डांट से नहीं इन तरकीबों से बच्चों से मनवाएं अपनी बात 

Explain your point in these ways rather than scolding children
डांट से नहीं इन तरकीबों से बच्चों से मनवाएं अपनी बात 
डांट से नहीं इन तरकीबों से बच्चों से मनवाएं अपनी बात 

 

 

डिजिटल डेस्क । बच्चे होते हैैं तो घर की रौनक और भी बढ़ जाती है। बच्चों की हंसी, मस्ती और नादानियों को देख किसी का भी मन हल्का हो जाता है, लेकिन कभी-कभी उनकी शैतानियों से मां-बाप इतने तंग आ जाते हैं कि उन पर हाथ उठा देते हैं। पुराने वक्त में बच्चों पर हाथ उठाना ये एक आम बात थी, लेकिन अब समय बदल गया है। अब बच्चों पर हाथ उठाना उनकी भावनाओं को हर्ट करने जैसा होता है। बच्चे जल्दी एग्रसिव हो जाते है। ऐसे में पेरेंट्स को ये समझ नहीं आता है कि बच्चों को कैसे डील किया जाए, उन्हें कैसे समझाया जाए या कैसे उनसे अपनी बात मनवाई जाए? अगर आपके मन भी इसी तरह के सवाल है और बच्चों को लेकर चिंतित रहते हैं तो जान लेते हैं आज के बच्चों को किसी तरह से टेकल करना चाहिए। 

 

बच्चे का ध्यान खींचिए

 

आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी सुनें तो सबसे पहले उनका अटेंशन पाने की कोशिश करिए। जब वो आप पर ध्यान देंगे तभी आपकी बात सुन पाएंगे। आपकी बात उनके लिए केवल एक आवाज है, आप क्या कहती हैं, उससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है, तो सवाल उठता है कि आप अपने बच्चों का अटेंशन कैसे पाएंगी?जब आप अपने बच्चे से कुछ कह रही हों तो बैकग्राउंड में किसी भी तरह का शोर नहीं होना चाहिए। टीवी, म्यूजिक, वीडियो गेम्स, खिलौने आदि को हटा दें। बच्चों से दूर से नहीं बल्कि उनके पास जाकर अपनी बात कहें। दूसरे कमरे से अपनी बात ना कहें। बातचीत करने से पहले अपने बच्चे की हाइट के अनुसार झुक जाएं। अगर हो सकें तो बैठ जाएं और उनकी आंखों में आंखें डालकर बात करें। जब वे आपसे बात कर रहे हों तो आप जो काम कर रही हैं, उसे छोड़ दें और ध्यान से उनकी बात सुनें।

 

स्पेसेफिक रहें

 

आपको जो बात कहनी है, उसी पॉइंट पर रहकर बात करें। बहुत ज्यादा लंबे वाक्य और बड़े-बड़े शब्दों का इस्तेमाल ना करें। घुमा-फिराकर बात ना करें और सरल और सीधे शब्दों में उनसे अपनी बात कहें। कई बार बच्चों को इसलिए भी आपकी बातें याद नहीं रहती हैं क्योंकि आपने बहुत लंबा निर्देश दिया था और उनके दिमाग से आपकी बात निकल गई।

एक समय पर एक ही निर्देश दें तभी वो आपकी हर बात को मानेगा। अगर आफ एक ही बार में अपने बच्चों को कई सारे निर्देश देना चाहती हैं तो इंतजार करें कि वह पहले एक काम खत्म कर ले। अगर आपको सारे निर्देश एक बार में ही देने हैं तो नंबरों का इस्तेमाल करें ।

 

 

उनसे पूछें नहीं बल्कि बताएं

 

बेटा, क्या तुम नमक पास कर सकते हो? इसका जवाब हां या ना में हो सकता है। अगर आप चाहती हैं कि आपका बच्चा आपकी बात माने तो उनसे पूछे नहीं बल्कि कहें।

 

 

वक्त और सब्र

 

अधिकतर स्कूलों में टीचर्स वेट टाइम के कॉन्सेप्ट में यकीन रखते हैं। जब आप अपने बच्चे से कुछ कहें तो उन्हें कम से कम 7-8 सेकेंड का समय दें ताकि वे आपकी बात समझ सकें। इसी ट्रिक से बच्चे स्कूल में बातें मानते हैं. कुछ बच्चों को इससे ज्यादा समय लग सकता है। अगर आपका बच्चा तुरंत जवाब नहीं देता है तो जरूरी नहीं है कि वो आपकी बात को नजरअंदाज कर रहा है. वह यह सोच रहा होता है कि उसे क्या और कैसे जवाब देना है। इस वक्त में आप चिल्लाने ना लग जाएं। उन्हें थोड़ा सा टाइम दें ताकि उनके दिमाग में डेटा प्रोसेस हो सकें।

