता गर्भधारण करने के डेढ़ महीने बाद ही पता चलता है, लेकिन कभी-कभी ये तब 3 महीने तक पता नहीं चल पाता कि महिला प्रग्नेंट है या नहीं, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि गर्भधारण के बाद शरीर में कुछ बदलाव होते हैं जिन पर अगर ध्यान दिया जाय तो प्रेग्नेंसी का पता काफी पहले लगाया जा सकता है। आइए जानते है उन बदलावों को।
- प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमेस्टर में महिलाओं में खून की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है और किडनी से अधिक मात्रा में द्रव निकलता है जिसकी वजह से महिलाएं सामान्य से अधिक मूत्रत्याग करती हैं।
- प्रोजेस्टरोन हार्मोन की वजह से वक्ष की मैमरी ग्लैंड्स में बढ़ोत्तरी होती है इससे वक्ष में कड़ापन या हल्का दर्द महससू होता है। ये प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक माना जाता है।
- प्रेग्नेंट होने पर स्त्री के शरीर में कई बदलाव आते हैं। इसकी वजह से महिलाओं को सामान्य से अधिक थकान होने लगती है। सामान्य से अधिक थकावट और रात में भी बार-बार मूत्रत्याग के लिए जाना प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षणों में से एक है।
- प्रेग्नेंट महिलाओं का मन HCG हार्मोन की वजह बहुत मिचलाता है और बार-बार उल्टी करने का मन होता है। इसे भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
- जब महिलाओं को खाने के प्रति अनिच्छा महसूस होने लगे तो उन्हें संभल जाना चाहिए। एक दिन तो समझ आता है, लेकिन इससे अधिक होने पर ये आपके प्रेग्नेंट होने का लक्षण हो सकता है।
क्यों प्रेग्नेंसी के वक्त होते है फॉल्स लेबर पेन
गर्भवती महिलाओं में समय से पहले होने वाली प्रसव-पीड़ा के लिए गर्भस्थ शिशु की प्रतिरोधी क्षमता में विकास एक वजह हो सकती है। इस बात का आकलन एक हालिया शोध के नतीजों में किया गया है। कई ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जब गर्भ की परिपक्वता के 37वें सप्ताह के पूर्व गर्भवती महिलाओं की तकलीफ बढ़ जाती है, जिस कारण समय से पहले प्रसव हो जाता है। शोध के नतीजों में पाया गया कि कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि भ्रूण की प्रतिरोधी क्षमता जाग्रत हो जाने से वो माता के गर्भ के परिवेश को स्वीकार करना बंद कर देता है, जिस कारण गभार्शय में संकुचन पैदा होता है। शोधकतार्ओं के मुताबिक भ्रूण की प्रतिरोधी क्षमता के कारण गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव-पीड़ा ( फॉल्स लेबर पेन) होने लगती है।
Created On :   3 May 2018 8:32 AM IST