वर्ल्ड डायबिटीज डे: इस बीमारी से जुड़ी जानें कुछ खास बातें
डिजिटल डेस्क। आज के वक्त में डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। अब भारत में भी डायबिटीज के मरीजों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ रही है। साल 2017 में डायबिटीज के 72 मिलियन मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2025 तक इसके लगभग दोगुने होने की उम्मीद है। भारत में हर साल 14 नवंबर चिल्ड्रन्स डे मनाया जाता है, लेकिन विश्व भर में इस दिन वर्ल्ड डायबिटीज डे मनाया जाता है। वर्ल्ड डायबिटीज डे को अंतरराष्ट्रीय मधुमेह संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा साल 1991 में शुरू किया गया था। प्रत्येक वर्ष डायबिटीज डे का अलग लक्ष्य होता है। यदि किसी को डायबिटीज की समस्या हो जाती है, तो इसे पूरी तरह से ठीक कर पाना असंभव है, लेकिन यदि थोड़ी सावधानी बरती जाए तो इससे होने वाले खतरों से बचाव किया जा सकता है। डायबिटीज कई बार प्राकृतिक या आनुवांशिक कारणों से होती है।
कैसे होती है डायबिटीज?
डायबिटीज में लंबे समय तक उच्च रक्त शर्करा का स्तर होता है। उच्च रक्त शर्करा के लक्षणों में अक्सर पेशाब आना होता है, प्यास की बढ़ोतरी होती है, और भूख में वृद्धि होती है। डायबिटीज होने के दो कारण होता है, पहला शरीर में इन्सुलिन का बनना बंद हो जाये या फिर शरीर में इन्सुलिन का प्रभाव कम हो जाये। दोनों ही परिस्थितियों में शरीर में ग्लूसकोज की मात्रा बढ़ जाती है। डायबिटीज के मरीजों को अपने आहार का ध्यान रखना चाहिए। यह रोग उम्र के आखिरी पड़ाव तक बना रहता है, इसलिए इसके खतरों से बचे रहने के लिए जरूरी है सावधानी बरतने की। अमेरिका में ये मृत्यु का आठवां और अंधेपन का तीसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है। आजकल पहले से कहीं ज्यादा संख्या में युवक और यहां तक की बच्चे भी मधुमेह से ग्रस्त हो रहे हैं। निश्चित रूप से इसका एक बड़ा कारण पिछले 4-5 दशकों में चीनी, मैदा और ओजहीन खाद्य उत्पादों में किए जाने वाले एक्सपेरिमेंट्स हैं।
कैसे रखें डायबिटीज में अपना ख्याल?
हाइपोग्लाइसेमिया (ब्लड शुगर का गिरता लेवल) के अलावा, ये पोस्टप्रेन्डियल हाइपरग्लाइसेमिया, केटोएसिडोसिस और कई अन्य मैटाबोलिक परेशानियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा, पर्याप्त पानी न पीने से निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन और हाइपोटेंशन हो सकता है।"
जब डायबिटीज में रखना हो उपवास या व्रत
- उपवास समाप्त करने के बाद इस तरह का भोजन करना चाहिए जो पाचन तंत्र पर भारी न पड़े।
- उपवास के बाद, प्रोसेस्ड भोजन या ट्रांस फैट की अधिकता वाली चीजों से बचना जरूरी है, क्योंकि ऐसा करने से शुगर के लेवल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- एक सलाह यह भी है कि दिन में नारियल पानी, नींबू पानी और दूध जैसे पेय पदार्थो के साथ हाइड्रेटेड रहा जाए।
- भोजन के लिए फाइबर से भरपूर भोजन और जटिल कार्बोस का चयन करें जो आपको अधिक लंबे समय तक फुल महसूस कराए।
- सुनिश्चित करें कि आप हाइपो या हाइपरग्लाइसेमिया की स्थिति से बचने के लिए नियमित रूप से अपने चीनी के स्तर की निगरानी करते रहें।
- हर दो घंटे में कम मात्रा में कुछ न कुछ खाते रहें। मधुमेह वाले लोगों में उपवास के बाद ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
Created On :   14 Nov 2018 11:18 AM IST