आखिर क्यों हमें दिन में कई बार होता है भूख का एहसास

why do we feel hunger many times a day, know what is the reason
आखिर क्यों हमें दिन में कई बार होता है भूख का एहसास
आखिर क्यों हमें दिन में कई बार होता है भूख का एहसास

डिजिटल डेस्क । धरती पर इंसान ही एक ऐसा जीव है जो दिन में कई बार खाना खा सकता है। जब भूख लगती है या जब मन करता है हम कुछ ना कुछ खा सकते हैं। ऐसा कहा जाए कि खाने के बिना हमारी जिंदगी की कल्पना भी नहीं की सकती , ये बात सोलाह आने सच है। हम खाने के लिए ही तो जीते है। कई सारे गलत काम भी पेट की खातिर कर लेते है। 

जब भूख का एहसास होता है तो खाने की जरूरत महसूस होती है और खाने तक पहुंचने के लिए हम बहुत कुछ करते हैं। कई बार तो भूख इतनी तेज लगती है कि जो मिलता है उस पर टूट पड़ते हैं, लेकिन क्या आप जानतें हैं कि आखिर हमें भूख क्यों लगती है?

 

 

साइंस के मुताबिक हमारे मस्तिष्क में स्थित हाइपोथैलेमस में दो ऐसे केंद्र होते हैं, जो खाने संबंधी क्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं। इनमें से एक केंद्र खाने के लिए प्रेरित करता है तो दूसरा क्षुधा शांत हो जाने का संकेत देता है। इन दोनों केंद्रों को सम्मिलित रूप से एपेस्टेट कहते हैं।

 

 

एंटागोनिस्ट जीन होता है जिम्मेदार!

हार्मोन भी भूख लगने और आवश्यकता पूरी हो जाने के चक्र को नियंत्रित करते हैं। हावर्ड ह्यूग्स मेडिकल इंस्टीट्यूट के जेफरे फ्रीडमान ने चूहे में ओबेस जीन की पहचान की थी, जिसके जरिए प्रड्यूस प्रोटीन वास्तव में उनमें संतुलन बनाए रखता है, तब ही उन्होंने मनुष्यों में इसकी एंटागोनिस्ट जीन की भी पहचान की थी। 

ये जीन लेप्टिन नामक प्रोटीन के लिए कोडित होती है। ये प्रोटीन मुख्य रूप से किसी भी व्यक्ति में भूख एवं उपापचय दर बढ़ाने-घटाने के लिए उत्तरदायी होते हैं।

 

बाद में मिलेनियम फार्मास्युटिकल्स ने कोशिका भित्ति पर पाए जाने वाले ग्राही की पहचान की, जो लेप्टिन के अणुओं से जुड़े होते हैं। ये प्रोटीन कोशिकाओं में इस प्रकार प्रवेश करते हैं कि विशेष उपापचयी क्रिया आरंभ हो जाती है। इस जीन या ग्राही प्रोटीन में कोई भी दोष इस उपापचयी क्रिया को गड़बड़ा देता है, जिसके परिणामस्वरूप हमारी पाचन संबंधी क्रियाएं भी सही नहीं रहतीं।

Created On :   28 May 2018 10:21 AM IST

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