कृषि प्रधान भारत की आधे से ज्यादा आबादी खाती है मांस-मछली : सर्वे
- बावजूद इसके भारत की आधे से ज्यादा आबादी मांसाहारी है।
- NIN डाइटरी गाइडलाइन्स के मुताबिक
- एनिमल प्रोटीन शाकाहार से प्राप्त होने वाली प्रोटीन से उच्च गुणवत्ता वाली होती है क्योंकि इसमें जरूरी अमीनो एसिड उचित अनुपात में होता है
- जबकि शाकाहार में पाई जाने वाली प्रोटीन में जरूरी अमोनी एसिड की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती है।
- इंडियास्पेंड के सर्वे के मुताबिक
- करीब 80% भारतीय पुरुष और 70% भारतीय
डिजिटल डेस्क। ये सभी जानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश हैं और हमारे देश में सभी अनाज, फल, सब्जी, मसाले, चाय, कॉफी और औषधियों की पैदावार की जाती है। देश में इतना अनाज उगाया जाता है जो डेढ़ अरब लोगों का पेट तो भरता है ही, साथ ही अन्य देशों के लोगों तक भी हमारा अनाज पहुंचाया जाता है। बावजूद इसके भारत की आधे से ज्यादा आबादी मांसाहारी है। ये जानकर शायद कई लोगों को झटका लगेगा, क्योंकि केवल पूरी दुनिया में एक हमारा ही देश ऐसा होगा जहां कई लोग अंडा तक नहीं खाते और मांसाहार की बदबू से नाक-मुंह सिकुड़ लेते हैं। इतना ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार अपनी विचारधारा के अनुरूप देश में शाकाहार को बढ़ावा दे रही है। भारतीय रेलवे ने हाल ही में महात्मा गांधी की जयंती पर सभी ट्रेनों में शाकाहार मैन्यू लागू भी किया था। यूपी में भी अवैध तरीके से चल रहे बूचड़खानों के खिलाफ कार्रवाई हुई और कई बूचड़खाने बंद कर दिए गए। देश के कई हिस्सों में बीफ के मुद्दे पर भी जमकर विवाद हुए है,लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे में खुलासा हुआ है।
दरअसल, इंडियास्पेंड के सर्वे के मुताबिक, करीब 80% भारतीय पुरुष और 70% भारतीय महिलाएं, अनियमित तौर पर अंडा, मछली, चिकन या मीट का सेवन करते हैं। इंडियास्पेंड ने नेशनल हेल्थ डेटा का एनालिसिस करके ये निष्कर्ष निकाले हैं। हालांकि, किसी का शाकाहारी होना है या नहीं, ये वो खुद ही तय करते हैं।
हालांकि सर्वे में ये भी साफ किया गया कि इन लोगों की नियमित डाइट में शाकाहार ही शामिल है जैसे-दूध, दही, दालें, बीन्स या ग्रीन लीफ और हरी पत्तेदार सब्जियां। नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 (NFHS-4) के मुताबिक, कुल 42.8 % भारतीय महिलाएं और 48.9% पुरुषों ने साप्ताहिक तौर पर मछली, चिकन या मांस का सेवन किया। भारत में मांसाहार सेवन के मामले में महिलाओं से ज्यादा पुरुष आगे हैं। 10 महिलाओं में से करीब 3 महिलाएं (29.3%) अंडा और (29.9%) महिलाएं चिकन, फिश या मीट नहीं खाती हैं जबकि पुरुषों की बात करें तो 10 में से 2 ही पुरुष अंडा (19.6%) और चिकन, फिश या मीट (21.6%) नहीं खाते हैं।
धर्म की बात करें तो मांसाहार के मामले में ईसाई सबसे ज्यादा आगे हैं। ईसाइयों की कुल पुरुष आबादी में 71.5% लोग अंडा खाते हैं जबकि 75.6% लोग मांस का सेवन करते हैं। वहीं ईसाई महिलाओं का यह प्रतिशत अंडा-64.7% और मांस 74.2% रहा। इसके बाद मुस्लिम आबादी का नंबर आता है। मुस्लिम पुरुष आबादी में 66.5% अंडा और 73.1% मांस का सेवन करती है। वहीं, मुस्लिम महिलाओं में यह प्रतिशत 59.7% और 67.3% था।
मांसाहार पर बंटा भारत
हाल ही में परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक तस्वीर ट्वीट की थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था। इस तस्वीर में जंक फूड के साथ अंडा-मांस को रखते हुए ये संदेश देने की कोशिश की गई थी कि "इस तरह के खाने से मोटापा बढ़ता है।" इस तस्वीर को बाद में डिलीट कर दिया गया।
वहीं 2015 में मध्य प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर जैन समुदाय के दबाव में आंगनवाड़ी में परोसे जाने वाले भोजन में अंडे को बैन कर दिया था।
जहां एक तरफ मांसाहार का विरोध किया जा रहा है वहीं, नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (NIN), हैदराबाद प्रोटीन रिच फूड जैसे मिल्क, मीट, फिश, एग खाने की सलाह देता है। NIN डाइटरी गाइडलाइन्स के मुताबिक, एनिमल प्रोटीन शाकाहार से प्राप्त होने वाली प्रोटीन से उच्च गुणवत्ता वाली होती है क्योंकि इसमें जरूरी अमीनो एसिड उचित अनुपात में होता है, जबकि शाकाहार में पाई जाने वाली प्रोटीन में जरूरी अमोनी एसिड की गुणवत्ता उतनी अच्छी नहीं होती है।
Created On :   4 Jun 2018 8:28 AM IST