वर्ल्ड नो टोबैको डे : 2739 लोग टोबैको की वजह से गंवा देते हैं अपनी जान
- गुरुवार (31मई) को वर्ल्ड नो टोबैको डे है।
- आंकड़े बताते हैं कि देशभर में करीब 2739 लोग टोबैको के कारण कैंसर और अन्य बीमारियों से हर रोज दम तोड़ देते हैं।
- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने टोबैको और स्मोकिंग के कई अन्य उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस साल की थीम 'टोबैको और कार्डियो वेस्कुलर डिसीज (तंबाकू और हृदय रोग )' रखी है।
डिजिटल डेस्क। गुरुवार (31मई) को वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस दिन पूरी दुनिया में तंबाकू का सेवन करने वालों को इससे दूर रहने की सलाह दी जाती है। इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता है, क्योंकि तंबाकू बीमारियों की जड़ है। इससे कैंसर हो सकता है साथी ही कई अन्य जानलेवा बीमारियां हो सकती है। किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन (सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, तंबाकू का पान आदि) करते हैं, तो ये समझें कि आप अपनी जिंदगी और सेहत के साथ दुश्मनी मोल ले रहे हैं। तंबाकू एक प्रकार का नशा है, जिसकी लत हो जाने पर व्यक्ति इससे दूर नहीं रह पाता है। तंबाकू खाने से धीरे-धीरे व्यक्ति का शरीर खराब हो जाता है। साथ ही ये दिमाग पर भी बुरा असर डालता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने टोबैको और स्मोकिंग के कई अन्य उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस साल की थीम "टोबैको और कार्डियो वेस्कुलर डिसीज (तंबाकू और हृदय रोग )" रखी है। आंकड़े बताते हैं कि देशभर में करीब 2739 लोग टोबैको के कारण कैंसर और अन्य बीमारियों से हर रोज दम तोड़ देते हैं।
तंबाकू मुक्त भारत के लिए सुझाव
तंबाकू सेवन से हो रहे दुष्प्रभावों के मद्देनजर भारत सरकार ने कुछ व्यापक कदम उठाए हैं। इस संदर्भ में सीओटीपीए एक्ट, 2003 के अंतर्गत तंबाकू या उससे बने पदार्थो का प्रचार-प्रसार, खरीद-फरोख्त (बिक्री) और वितरण पर सख्ती से रोक लगाने की बात कही गई थी। 31 मई 2004 को विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर इस कानून को कार्यान्वित किया गया। भारत सरकार ने इसी क्रम में तंबाकू उत्पादों के पैक पर तंबाकू विरोधी चेतावनी देने का निर्णय लिया था।
तंबाकू पर रोक से ही निकलेगा समाधान
दुनिया में कार्डियो-वेस्कुलर से होने वाली मौत और अक्षमता की रोकथाम के लिए तंबाकू पर रोक सबसे कारगर है। धूम्रपान से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है साथ ही तंबाकू का धुआं रहित रूप भी समान रूप से हानिकारक है। उन्होंने बताया कि "ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे" (GATS-2) 2016-17 के अनुसार, भारत में धुआं रहित तंबाकू का सेवन धूम्रपान से कहीं अधिक है। वर्तमान में 42.4 फीसदी पुरुष, 14.2 फीसदी महिलाएं और सभी वयस्कों में 28.8 फीसदी धूम्रपान करते हैं या फिर धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।
10 करोड़ से ज्यादा लोग करते हैं करते है स्मोकिंग
आंकड़ों के मुताबिक इस समय 19% पुरुष, 2% महिलाएं और 10.7 % वयस्क स्मोकिंग करते हैं, जबकि 29.6% पुरुष, 12.8 % महिलाएं और 21.4% वयस्क धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं। वहीं 19.9 करोड़ लोग धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं जिनकी संख्या सिगरेट या बीड़ी का उपयोग करने वाले 10 करोड़ लोगों से कहीं अधिक हैं। संबंध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) के ट्रस्टी संजय सेठ ने बताया कि मध्यप्रदेश के गैट्स-दो सर्वे 2016-17 के अनुसार आज के वक्त में 50.25 % पुरुष, 17.3 % महिलाएं और 34.2 % कुल वयस्कों में धूम्रपान याधुआं रहित तंबाकू का उपयोग करने का प्रचलन है। आंकड़ों के मुताबिक, 19 % पुरुष, 0.8 % महिलाएं और 10.2 % कुल वयस्क तंबाकू धूम्रपान करते हैं, जबकि 38.7 % पुरुष, 16.8 % महिलाएं और 28.1 % कुल वयस्क वर्तमान में धुआं रहित तंबाकू का उपयोग करते हैं।
