Bhopal Gas Tragedy: आज भोपाल गैस त्रासदी की 41वीं बरसी, दो-तीन दिसंबर की दरम्यान रात बनी खौफनाक, जानें उस घटना की दर्द भरी कहानी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आज से बिल्कुल 41 साल पहले एक दर्दनाक घटना हुई थी, वह अभी तक भुलने से भी नहीं भुलाती है। जो दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक आपदा बन गई थी। जिसे नाम दिया गया भोपाल गैस लीक त्रासदी। दो-तीन दिसंबर, 1984 की दरम्यानी रात लोग अपने घरों में आराम से शो रहे थे। इसी दौरान यूनियन कार्बाइड लिमिटेड नाम की एक फैक्ट्री में गैस ली हो गई थी।
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फैक्ट्री में क्या हुआ था?
यूनियन कार्बाइट लिमिटेड कंपनी में हर दिन की तरह उस रात भी कर्मचारी कीटनाशक दवाएं बना रहे थे। इस बीच संयंत्र से खतरनाक गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव शुरु होने लगा। यह रिसाव टैंक नंबर 610 में हुआ था। बताया जाता है कि इस गैस का रिसाव शुरूआत में तो धीरे-धीरे होने लगा तो इस समय तक एक सीमित एरिया में ही थी। लेकिन गैस का प्रेसर जैसे-जैसे बढ़ने लगा तो ज्यादा मात्र में गैस निकले लगी, जिस वजह से यह पानी के संपर्क में आ गई और देखते ही देखते इस गैस ने राजधानी के एक बड़े एरिया को कवर कर लिया।
बताते चलते है कि उस समय स्थानीय लोगों को रोजगार देने वाली बड़ी कंपनी थी। जिसके जरिए हजारों लोगों के घर चलते थे। लेकिन ये किसी को नहीं पता था कि जो कंपनी हजारों लोगों को रोजगार देगी, वहीं, कंपनी हजारों लोगों की जान लें लगी।
उस रात की दर्द भरी कहनी
मिथाइल आइसोसाइनेट के फैलने से पूरा शहर घातक धुंध में गुम हो गया था। गैर के बाद धीरे-धीरे नीचे आने लगे और पूरा शहर जानलेवा परतों से घिरने लगा। यह गैस लोगों के घरों की खिड़की-दरवाजों से अंदर घुसने लगी। इस वजह से लोगों का दम घुटने लगा तो लोग अपने घरों से बाहर निकलने लगे। इसके बाद लोग लड़खड़ाते हुए जमीन पर गिरने लगे क्योंकि उनकी सांसे थमने लगी थी। पूरे शहर में ची-पुकार मच गई थी। गैस इतनी जहरीली थी कि लोगों की आंखें जलने लगी और उनका गला धुटने लगा। देखते ही देखते पूरे शहर में सन्नाटा परस गया था। इसके कुछ ही घंटों में अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी।
सड़कों पर दिखा भयानक दृष्य
इस जहरीली गैस से अस्पतालों में जगह की कमी होने लगी और जिन सड़कों पर हर दिन की तरह हंसी नहीं गुंज रही थी, बल्कि लोगों के शवों इधर-उधर पड़े दिखाई दे रहे थे। इतना ही नहीं उस समय जो महिला गर्भवती थी, जो बच गई थी और उन्होंने बच्चे को जन्म दिया तो वे शारीरिक रुप से कमजोर हुए। वहीं, हजारों लोग भी शारीरिक रूप से स्वास्थ्य नहीं बचे। इस गैस से पूरा पर्यावरण दूषित हो गया था। जिसका असर पेड़-पौधों और जानवरों पर भी हुआ था।
Created On :   3 Dec 2025 12:27 AM IST














