मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत का विश्व में चौथा नंबर पर
डिजिटल डेस्क । गर्मियां शुरु होते ही मम्मियों की टेंशन सबसे पहले शुरू होती है। यही वक्त होता है जब बच्चे स्कूल और बुक्स से दूर रहकर, प्लेग्राउंड में लंबा वक्त बिताते है। अपनी एक्स्ट्रा स्किल्स को बढ़ाते है। स्वीमिंग सीखना हो, ग्राउंड में पसीना बहाना हो या किसी रूम में बैठ कर गाने का रियाज करना हो, लेकिन घर से दूर खुले में बच्चों पर मच्छरों का अटैक उन्हें कई चीजों से रोकता है। क्योंकि बच्चे हर जगह लापरवाह होते है। उनके आस-पास कितने जर्म्स होते है वो खुद नहीं जानते है। कहीं से भी पानी पी लेना या किसी से भी हाथ मिला लेना। ऐसे में कई बीमारियां होने के चांसेस होते है। खास कर मच्छरों से होने वाली बीमारियों के। क्योंकि इन्हीं दिनों में मच्छरों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है वो भी शाम के वक्त। इसलिए ये जरूरी है कि हम मच्छरों से होने वाली बीमारियों को समझे और उनसे निपटने का प्रयास करें। मच्छरों से ज्यादातक डेंगू और मलेरिया होता है। सरकार के तेज अभियानों और लोगों की जागरूकता की वजह से डेंगू के मामलों में कमी आई है, लेकिन मलेरिया के आंकड़े चौंकाने वाले है।
क्या आप जानते है कि मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत का विश्व में चौथा स्थान है। । छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और उड़ीसा जैसे राज्यों में मलेरिया के सबसे ज्यादा मामलों की सूचना मिली है। भारत ने 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और 2030 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मलेरिया के मामलों का पता लगाने और एक बड़ा जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
जानलेवा रक्त रोग है मलेरिया
मलेरिया प्लाज्मोडियम पैरासाइट यानी परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रक्त रोग है। ये ऐनाफिलीज मच्छर के काटने से मनुष्यों में संचरित होता है। जब संक्रमित मच्छर इंसान को काटता है, तो परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित और नष्ट करने से पहले मेजबान के लिवर में मल्टीप्लाई हो जाता है। भारत में अब भी मलेरिया मॉनिटरिंग सिस्टम बेहद कमजोर है। विभिन्न स्तरों पर प्रयासों के बावजूद, ये बीमारी अभी भी एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है।
मलेरिया के लक्षण
- बुखार और ठंड लगना
- बेहोशी जैसी स्थिति होना
- गहरी सांस लेने में परेशानी
- सांस लेने में दिक्कत
- असामान्य रक्तस्राव
- अनीमिया के लक्षण और पीलिया
सावधानियां बरतें
- मलेरिया के मच्छर घर में एकत्रित ताजे पानी में पनपते हैं। इसलिए घर और आस-पास के क्षेत्रों में पानी जमा न होने दें।
- मच्छर चक्र को पूरा होने में 7-12 दिन लगते हैं, इसलिए, यदि पानी स्टोर करने वाला कोई भी बर्तन या कंटेनर सप्ताह में एक बार ठीक से साफ नहीं किया जाता है तो उसमें मच्छर अंडे दे सकते हैं।
- मच्छर मनी प्लांट के पॉट में या छत पर पानी के टैंकों में अंडे दे सकते हैं। यदि वे ठीक तरह से ढंके न हों तो खतरा ज्यादा है।
- यदि छत पर रखे पक्षियों के पानी के बर्तन हर हफ्ते साफ नहीं होते हैं, तो मच्छर उनमें अंडे दे सकते हैं।
- रात में मच्छरदानी, या मच्छर भगाने की क्रीम का उपयोग मलेरिया को रोक नहीं सकता क्योंकि ये मच्छर दिन के समय काटते हैं।
- मलेरिया के मच्छर आवाज नहीं करते हैं। इसलिए, जो मच्छर ध्वनि उत्पन्न नहीं करते हैं, वे बीमारियों का कारण बनते हैं।
Created On :   29 April 2018 8:55 AM IST