कोरोना से ठीक होने वाले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को अभी भी कई परेशानियाँ, लंग्स डैमेज से लेकर डिप्रेशन तक

People over 50 years old recovering from corona still have many problems, lame damage
कोरोना से ठीक होने वाले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को अभी भी कई परेशानियाँ, लंग्स डैमेज से लेकर डिप्रेशन तक
कोरोना से ठीक होने वाले 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को अभी भी कई परेशानियाँ, लंग्स डैमेज से लेकर डिप्रेशन तक

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना के नए मरीज कम मिल रहे हैं, वहीं संक्रमण से मुक्त होने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन क्या ये मरीज पॉजिटिव होने के पहले जैसे स्वस्थ हुए हैं? इस सवाल उन युवाओं के लिए भले हाँ में हो जिन्हें पहले से कोई क्रॉनिक बीमारी नहीं थी। वहीं 50 साल से अधिक उम्र वाले वो लोग वायरस के दुष्प्रभाव से अभी भी पीडि़त हैं, जिन्हेें पहले से कोई न कोई बीमारी थी। कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के बाद ये मरीज अभी भी साँस की तकलीफ सहित कई तरह की परेशानियों से जूझ रहे हैं, कई सप्ताह बीतने के बाद भी इन्हें दवाइयों के सहारे रहना पड़ रहा है। विशेषज्ञ इसे पोस्ट वायरल इंपेक्ट मान रहे हैं जिसमें शरीर का जो अंग पहले से कमजोर था उसे वायरस ने और बीमार कर दिया है। इसका नतीजा है कि हार्ट, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, अस्थमा, किडनी आदि के मरीज पहले जैसी हालत  में नहीं पहुँच पा रहे हैं। 
कार्डियक फेलियर के चांस ज्यादा 
कोविड मरीजों का इलाज करने वाले मेडिकल कालेज के डॉ. दीपक वरकड़े बताते हैं कि कई हफ्तों पहले डिस्चार्ज होने वाले मरीज अभी भी वायरस के प्रभाव से बीमार हैं। वे कई तरह की परेशानियों को लेकर इलाज के लिए आते हैं। इनमें अधिकांश डायबिटीज और दिल के मरीज हैं। वायरस के लंग्स में इन्फेक्शन होने से साँस लेने में तकलीफ होती है, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलने पर हार्ट फेलियर होने की संभावना ज्यादा होती है। कई ऐसे मामले हैं जिनमें कोरोना पॉजिटिव हुए मरीज की मौत डिस्चार्ज होने के कुछ दिनों बाद ही कार्डियक अरेस्ट से हुई है। 
लंग्स डैमेज कर रहा वायरस 
किसी क्रॉनिक बीमारी से ग्रस्त होने वाले मरीजों पर डिस्चार्ज होने के कई दिनों बाद तक वायरस अपना असर दिखा रहा है। मरीजों के लंग्स पर इसका पहला असर होने के कारण ऐसे मरीजों को कई हफ्तों तक साँस की तकलीफ देखी जा रही है। वहीं बाद में किडनी, लीवर की भी परेशानी वाले मरीज भी मेडिकल पहुँच रहे हैं। 
हो सकता है 
दोबारा संक्रमण 
डॉ. वरकड़े का कहना है कि जो पॉजिटिव हो चुके हैं वे इस भ्रांति में न रहें कि अब वे दोबारा संक्रमित नहीं हो सकते। इस वायरस की इम्यूनिटी तीन महीने की है, इसके बाद यह दोबारा भी पॉजिटिव कर सकता है। 


 

Created On :   2 Nov 2020 10:20 AM GMT

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