बच्चे के साथ हुए यौन उत्पीड़न को बयां करता है उनका ऐसा बर्ताव
डिजिटल डेस्क । बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं के आंकड़े काफी बढ़ गए हैं या कहा जाए कि इन मामलों पर हम ध्यान देने लगे हैं तो गलत नहीं होगा। बच्चों के साथ होने वाला ये अनुचित व्यवहार सदियों से कुछ बीमार सोच के लोग करते आए हैं, लेकिन बदलते वक्त के साथ मां-बाप के साथ-साथ कानून भी इसे लेकर गंभीर हुआ है, शायद इसलिए चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज के मामले तेजी से उभरे हैं। भारत इस तरह के मामले किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक देखने को मिलते हैं। जानकार बताते है कि, "भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज के केसेज देखने को मिलते हैं। भारत में हर दूसरा बच्चा किसी न किसी तरीके से यौन उत्पीड़न का शिकार होता है जबकि हर पांचवां बच्चा उत्पीड़न की गंभीर परिस्थिति को भुगतता है।" इस तरह की घटना किसी भी बच्चे के साथ कभी भी हो और कहीं भी हो सकती है। हमे ये कतई नहीं सोचना चाहिए कि हमारे बच्चे के साथ ऐसा कुछ नहीं हो सकता। बच्चों के व्यवहार में जरा से भी फर्क दिखे तो तुरंत इसे लेकर विचार कर, सही कदम उठाना चाहिए। आज हम आपको बताएंगे आप किस तरह से बच्चो के बर्ताव से उनके साथ हुई घटना को भांप सकते हैं।
कैसे बच्चों के साथ होती हैं ऐसी घटनाएं?
बच्चे अक्सर यौन उत्पीड़न के बारे में बात नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें डर लगता है। बच्चों को लगता है कि जो भी हुआ उसमें उनकी गलती है और ज्यादातर केस में उत्पीड़न करने वाला शख्स पीड़ित बच्चे को बहला-फुसलाकर यकीन दिला देता है कि जो भी हुआ वो सामान्य बात है और ये बात उन दोनों के बीच एक स्पेशल सीक्रेट है। कई बार तो बच्चों को पता ही नहीं होता कि उनके साथ जो हो रहा है या हुआ वो गलत था। या फिर कई बार उत्पीड़न करने वाला शख्स बच्चे को डरा-धमकाकर उन्हें किसी से कुछ न कहने के लिए राजी कर लेता है।
माता-पिता को क्या करना चाहिए?
अगर किसी पैरंट को पता चले कि उनका बच्चा यौन उत्पीड़न का शिकार हुआ है तो माता-पिता के लिए ये सबसे दुखदायी अनुभव होता है। इस तरह की परिस्थिति में माता-पिता का शॉक्ड होना या गुस्सा होना लाजिमी है, लेकिन ऐसे समय में पैरंट्स को संयम रखते हुए बच्चे के प्रति सेंसेटिव रहना चाहिए क्योंकि बच्चे को उनके सपॉर्ट की जरूरत होती है। कई बार तो माता-पिता को पता ही नहीं होता कि उनका बच्चा पीड़ित है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर केसेज में यौन उत्पीड़न करने वाला शख्स परिवार का ही कोई नजदीकी सदस्य या दोस्त होता है। इसलिए ये बेहद जरूरी है कि मां-बाप चाहे कितने भी बिजी हों, उन्हें बच्चों के प्रति जागरुक रहना चाहिए ताकि वो अपने बच्चे में यौन उत्पीड़न के संकेत को पहचान सकें।
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ऐसे समझें बच्चे का बदला हुआ बर्ताव
- अगर बच्चा अचानक बहुत आक्रामक हो जाए या लोगों से मिलने जुलने से कतराने लगे तो पैरंट्स को सावधान हो जाना चाहिए
- अक्सर बेहद निश्चिंत और हंसमुख रहने वाला बच्चा अगर अचानक माता-पिता से ज्यादा चिपकने लगे या मां-बाप को सामने न पाकर रोने लगे
- बच्चे को नींद आने में परेशानी हो या बच्चा बिस्तर गीला करने लगे
बच्चा किसी खास व्यक्ति से कतराए
- बच्चा पहले किसी व्यक्ति को बहुत पसंद करता था और उस शख्स के साथ घुला मिला हुआ था लेकिन अचानक बच्चा उसी व्यक्ति के पास जाने से कतराने लगे या उन्हें नजरअंदाज करने लगे तो माता-पिता को सतर्क हो जाना चाहिए।
- उस शख्स के सामने आते ही अगर बच्चा डर जाए या रोने लगे।
शारीरिक समस्याएं
- यौन उत्पीड़न का शिकार बच्चों को कई बार कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी होने लगती हैं
- जेनिटल या ऐनल एरिया में सूजन, इंफेक्शन या चोट के निशान
- अगर बच्चा इस तरह के निशान का कोई सही जवाब न दे पाए तो पैरंट्स को सतर्क हो जाना चाहिए
Created On :   23 Jan 2018 8:38 AM IST