अमेरिका में टोबैको सेवन में पुरुषों से आगे निकली महिलाएं
हाल ही में अमेरिका में हुए एक शोध की मानें तो तंबाकू की वजह से अमेरिकी औरतों को फेफड़ों के केंसर से ज्यादा जूझते हुए देखा गया है। जबकि थोड़े समय पहले तक ये बीमारी पुरूषों में अधिक देखी जाती रही है।बता दें,ये रिसर्च अमेरिकन कैंसर सोसायटी और राष्ट्रीय कैंसर संस्थान द्वारा की गई थी।जिसे न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ़ मेडिसिन में प्रकाशित किया गया। तबाकू में कैंसर पैदा करने वाले तत्व निकोटीन, नाइट्रोसामाइंस, बंजोपाइरींस, आर्सेनिक और क्रोमियम अत्यधिक मात्रा में पाए जाते हैं जिनमें निकोटिन, कैडियम और कार्बनमोनो ऑक्साइड स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है।
जेब पर करोड़े की चपत लगाता है जानलेवा टोबैको
ईटी वेल्थ के एक अनुमान के मुताबिक, 30 साल का एक व्यक्ति अगर दिन में 5 सिगरेट पीता है तो 60 साल की उम्र तक वो करीब 1 करोड़ रुपए खर्च कर देता है।सिगरेट की कीमत 10-15 रुपए होती है। हम एक सिगरेट की कीमत 12 रुपए औसत मान लेते हैं। एक दिन में पांच सिगरेट पीने पर 60 रुपए खर्च होगा यानी महीने में 1,800 रुपए। इस तरह से 30 साल की अवधि में सिगरेट खरीदने पर आपके 24.47 लाख रुपए खर्च होंगे। इस पैसे को अगर कहीं निवेश कर देंगे तो 9 फीसदी ब्याज दर से यह पैसा 30 साल में करीब 69.23 लाख रुपए बन जाएगा।
तंबाकू के उपभोग से बढ़ जाती है दिल के दौरे की संभावना
तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में शरीर के किसी भी हिस्से को हानिकारक प्रभाव से नहीं बचाता है। यहां तक कि धुआं रहित तंबाकू प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव का कारण बनता है। हमारे शरीर के अंगों को सीधे नुकसान पहुंचाने के अलावा, धुआं रहित तंबाकू का उपभोग करने से दिल के दौरे से मरने की संभावना काफी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि सभी कार्डियो वेस्कुलर (सीवी) रोगों में लगभग 10 फीसदी का कारण तंबाकू का उपयोग है।
वहीं धूम्रपान से होने वाली प्रमुख बीमारियां-ब्रॉन्काइटिस, एसिडिटी, टी.बी., ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, लकवा, माइग्रेन, सिरदर्द और बालों का जल्दी सफेद होना आदि हैं। धूम्रपान बंद करने के फायदे: इसे बंद करने के कुछ ही घंटों के अंदर फायदे दिखाई देने लगते हैं। 8 घंटों के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन की मात्रा खून में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है और खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। 25 घंटे में कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर से पूरी तरह से बाहर हो जाती है और 48 घंटों में निकोटिन शरीर से बाहर निकल जाती है।
धूम्रपान बंद करने के एक साल के भीतर दिल की बीमारियाों की आशंका 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। फेफड़े का कैंसर होने की आशंका 10 से 15 वर्षों में 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है। शरीर में रक्त का संचार सुचारु रूप से होने लगता है और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी हो जाती है, ब्रॉन्काइटिस और सांस तंत्र के अन्य रोगों की आशंका भी काफी कम हो जाती है।
बढ़ता है कैंसर का खतरा
तंबाकू से लगभग 25 तरह की शारीरिक बीमारियां और लगभग 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। इनमें मुंह का कैंसर, गले का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि का कैंसर, पेट का कैंसर और ब्रेन ट्यूमर आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं। तंबाकू व धूम्रपान से हो रहे विभिन्न प्रकार के कैंसरों में विश्व में मुख का कैंसर सबसे ज्यादा होता है। तंबाकू के कारण 45 लाख लोग प्रतिवर्ष हृदय रोग से पीड़ित होते हैं और 40 लाख लोग प्रतिवर्ष फेफड़े से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त होते हैं।
Created On :   31 May 2018 9:19 AM IST