वर्ल्ड चाइल्डहुड इंडेक्स रैंकिंग में भारत ने किया सुधार, 116 से 113वें स्थान पर बनाई जगह
- 2017 में भारत इस सूची में 116वें स्थान पर था।
- आंगबाड़ी में पोषक आहार
- जरूरी दवाइंयों के साथ गर्भवतियों के लिए रूटीन चेकअप के इंतेजाम किए जा रहे है।
- वर्ल्ड चाइल्डहुड इंडेक्स रैंकिंग में भारत ने सुधार किया है। 113वें स्थान पर जगह बना ली है
डिजिटल डेस्क । देश में बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर सरकार कड़े कदम उठा रही है। आंगबाड़ी में पोषक आहार, जरूरी दवाइंयों के साथ गर्भवतियों के लिए रूटीन चेकअप के इंतेजाम किए जा रहे है। इन्हीं सुविधाओं और बेहतर भी बनाया जा रहा है। इसी का नतीजा है कि वर्ल्ड चाइल्डहुड इंडेक्स रैंकिंग में भारत ने सुधार किया है। वहीं 113वें स्थान पर जगह बना ली है। वैश्विक बाल अधिकार समूह सेव द चिल्ड्रन द्वारा 175 देशों की सूची में देश 113वें स्थान पर पहुंच गया है। 2017 में भारत इस सूची में 116वें स्थान पर था। पिछले हफ्ते जारी हुई "एंड ऑफ चाइल्डहुड" शीर्षक वाली रिपोर्ट में बाल विवाह दर में कमी के लिए भारत की उपलब्धि की सराहना की गई। बाल विवाह सूचकांक में बेहतर स्थान पाने की वजह से भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है।
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हालांकि भारत की जनगणना के बाद अब भी पोषण, शिशु मृत्यु दर और बालश्रम देश में गंभीर चिंता का विषय बन रहा है। देश में साल 2016 में पांच साल की कम उम्र के बच्चे की मृत्युदर प्रति 1000 बच्चों पर 43 थीं, जबकि भारत की जनसंख्या में इसी साल प्रति 1000 जन्मे नवजातों में 39 नवजात की मौत दर्ज की गई। रिपोर्ट में जिस अन्य चुनौती का उल्लेख किया गया वो है किशोरावस्था गर्भावस्था। भारत में 15 से 19 साल की उम्र की एक हजार लड़कियों में से 23.3% लड़कियां बच्चों को जन्म देती हैं।
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सेव द चिल्ड्रन इंडिया की CEO विदिशा पिल्लई ने कहा, "बाल विवाह में कमी के माध्यम से भारत की प्रगति सूचक को देखकर हमें काफी खुशी है। हालांकि भारत में 30 फीसदी लड़कियों का विवाह अभी भी 18 साल की उम्र से कम में हो जाता है।"
उन्होंने कहा, "देश में अभी भी कई बच्चे एक लड़की या गरीब होने के कारण सुविधाओं से वंचित हैं। जल्दी विवाह, बाल मजदूरी और कुपोषण कुछ एसी वजह हैं, जिनके कारण बच्चे अपने बचपन से वंचित रह जाते हैं।"
Created On :   4 Jun 2018 9:00 AM IST