संतानहीनता के लिए पुरुष भी हैं जिम्मेदार, तनाव और गलत आदतों से घट रहा स्पर्म काउंट 

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संतानहीनता के लिए पुरुष भी हैं जिम्मेदार, तनाव और गलत आदतों से घट रहा स्पर्म काउंट 
संतानहीनता के लिए पुरुष भी हैं जिम्मेदार, तनाव और गलत आदतों से घट रहा स्पर्म काउंट 


डिजिटल डेस्क । किसी भी कपल के संतानहीन होने का जिम्मेदार अक्सर महिलाओं को ही ठहराया जाता है। औरत को बांझ होने का ताना मारा जाता है और उसे बांझपन दूर करने के लिए तरह-तरह के उपाय बताए जाते हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि संताहीनता के लिए जितनी औरतें जिम्मेदार होती हैं उतने ही पुरुष भी होते हैं। आपको बता दें इंडियन सोसायटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन की स्टडी में ये बात सामने आई है कि संतानहीनता की 30% वजह पुरुषों में है। 40% मामलों में दोनों में दिक्कत के चलते संतान नहीं होती है। पुरुषों में संतान पैदा करने की क्षमता नहीं होने की एक वजह स्पर्म काउंट कम होना है। 20 साल पहले पुरुषों में स्पर्म काउंट 60 से 120 मिलयन होता था, जो अब घटकर 15 से 20 मिलयन तक आ गया है। वहीं वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने भी अब इसका मानक स्तर 15 से 12 मिलयन के बीच मान लिया है।

उन्होंने बताया कि पुरुषों में तनाव, सेहतमंद चीजों की जगह फास्ट फूड का सेवन, नींद न लेना, खान-पान में केमिकल का उपयोग होने की वजह से स्पर्म काउंट कम हो रहा है। संतानहीनता की यह बड़ी वजह है। उन्होंने बताया कि करीब 15% दंपतियों में संतानहीनता है। ये आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।

 

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क्या है कारण ?

आजकल पुरुषों में जंक फूड और रासायनिक खाद्य पदार्थों का सेवन करने एवं शराब, सिगरेट आदि का इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति काफी मात्रा में बढ़ रही है। जिसका सीधा प्रभाव पुरुषों के वीर्य में बनने वाली शुक्राणुओं तथा उनकी सेक्स क्षमता पर पड़ता है।

बढ़ता मानसिक तनाव, प्रदूषण, शराब और नशीली दवाओं के सेवन का चलन, आज सबसे बड़ा कारण खाद्य पदार्थों में पाए जाने वाले डीडीटी और क्लोरीन आदि कीटनाशक रसायनों का इस्तेमाल होता है। क्योंकि ये सभी रसायन खाद्य पदार्थों के जरिए व्यक्ति के शरीर में बनने वाले एस्ट्रोजन व एंडोजन जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन्स के साथ घुल जाते हैं जिससे सेक्स क्षमता घटती ही है। 

इस बात में कोई शक नहीं है कि आज प्रदूषण, तनाव के कारण उत्पन्न उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और मधुमेह रोग और सिगरेट, शराब व खाद्य पदार्थों जरिए कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग होने के कारण ही पुरु षों में नपुंसकता तथा शुक्राणुओं में कमी की दर में काफी बढ़ोतरी हो रही है।

 

Created On :   30 Jan 2018 8:54 AM IST

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