राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान व्हाट्सएप के जरिए उन्नति की राह पर हिमाचल के किसान

Himachal farmers on path of progress through WhatsApp during nationwide bandh
राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान व्हाट्सएप के जरिए उन्नति की राह पर हिमाचल के किसान
राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान व्हाट्सएप के जरिए उन्नति की राह पर हिमाचल के किसान

विशाल गुलाटी

शिमला, 26 मई (आईएएनएस)। कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी बंद का हिमाचल प्रदेश में कृषि क्षेत्रों और बागवानी के क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है। प्रदेश में करीब 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास जमीन है।

राज्य के कृषि विभाग ने राष्ट्रव्यापी बंद के इस समय को डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से उत्पादकों के साथ जुड़ने के अवसर के रूप में लिया है।

प्रदेश के कुल 5,676 किसानों को वर्तमान समय में संचार के उपयोगी माध्यम व्हाट्सएप के साथ पंजीकृत किया गया है। विभाग द्वारा इसका उपयोग समय-समय पर उनकी समस्याओं और मुद्दों को हल करने के लिए किया जा रहा है।

प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक राजेश्वर सिंह चंदेल ने आईएएनएस को बताया, कुल 94 व्हाट्सएप एग्रीकल्चर ग्रुप (कृषि समूह) को ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर सक्रिय कर दिया गया है। कृषि अधिकारी वीडियो कॉलिंग के माध्यम से उनके मुद्दों को हल करने किसानों के बीच पहुंच रहे हैं और इसके साथ ही उन्हें प्राकृतिक खेती पर सुझाव भी दे रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार, 89.96 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। कृषि और बागवानी कुल कार्यबल के लगभग 69 प्रतिशत को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करते हैं।

चंदेल ने कहा कि अब तक 5,676 किसान इन समूहों से जुड़े हैं। उनमें से 80 व्हाट्सएप ग्रुप ब्लॉक स्तर पर, 12 जिला स्तर पर और दो राज्य स्तर पर बनाए गए हैं।

प्रत्येक ब्लॉक में तीन अधिकारी, परियोजना निदेशक और विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ जिला स्तर पर राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान फोन के माध्यम से किसानों के साथ निरंतर संपर्क में रहते हैं।

चंदेल ने कहा कि बंद के दौरान किसानों की समस्याओं का हर संभव समाधान ऑनलाइन उपलब्ध कराया जा रहा है।

किसानों को समय-समय पर व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से प्राकृतिक तरीके अपनाकर फसल सुरक्षा के बारे में सलाह दी जाती है।

अब तक राज्य में 54,000 किसान प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान के तहत सुभाष पालेकर की शून्य बजट प्राकृतिक खेती तकनीक में शामिल हो चुके हैं।

इस योजना के तहत, वे व्यक्तिगत रूप से और स्वयं सहायता समूह बनाकर सब्जियों और अन्य फसलों को प्राकृतिक खेती के माध्यम से विकसित कर रहे हैं।

अभी तक 70,000 से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। फिलहाल राज्य में 2,151 हेक्टेयर जमीन पर प्राकृतिक खेती की जा रही है।

Created On :   26 May 2020 4:30 PM IST

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