बच्चे की करनी है बेहतर परवरिश तो पहले माता-पिता खुद बनें मानसिक रूप से मजबूत

For better upbringing of children, parents should Become mentally strong
बच्चे की करनी है बेहतर परवरिश तो पहले माता-पिता खुद बनें मानसिक रूप से मजबूत
बच्चे की करनी है बेहतर परवरिश तो पहले माता-पिता खुद बनें मानसिक रूप से मजबूत

डिजिटल डेस्क । जब घर में बच्चे की किलकारी गूंजती है तो सभी परिवार के सभी सदस्यों को मानों एक खिलौना मिल जाता है। हर कोई उसके साथ वक्त बिताना और उसके साथ खेलना चाहता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है तो फैमिली के हर मेंबर की छाप उस पर नजर आने लगती है, लेकिन घर में चाहे कितनी भी लोग हों बच्चे पर सबसे ज्यादा असर माता-पिता का ही होता है। चाहे बच्चा दादा-दादी का लाडला, चाचा-चाची का दुलारा और बुआ-मौसी की आंखों का तारा हो, लेकिन माता-पिता ही उसे एक मानसिक रूप से परिपक्व इंसान बना सकते है। बच्चो को कैसी परवरिश देनी है, उसे कैसा इंसान बनाना है ये सिर्फ माता-पिता पर ही निर्भर करता है। 

माता-पिता को अपने बच्चों की परवरिश करते हुए कुछ बातों को ख्याल रखना होगा, जिससे उनका बच्चा मानसिक रूप से मजबूत बने। इसके लिए ये भी जरूरी है कि बच्चे के माता-पिता भी मानसिक रूप से मजबूत हो। हम आपको बताने जा रहे हैं कि मानसिक रूप से मजबूत माता-पिता किन बातों का ख्याल रखते हैं। 

- उम्मीद रखना अच्छा है, लेकिन बच्चों से हद से ज्यादा उम्मीद करना गलत होता है। मानसिक रूप से मजबूत परिजनों को पता होता है कि उनका बच्चा जो भी काम करता है, उन सबमें वो अच्छा प्रदर्शन नहीं करता। वो अपने बच्चे को दूसरों से अच्छा बनाने की बजाय, उसी को निखारते हैं। बच्चे का लक्ष्य पाने में उसकी मदद करते हैं। 

 

 

- अनुशासन जिंदगी का अहम हिस्सा है। मानसिक रूप से मजबूत परिजन अनुशासन और सजा में गुमराह नहीं रहते। वो अपने बच्चों को सजा की बजाय आत्म अनुशासन सीखाना पसंद करते हैं।

 

 

- अगर आप कहते हैं, "मैं मेरे बच्चों पर वजन नहीं डालना चाहता। बच्चों को बच्चा ही रहना चाहिए।" तो ये मानसिक रूप से मजबूत परिजनों की पहचान नहीं होती। परिजन अपने बच्चों से ये उम्मीद करते हैं कि वो जीवन में संघर्ष का सामना करें और एक जिम्मेदार नागरिक बनें। 

 

 

- मानसिक रूप से मजबूत परिजन अपने बच्चों को गलतियां करने से नहीं रोकते। गलतियां से हमें सीख मिलती है। अगर उनका बच्चा अपने होमवर्क में कुछ गलती करता है या फिर अपने स्कूल बैग को पैक करते हुए कुछ सामान घर छोड़कर चला जाता है तो यह उन्हें आगे के लिए एक सीख मिलेगी।  गलतियां करने पर बच्चों को अपने काम का नतीजा मिलेगा, ऐसे में उन्हें आगे के लिए सीख मिल जाएगी। 

 

 

- बच्चे को चोट लगते या फिर संघर्ष करते देखना दुखदायी होता है। लेकिन बच्चों को पहले प्रैक्टिस करना चाहिए और उसके परिणाम देखना चाहिए।  मानसिक रूप से मजबूत परिजन अपने बच्चों को कोई भी काम करने देना चाहिए। उसके नतीजे का बच्चे को खुद सामना करना देना चाहिए। परिजनों को अपने बच्चों को सपोर्ट करना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि उन्हें खुद पर भरोसा बढ़े, ताकि जिंदगी में वे संघर्ष का सामना कर सकें। 

 

Created On :   21 May 2018 8:25 AM IST

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