Report: भारत में लॉकडाउन के दौरान बड़े घरेलू हिंसा के केस, जानें क्या है वजह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) की ओर से घरेलु हिंसा के मामलों के आंकड़े जारी किए गए हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के तहत लागू लॉकडाउन (Lockdown) के कारण घरेलू हिंसा (Domestic Violence) के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले दो महीनों में उत्तराखंड (Uttarakhand) में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा के मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बाद हरियाणा (Haryana) दूसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (New Delhi) इस मामले में तीसरे नंबर पर है।
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NALSA की ये रिपोर्ट (Report) लॉकडाउन की शुरुआत से लेकर 15 मई तक कुल 28 राज्य कानूनी सेवाओं (State Legal Services, SLAs) के माध्यम से एकत्र की गई थी। रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले नंबर सामने आए जिसमें बताया गया कि उत्तराखंड में घरेलू हिंसा के कुल 144 मामले दर्ज किए गए। तो वहीं हरियाणा में इन मामलों की संख्या 79 रही और दिल्ली से कुल 69 मामले सामने आए। इतना ही नहीं तेलंगाना (Telagana) में भी महिलाओं को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा। सखी वन स्टॉप सेंटर्स (केंद्र जो हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक छत के नीचे सहायता प्रदान करते हैं) के अनुसार अप्रैल में निजी और सार्वजनिक दोनों जगहों पर पंजीकृत कुल मामलों में से घरेलू हिंसा के मामलें 89% थे।
सखी ओएससी के प्रोजेक्ट लीडर प्रोफेसर यू विंध्य और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS), हैदराबाद कैंपस के उप निदेशक के अनुसार, घरेलू हिंसा के दर्ज मामलों की ये संख्या लॉकडाउन के कारण इसके बढ़ते जोखिम के बारे में पूरी दुनिया में वर्तमान शोध (Research) का समर्थन करने में मदद करेगी।
बता दें कि घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि की स्थिति केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। लॉकडाउन (Lockdown) ने दुनिया को एक ठहराव में ला दिया है। दुनिया भर में महिलाओं का जीवन, जो इस तरह के रिश्ते में हैं, जिसमें उन्हें घरेलू हिंसा का शिकार होना पड़ता है। इसकी बात की हकीकत ये आंकड़े साफ तौर पर बयान करते हैं। घर में मौजूद महिलाओं के साथ लॉकडाउन के दौरान तो ये हिंसा नियमित आधार पर की जा रही है। इस वैश्विक मुद्दे से निपटने के लिए दुनिया भर में विभिन्न घरेलू हिंसा हेल्पलाइन और संगठन लगातार काम कर रहे हैं, बावजूद इसके क्या इन आंकड़ों में कोई कटौती या गिरावट हुई है? अपने आस-पास देखिए और फिर खुद ही से पूछिए। हालांकि कोशिशें जारी हैं।
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अब सवाल ये उठता है कि घरेलू हिंसा तो पहले भी होती थी, लेकिन इस लॉकडाउन में ऐसा क्या हुआ कि घरेलू हिंसा के मामलों में इजाफा हो गया। तो आइए बताते है आपको इसके पीछे के कारणों के बारे में।
लॉकडाउन
लॉकडाउन घरेलू हिंसा का सबसे बड़ा कारण है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कई लोग घरों में रहने को मजबूर है। जिसकी वजह से अन-बन और अन्य कारणों के चलते घरेलू हिंसा हो रही है। आज भी देश में रूढ़वादी लोग कम नहीं है और यहीं एक सबसे बड़ी वजह है कि घरेलू हिंसा होती है।
शराब
शराब (Alcohol/liquor) घरेलू हिंसा होने का दूसरा कारण है। जब व्यक्ति नशे में होता है तो वो अपने सोचने समझने की शक्ति खो देता है और ऐसे में ही सबसे ज्यादा अपराध होते है।
सेक्स
जो मर्द घर में पहले 7 घंटे रहा करते थे, अब लॉकडाउन के वजह से वो पूरा-पूरा दिन घर पर रहते हैं। ऐसे में वैवाहिक मर्द अपनी बीबी से सेक्स (Sex) की डिमांड करते हैं और बीबी के मना करने पर बात तबदील होती है घरेलू हिंसा में। इसका जीता जागता उदाहरण लॉकडाउन में ही सामने आया। जब एक बीबी के पति को सेक्स के लिए मना करने पर पति ने उसे जान से मारने तक की कोशिश कर दी थी। उस बीबी ने एएनआई (ANI) एजेंसी से बात करते हुए कहा, "मेरा पति रोज सेक्स की डिमांड करता है और मना करने पर मुझे पिटता है, मैं तंग आ चुकी हूं, वो नशे में धूत होकर मुझे मारता भी है।"
गुस्सा
घरेलू हिंसा की एक बड़ी वजह गुस्सा भी है। कई आदमी अपनी पत्नियों पर केवल अपने गुस्से, नाकामयाबी और बेवजह के चिड़चिड़ेपन के चलते हाथ उठा देते है।
वाद-विवाद
पति-पत्नी में मनमुठाव होना आम बात है, लेकिन ये बात बड़ी और गलत तब लगती है जब ये हाथापाई तक पहुंच जाती है। हालांकि अक्सर ऐसा होता भी है कि छोटी सी बात वाद-विवाद (Argument) में तबदील होकर मुठभेड़ तक पहुंच जाती है।
Created On :   22 May 2020 11:19 AM GMT