पिछले दस सालों में महिलाओं में 6 गुना बढ़ा कॉन्डम का इस्तेमाल

Use of condoms increased 6 times in women over the last ten years
पिछले दस सालों में महिलाओं में 6 गुना बढ़ा कॉन्डम का इस्तेमाल
पिछले दस सालों में महिलाओं में 6 गुना बढ़ा कॉन्डम का इस्तेमाल

 

डिजिटल डेस्क । भारत में कॉन्डम शब्द का नाम सुनते ही लोगों में शर्म और हया सी भर जाती है। जबकि सभी ये भली-भांति जानते हैं आज के वक्त में ये बेहद जरूरी चीज है। अविवाहित हो या विवाहित कोई भी सेक्स से अंजान नहीं है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी इस बारे में एक दूसरे से बात करना पसंद नहीं करता, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी जिस तरह भारत कई चीजों में तरक्की कर रहा है ठीक उसी तरह अब भारत में सुरक्षित यौन संबंध को लेकर जागरूकता बढ़ी है। जिसके बाद भारतीय महिलाओं के बीच कॉन्डम का इस्तेमाल भी बढ़ा है और अब भारत में भी बड़ी संख्या में अविवाहित और सेक्शुअली ऐक्टिव महिलाएं सुरक्षित सेक्स को तरजीह दे रही हैं। 

 

स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से करवाए गए नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के मुताबिक, पिछले 10 सालों में अविवाहित और सेक्सुअली एक्टिव 15 से 49 साल की महिलाओं में 2% से 12% की बढ़ोत्तरी हुई है। 20 से 24 साल की महिलाएं कॉन्डम का सहारा लेती हैं, लेकिन रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 8 में से 3 पुरुषों का मानना है कि सेफ सेक्स या गर्भनिर्धारण की चिंता बस महिलाओं को करनी चाहिए, उनका इससे कोई लेना-देना नहीं।

 

गर्भनिरोध के तरीकों की है जानकारी 

हालांकि 15 से 49 साल के बीच के देश के 99 प्रतिशत शादीशुदा महिलाओं और पुरुषों को गर्भनिरोधक के कम से कम एक तरीके की जानकारी अवश्य है लेकिन इस जानकारी का स्थानांतरण सुरक्षित सेक्स के रूप में विस्तृत रूप से नहीं हुआ है। देश में 15 से 49 साल के बीच की शादीशुदा महिलाओं के बीच कॉन्ट्रसेप्टिव प्रिवलेंस रेट यानी गर्भनिरोधक प्रचार दर (CPR) सिर्फ 54 प्रतिशत है जिसमें से सिर्फ 10 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसी हैं जो गर्भनिरोधक के तौर पर आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं अब भी गर्भनिरोध के लिए सदियों पुराने तरीके जैसे- मासिक धर्म आवर्तन या संबंध-विच्छेद पर निर्भर हैं। गर्भनिरोध के आधुनिक तरीकों की बात करें तो इसमें कॉन्डम, महिलाओं और पुरुषों की नसबंदी, गर्भनिरोधक गोलियां और अंतर्गर्भाशयी यंत्र यानी इंट्रायूट्रिन डिवाइस (IUD) शामिल है।

 

 

नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक 25 से 49 वर्ष की महिलाएं गर्भनिरोधक के तौर पर अपनी नसबंदी को तरजीह देती हैं और महिलाओं की नसबंदी, देशभर में गर्भनिरोध का सबसे प्रचलित तरीका है। सर्वे की मानें तो 1 प्रतिशत से भी कम महिलाओं ने इमरजेंसी कॉन्ट्रसेप्टिव पिल के इस्तेमाल की बात स्वीकार की।

 

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पंजाब में सबसे ज्यादा है जागरुकता

गर्भनिरोधक के इस्तेमाल में सबसे आगे पंजाब है। यहां 76 प्रतिशत लोग गर्भनिरोधक विधियों का इस्तेमाल करते हैं। यहां 99 प्रतिशत विवाहित महिला और पुरुष एक न एक गर्भनिरोधक विधि के बारे में जरूर जानते हैं। 15-49 साल की अविवाहित महिलाओं में से 34 प्रतिशत महिलाएं गर्भनिरोधक विधि का इस्तेमाल करती हैं। यहां तक कि इनमें से 32 प्रतिशत महिलाएं मॉर्डन तरीके अपनाती हैं। देश में मणिपुर और बिहार राज्यों में गर्भनिरोधक को लेकर सबसे कम जागरुकता है। यहां महज 24 प्रतिशत लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, महिलाओं की बड़ी संख्या अभी भी परंपरागत गर्भनिरोधक विधियों का सहारा लेती है, लेकिन सेक्सुअली एक्टिव अविवाहित महिलाएं मॉर्डन कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड का सहारा लेती हैं। इनमें- कॉन्डम, नसबंदी, इमरजेंसी पिल्स, डायफ्राम्स और आईयूडी जैसे तरीके अपनाती हैं।
 

Created On :   29 Jan 2018 1:22 PM IST

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