नेपाल की शेषकलो पांडे ने इस कुरीति को किया चैलैंज, आज करती हैं खुद का बिजनेस

Nepal girl seshkalo pandey challange to child marriage and become a entrepreneur
नेपाल की शेषकलो पांडे ने इस कुरीति को किया चैलैंज, आज करती हैं खुद का बिजनेस
नेपाल की शेषकलो पांडे ने इस कुरीति को किया चैलैंज, आज करती हैं खुद का बिजनेस

डिजिटल डेस्क, काठमांडू। कहते हैं इंसान के अंदर जज्बा हो तो वह क्या नहीं कर सकता है। इसी जज्बे की एक मिसाल पेश की है नेपाल की रहने वाली शेषकलो पांडे ने, जिन्होंने न सिर्फ बाल विवाह जैसी कुरीति को चैलेंज किया बल्कि अपने जैसी और लड़कियों को भी आत्मनिर्भर बनाया और कम उम्र में शादी किए जाने के डर से मुक्ति दिलाई। शेषकलो के माता-पिता उनकी शादी महज 14 साल की उम्र में ही कर देना चाहते थे, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं स्कूल जाते समय उनकी बच्ची के साथ कोई अनहोनी न हो जाए। हालांकि उनका एक पिता के नाते ऐसा सोचना बुरा नहीं हैं, जिस तरह से आज समाज परिवर्तित हो रहा है आए दिन बच्चों के साथ ऐसी घटनाएं हो रही है किसी भी पिता के मन में यह डर घर कर जाना लाजमी है कि कहीं उनकी बेटी की इज्जत से कोई खिलवाड़ न कर दें।

स्कूल की फीस देने में असमर्थ थे पिता
शेषकलो अपने मन में उजले भविष्य की कल्पना गढ़ रही थीं, लेकिन उनके माता-पिता को लगा कि जितनी जल्दी हो सके उनकी शादी कर देनी चाहिए। इससे उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। शेषकलो के साथ कई लड़कियों की शादी कम उम्र में करा दी गई थी। इसलिए उनके माता-पिता को लगा कि शेषकलो की भी पढ़ाई छुड़वाकर शादी करा देनी चाहिए। चूंकि काठमांडू में स्कूलों की फीस इतनी थी कि शेषकलो के पिता उसे देने में असमर्थ थे। इस बात का विरोध करते हुए शेषकलो माता-पिता के सामने जमकर रोईं और चार दिनों तक खाना नहीं खाया। शादी के ख्याल से शेषकलो को लगने लगा कि उसे किसी अंधकार में धकेला जा रहा है। 

 

 

शेषकलो ने शादी का विरोध करते हुए अपने भाई से सहायता ली, और माता-पिता से याचिका की कि उन्हें एक मौका दिया जाए वह कुछ करना चाहती हैं, लेकिन उनके माता-पिता कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थे। किसी तरह उन्होंने सभी को मनाकर कुछ रुपए लिए और हैंडिक्रॉफ्ट का सामान बनने का काम शुरू किया। फिर एक दिन उनके पिता एक पुरानी जंग लगी साइकिल लेकर आए, जिसे खरीदने में उन्होंने पूरी बचत खर्च कर दी थी।

भाई से ली आर्थिक मदद
चूंकि शेषकलो कई औरतों को इस काम को करते देखती थीं तो उनके भी दिमाग में यह आइडिया आया और भाई से कुछ आर्थिक मदद ली। पिता ने भी कर्ज ली गई रकम को जल्द ही चुका दिया और 6 महीने की स्कूल की फीस भर दी, और कहा कि बस इतना ही समय है तुम्हारे पास यदि तुम फेल हुई तो फिर शादी करनी पड़ेगी। शेषकलो के पास और कोई चारा भी नहीं बचा था। इसके बाद उन्होंने रंगीन पेपर और ग्लू खरीद कर कुछ काम शुरू किया। शेषकलो की हिम्मत देखकर उनके भाई ने उनका साथ दिया।  

अन्य लड़कियों को भी करती हैं प्रेरित

जब भाई ने साथ दिया तो शेषकलो के माता-पिता की जिद भी शांत पड़ गई। पिता ने साइकिल देते हुए कहा कि जब तुम कमाने लग जाओ तो मुझे इसके पैसे लौटा देना। इसके बाद से शेषकलो का काम शुरू हो गया और गांव की कई लड़कियां उनसे मदद मांगने आने लगीं। शेषकलो ने भी बेझिझक सबकी मदद की और दूसरी लड़कियों के माता पिता से आग्रह किया कि वे कम उम्र में अपनी बेटियों को शादी के जंजाल में न फंसा कर उन्हें पढ़ने में मदद करें और आत्मनिर्भर बनाए।  

 

शेषकलो ने स्कूल जाना जारी रखा है, उनकी प्राचार्या लाल चंद्रा पांडे का कहना है कि शेषकलो पहली ऐसी लड़की हैं जिसके लिए हमें प्राइमरी क्लास से कुर्सी लेनी पड़ी थी। शेषकलो का कहना है कि बाल विवाह जैसी कुरीति का खात्मा धीरे-धीरे ही सहीं, लेकिन जरूर होगा। आज भी कई जगहों पर ऐसी लड़कियां है जो इसका शिकार हो रही हैं। 17 साल की शेषकलो आज स्कूल जाने से पहले 4 बजे उठतीं हैं और कागजों से हैंडमेड चीज़ें बनाकर अपना जीवन आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं।   
 

Created On :   17 Nov 2017 10:54 AM GMT

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