सक्सेस की गारंटी बन सकती हैं सोने और उठने की आदतें, इन शख्सियतों ने खोले राज
डिजिटल डेस्क। हाल ही में हॉलीवुड स्टार और दो बार एकेडमी अवार्ड के नॉमिनी रह चुके मार्क वाह्ल्बर्ग ने बताया कि वो रोजाना रात 2.30 बजे उठते हैं। यानी जब लोगों की रात होती है तो उनकी सुबह होती है। उन्होंने बताया कि वो 2.30 बजे उठने के बाद 90 मिनट तक वर्कआउट करते हैं, गोल्फ खेलते हैं। इसके बाद प्रार्थना करके अपने दिन की शुरुआत करते हैं। उन्होंने ये भी बताया कि शाम 7.30 तक वो सो जाते हैं। बता दें, सुबह जल्दी उठने वाले वो अकेले इंसान नहीं हैं, बल्कि उनके अलावा भी कई ऐसी कामयाब हस्तियां हैं जो सुबह जल्दी उठती हैं। एप्पल के सीईओ टिम कुक भी रात 3 बजकर 45 मिनट पर उठकर अपने दिन की शुरुआत करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, डिज्नी बॉस बॉब इगर भी सुबह 4 बजकर 25 मिनट तक उठ जाते हैं। देखा जाए तो सभी जानी मानी कॉर्पोरेट शख्सियतों में कुछ न कुछ एक कॉमन बात होती है। अगर आप भी सफलता हासिल करना चाहते हैं तो सुबह जल्दी उठने की आदत डाल लें। अब सवाल ये उठता है कि क्या सफल बनने के लिए सुबह जल्दी उठना जरूरी है? क्या सुबह जल्दी उठने से हम अधिक काम कर पाते हैं? आइए जानते है इसका जवाब।
आपने कई बार ऐसे लोग भी देखे होंगे जो दूसरे लोगों पर एक अच्छा इंप्रेशन बनाने के लिए कहते है कि वे सुबह जल्दी उठते हैं क्योंकि कई बार देखा जाता है कि सुबह जल्दी उठने वाले लोगों के प्रति दूसरे लोगों का झुकाव ज्यादा होता है। साल 2014 में 120 कामकाजी लोगों पर एक स्टडी हुई थी। इस स्टडी में सामने आया कि जो लोग अपने दिन की शुरुआत देर से करते हैं उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं होती है। शोधकर्ताओं ने सुझाव देते हुए कहा कि, बेहतर होगा कि अपनी दिनचर्या अपने शरीर के मुताबिक रखें। आपको कब सोना है कब उठना है, इसका अपने शरीर की जरूरतों को ध्यान में रखकर फैसला करें। हालांकि, जल्दी उठने से काम करने की क्षमता बढ़ती है, लेकिन पहले खुद से पूछ लें आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? वजह चाहे कुछ भी हो अपनी सेहत को सबसे ज्यादा अहमियत दें। शोधकर्ताओं के मुताबिक, जब आपकी एनर्जी कम होती है तो आप कुछ भी काम सही ढंग से नहीं कर पाते हैं।
उन्होंने ये भी बताया कि जो लोग मार्क वाह्ल्बर्ग की तरह नेचुरली रात 2.30 बजे ही उठ जाते हैं। ऐसे लोग बहुत चुनिंदा होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर आप अपने शरीर की सर्केडियन पैटर्न के हिसाब से अपनी दिनचर्या रखते हैं तो वही आपके लिए सबसे बेस्ट होता है।
बता दें, व्यक्ति के नींद के पैटर्न को सर्केडियन पैटर्न कंट्रोल करता है। मतलब, शरीर 24 घंटे एक घड़ी के रूप में काम करता है, जो समय-समय पर हमें अलर्ट करता है कि हमें कब खाना है, कब सोना है। यही कारण है कि कई लोग एक समय पर उठते हैं और एक ही समय पर उन्हें नींद आने लगती है। शरीर की सर्केडियन पैटर्न की जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने लोगों को 2 ग्रुप में बांटा, जिनमें एक ग्रुप में जल्दी उठने और सोने वाले लोग शामिल हैं। वहीं दूसरे ग्रुप में देर से उठने और सोने वाले लोग हैं। नतीजों में दुनियाभर के लोगों में एक स्वभाविक परिवर्तन देखा गया। शोधकर्ताओं ने बताया कि हम में से अधिकतर लोग छोटे बच्चों की तरह जल्दी सोते और उठते हैं। वहीं, युवा पीढ़ी के ज्यादातर लोग देर रात तक जगे रहते हैं और देर से ही उठते हैं, लेकिन जैसे-जैसे लोग बुढ़ापे की तरफ बढ़ते हैं तो वे फिर से जल्दी सोने और उठने लगते हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि अपने जीवन को अनुशासन के हिसाब से सही ढंग से जीना और अपने लिए समय निकालना बेहद जरूरी है। अपने काम को परिवार के लोगों के उठने से पहले और साथ में काम करने वालों से मिलने से पहले ही पूरा करने के कई फायदे होते हैं, लेकिन रात में जल्दी सोने के कुछ नुकसान भी हैं। इससे आपके सोशल नेटवर्क कमजोर होने लगते हैं, जो कि मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए जरूरी हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, अगर आप 7.30 पर सोने लगेंगे तो आप अपने परिवार को समय नहीं दे पाएंगे, उनसे बात नहीं कर सकेंगे।साथ ही फ्री समय में दोस्तों के साथ एंजॉय नहीं कर सकेंगे। यहां एक सवाल ये उठता है कि क्या सुबह जल्दी उठना आपके ब्लड में होता है?
हालांकि, सुबह सवेरे 2.30 बजे उठने पर दिन बेहद लंबा लगता है और ऐसा भी लगता है कि जैसे आप सोए ही नहीं हैं। Wahlberg की दिनचर्या से पता लगता है कि वो हर रात में सिर्फ 7 घंटे की नींद लेते हैं। बता दें, सफल बनने और अधिक काम करने के लिए भरपूर नींद लेना और सुबह जल्दी उठना काफी मायने रखता है। वहीं, कम नींद लेने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन और यूनिवर्सिटी मिशिगन के 2 शोधकर्ताओं क्रिस्टोफर बार्न्स और ग्रेटेन स्प्रेट्जर ने इस पर स्टडी की है। उन्होंने अपनी स्टडी के दौरान इस बात की जांच कि क्या कंपनियां इस बात का ख्याल रखती हैं कि उनके एंप्लॉय भरपूर नींद लेते हैं या नहीं। वहलबर्ग की बात की जाए तो शोधकर्ताओं का मानना है कि वो अपने समय को अलग अंदाज में इस्तेमाल करते हैं, जिससे उन्हें सफल होने में मदद मिली है।
Created On :   18 Sept 2018 9:11 AM IST