 

 

बच्चों को विकल्प दें

 

सभी बच्चे हर निर्देश का पालन करने वाले नहीं होते हैं। जब आप उन्हें कुछ कहने के लिए कहती हैं तो वे आपकी बात मानने से इनकार कर देते हैं और विद्रोही हो जाते हैं। खासकर जब वे टीनेज में पहुंचते हैं। आप उन्हें चॉइस की ताकत दीजिए। उन्हें विकल्प दीजिए। 

 

 

अपनी एक्सपेक्टेशन तय करें

 

नियम और उम्मीदें एक बच्चे से अपनी बात मनवाने के लिए बहुत जरूरी हैं।आप अपने बच्चों से बात करते वक्त उन्हें दृढ़ तरीके से बताएं कि आप उनसे क्या उम्मीद करती हैं। आप अपनी उम्मीदों की एक लिस्ट बनाकर फ्रिज या दरवाजे पर चिपका सकती हैं। आप इसे समय समय पर बदलते रहें लेकिन इन नियमों में ढील ना दें। आप बच्चों से इन पर बहस में कतई ना पड़ें।

 

 

उनकी तरह से महसूस करें

 

कई बार थोड़ा सा उनकी तरह से सोचना, उनकी जगह पर खुद को रखकर देखने से चीजें बहुत हद तक सुधर सकती हैं। जैसे- अगर आप कहती हैं कि अपनी बहन से मारपीट करना बंद करो की जगह कहें- मैं समझती हूं कि तुम्हारी बहन ने तुम्हारे खिलौने तोड़कर तुम्हें दुख पहुंचाया है लेकिन किसी को मारना भी अच्छी बात नहीं है। अपने बच्चे से बात करने से पहले फिर से खुद को कूल करने का वक्त लें। अगर आप उन पर चिल्लाना हैं तो आपका बच्चा भी अपना बचाव करने की कोशिश में बहस और लड़ाइयां करना सीख जाएगा जिससे स्थिति और खराब होती चली जाएगी।

 

 

अपने बच्चों से एक मजबूत बॉन्ड बनाएं

 

आपके बच्चों के साथ आपका रिश्ता कितना मजबूत है, इससे भी यह निर्धारण होता है कि आपका बच्चा आपकी बात सुनेगा या नहीं। बच्चा अपने पैरेंट्स के नजदीक रहना चाहता है तो अपने बच्चे के साथ मजबूत बॉन्ड बनाएं। एक ऐसा रिश्ता जिसमें प्यार हो, दोस्ती हो और सम्मान हों। अगर आपका अपने बच्चे के साथ रिश्ता अच्छा है तो आपका बच्चा आपकी अधिकतर बातें मानेगा क्योंकि वो तब आपकी और आपकी बातों की परवाह करने लगता है।

 

 

उनके व्यवहार पर ध्यान दें

 

समस्या बच्चों में नहीं, उनके व्यवहार में है। इसलिए जब आप अपने बच्चे को कुछ समझाना या सिखाना चाहती हैं तो आप उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें सजा देने से बचें। चिल्लाने के बजाए आप उनसे धीमी आवाज में बार-बार कहें कि प्लीज इसे बंद करो। वो मत करो। जब वो आपकी बात सुन लेते हैं तो उन्हें शाबाशी दें और उन्हें गले लगाकर प्यार करें। कभी -कभी अच्छे काम करने पर उन्हें घुमाने ले जाएं या फिर कोई और छोटे-छोटे इनाम दें।

 

 

अगर फिर भी आपको गुस्सा आ जाए

 

अंत में आपको ये याद रखना होगा कि इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता है। इसलिए अगर आपको अपने बच्चे पर गुस्सा आ जाता है और आप उन पर चिल्लाने को मजबूर हो जाती है तो इसमें दुखी होने की जरूरत नहीं है। आफ खुद को इसके लिए दोषी करार ना दें, लेकिन आपको अपनी इस गलती को सुधार लेना चाहिए। जब गुस्सा शांत हो जाए तो अपने बच्चे से चिल्लाने के लिए माफी मांगें, लेकिन साथ ही आप अपने बच्चे को यह भी बताएं कि उन्हें अपने व्यवहार को सही करना होगा। उन्हें क्यों ऐसा नहीं करना चाहिए, इसके पीछे की वजह भी बताएं।

 

 

उनकी मदद करें

 

जब आप बच्चे के साथ उनकी मदद करने लग जाती हैं तो वे भी आपकी नकल करते हुए वही काम करने लगते हैं।

 

 

Created On :   30 March 2018 11:01 AM IST

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