ब्रेन को लेकर लोगों के मन में हैं ये गलतफहमियां, आप भी जानें
डिजिटल डेस्क, भोपाल। हमारे शरीर में दिमाग एक ऐसी चीज जो अपना काम करने के साथ साथ-साथ शरीर के बाकी ऑरग्नस को भी ऑपरेट करती है। सभी ऑरग्नस की फंकशनिंग इस पर पूरी तरह निर्भर करती है। दिमाग मनुष्य के शरीर के सबसे शक्तिशाली हिस्सा है। दिमाग के इतने सारे काम के चलते हमें इसे लेकर कई सारी गलतफहमियां हो गई हैं। उनमें से कुछ ऐसी हैं जिन्हें जानकर आप भी दंग रह जाएंगे कि हम अपने ही दिमाग के बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं, आइए जानते है हमारी गलत फहमियों के बारे में और उनसी जुड़ी सच्चाई से पर्दा उठाते है।
दिमाग का 10% इस्तेमाल
दिमाग के बारे में ये सबसे चर्चित मिथक है, कि हम दिमाग का सिर्फ 10% हिस्सा इस्तेमाल करते हैं। ये हार्वर्ड के साइकॉलजिस्ट विलियम जेम्स और बोरिस की रिसर्च एनर्जी थ्योरी के बाद सामने आया। 1890 में उन्होंने बच्चे की परवरिश में इस थ्योरी का टेस्ट किया। इसके बाद जेम्स ने कहा कि लोग अपनी पूरी दिमागी शक्ति के एक छोटे हिस्से का ही इस्तेमाल करते हैं। ये दावा ऐसा था कि सभी ने इस पर विश्वास कर लिया था। हममें से कई लोग मानते हैं कि हम चाहें तो इससे बहुत ज्यादा अचीव कर सकते हैं। जैसे-नई भाषाएं, म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स और स्पोर्ट्स वगैरह सीखना। ये मिथक अपीलिंग लगता है, क्योंकि लोग इस ह्यूमन पोटेन्शल के रूप में देखते हैं।
पर्मानेंनट ब्रेन डैमेज
ब्रेन कुछ डैमेज को रिपेयर कर सकता है और नई सेल्स भी बना सकता है। वैज्ञानिक मानते थे कि दिमाग को बदला नहीं जा सकता और एक बार ये डैमेज हो जाए तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता। हालांकि ये ध्यान रखने वाली बात है कि दिमाग जीवनभर सीखता रहता है।
पजल्स सॉल्व करने से तेज होती है मेमोरी
न्यूयॉर्क के अल्बर्ट आइंसटाइन कॉलेज ऑफ मेडिसिन में हुए एक शोध में यह बात सामने आई कि क्रॉसवर्ड्स सॉल्व करने से 75 से 85 साल के लोगों की यादाश्त धीरे-धीरे कमजोर पड़ती है, लेकिन जैसे ही डेमेंशिया के लक्षण आते हैं याददाश्त तेजी से कमजोर होने लगती है। आज कई न्यूरोसाइंटिस्ट्स इस बात को मानते हैं कि इस तरह की ऐक्टिविटी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इसका कुछ खास फायदा भी नहीं है सिवाय आपको पजल एक्सपर्ट बनाने के।
कोमा में जाने लंबी और गहरी नींद जैसा होता है
फिल्मों में कोमा से कोई नुकसान नहीं दिखाई देता। असल जिंदगी में कोमा से बाहर आने वालों में अक्सर डिसेबिलिटीज आ जाती हैं और उन्हें रिहैबिलिटेशन की जरूरत होती है।
मैथ्स में ज्यादा तेज होते है लड़के
माना जाता है कि पुरुषों का मैथ में तेज होना और महिलाओं का इमोशनल होना उनके दिमाग की संरचना का असर है। हालांकि सच इससे उलट है। मेल और फीमेल ब्रेन की संरचना में बस जरा सा ही फर्क होता है। मेमरी से जुड़ा हिस्सा महिलाओं में ज्यादा बड़ा होता है जबकि इमोशंस के लिए जिम्मेदार हिस्सा पुरुषों में बड़ा होता है।
ब्रेन का लेफ्ट और राइट हिस्सा अलग-अलग तरह से काम करता है
दिमाग के दोनों हिस्से एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। हम अकसर सुनते हैं कि फलां राइट ब्रेन्ड है या लेफ्ट ब्रेन्ड है। या जो लोग राइट ब्रेन वाले होते हैं वे ज्यादा क्रिएटिव होते हैं और लेफ्ट ब्रेन वाले लॉजिकल होते हैं, लेकिन ब्रेन स्कैनिंग टेक्नॉलजी से यह बात साफ हो चुकी है कि दिमाग के दोनों हिस्से एक कॉम्प्लैक्स प्रॉसेस में एक-साथ काम करते हैं।
Created On :   8 Dec 2017 8:18 AM IST